दिल्ली स्थित साउथ एशियन यूनिवर्सिटी ने नए शैक्षणिक सत्र में दाखिला लेने वाले छात्रों को दिए दिशानिर्देशों में यह भी कहा है कि वे यह घोषित करें कि वे किसी मनोरोग या मनोवैज्ञानिक विकार से पीड़ित नहीं हैं.
नई दिल्ली: साउथ एशियन यूनिवर्सिटी (एसएयू) ने नए शैक्षणिक सत्र में दाखिला लेने वाले छात्रों से यह शपथ (अंडरटेकिंग) देने को कहा है कि वे न तो किसी आंदोलन या हड़ताल में शामिल होंगे और न ही ऐसी किसी गतिविधि में भाग लेंगे जिससे परिसर में ‘शांति भंग’ हो सकती हो.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, यूनिवर्सिटी ने विद्यार्थियों से यह घोषित करने के लिए भी कहा है कि वे किसी ‘मनोवैज्ञानिक या मानसिक विकार’ से पीड़ित नहीं हैं.
कई छात्रों ने इस कवायद को ‘भेदभावपूर्ण’ बताया है लेकिन उनका कहना है कि विश्वविद्यालय इस पर हस्ताक्षर करने के अलावा उन्हें कोई विकल्प नहीं दिया है. एक छात्र ने अख़बार से कहा, ‘यह देश के लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है… अगर हम इस पर दस्तखत नहीं करते हैं, तो हमें यहां दाखिला नहीं मिलेगा.’
छात्र ने आगे कहा, ‘मैं एसएयू में पढ़ना चाहता था क्योंकि मेरा मानना है कि यह मास्टर की पढ़ाई के लिए सबसे अच्छे विश्वविद्यालयों में से एक है क्योंकि यह भारत में स्थित अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय है और यहां अच्छे मौके मिलते हैं… लेकिन इस नए नियम के चलते हम अब अपनी आवाज नहीं उठा सकते.’
एसएयू आठ सार्क देशों द्वारा प्रायोजित एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय है. 2023-24 सत्र के लिए ‘सामान्य घोषणा’ या ‘अंडरटेकिंग’ विश्वविद्यालय के प्रवेश दिशानिर्देशों का हिस्सा है और इन्हें उन छात्रों को ईमेल से भेजा गया था जो पहले ही प्रोविजनल एडमिशन ले चुके थे.
इसमें 13 बिंदु दिए गए हैं, जिनमे से एक कहता है: मैं घोषणा करता/करती हूं कि मैं न तो विश्वविद्यालय के अधिकारियों पर किसी समस्या के समाधान के लिए दबाव डालने के उद्देश्य से किसी भी आंदोलन/हड़ताल में शामिल होऊंगा/, न ही ऐसी किसी गतिविधि में भाग लूंगा जिससे एसएयू परिसर/या इसके छात्रावास परिसर के शैक्षणिक माहौल की शांति भंग हो सकती हो.’
आगे एक बिंदु कहता है: ‘मैं यह भी घोषणा करता/करती हूं कि मैं किसी गंभीर/संक्रामक बीमारी और/या किसी मनोरोग/मनोवैज्ञानिक विकार से पीड़ित नहीं हूं.’
ऊपर जिन छात्र का बयान है, उन्होंने यह भी बताया कि उनका रजिस्ट्रेशन इस सप्ताह के शुरू में पूरा हो गया था और छात्रों को यह अंडरटेकिंग ईमेल से उनके एडमिशन की पुष्टि के साथ भेजी गई.
उन्होंने बताया, ‘उन्होंने हमसे फीस भरने के लिए कहा था और हमें अंडरटेकिंग भी भरनी पड़ी… विश्वविद्यालय में जाकर रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए इसे लाने के लिए कहा गया था.’
एक अन्य छात्रा, जिन्होंने समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर के लिए आवेदन किया है, ने कहा, ‘जब मैंने पहली बार घोषणा पत्र पढ़ा, तो मेरा पहला सवाल था कि ‘ऐसा कैसे हो सकता है कि हम किसी भी हड़ताल में भाग नहीं लें.’ उन्होंने आगे जोड़ा कि उन्होंने फीस भरने के बाद ही घोषणा पत्र पढ़ा और उन्हें एहसास हुआ कि उन्होंने गलती कर दी है.
वे कहती हैं, ‘मुझे नहीं मालूम था कि यह इतना गंभीर है. नौवां बिंदु यह घोषणा करने को कहता है कि क्या कोई छात्र मानसिक बीमारियों से जूझ रहा है और यह बहुत भेदभावपूर्ण है.’
अख़बार द्वारा संपर्क किए जाने पर यूनिवर्सिटी की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला.
उल्लेखनीय है कि बीते जून महीने में ही एसएयू ने यहां के चार शिक्षकों पर विश्वविद्यालय की आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए ‘इसके हितों के खिलाफ छात्रों को भड़काने’ का आरोप लगाते हुए निलंबित कर दिया था. यह कार्रवाई स्नातकोत्तर छात्रों के लिए मासिक वजीफे में कटौती के विरोध में पिछले साल छात्रों के कई महीने चले विरोध प्रदर्शन के बाद की गई थी.
इससे पहले दिसंबर 2022 में इन शिक्षकों को भेजे गए कारण बताओ नोटिस में कहा गया था कि शिक्षकों ने छात्रों को ‘सहकर्मियों, प्रशासन और विश्वविद्यालय के हित के खिलाफ’ भड़काया है.
बता दें कि छात्रों का उक्त प्रदर्शन सितंबर 2022 में शुरू हुआ था और यूनिवर्सिटी के मासिक वजीफे को बहाल कर देने के बाद तक चला था. इस दौरान प्रदर्शनकारी छात्रों को हटाने के लिए एसएयू प्रशासन ने दो बार पुलिस बुलवाई थी.
नवंबर 2022 में जब विश्वविद्यालय ने विरोध प्रदर्शनों को लेकर पांच छात्रों के निष्काषन की घोषणा की, तो (बाद में निलंबित किए गए चार शिक्षकों समेत) 15 फैकल्टी सदस्यों ने विश्वविद्यालय समुदाय को पत्र लिखते हुए एसएयू प्रशासन के क़दमों पर चिंता व्यक्त की थी, जो उनके अनुसार ‘बिना किसी उचित प्रक्रिया का पालन किए’ लिए गए थे.
इस महीने की शुरुआत में विभिन्न देशों के विश्वविद्यालयों के 500 से अधिक शिक्षाविदों ने सार्क देशों के विदेश मंत्रियों को पत्र लिखकर इन फैकल्टी सदस्यों के निलंबन के संबंध में हस्तक्षेप की अपील की थी.