भाजपा में फेरबदल: एएमयू के पूर्व कुलपति तारिक़ मंसूर और अनिल एंटनी को शीर्ष पद ​दिए गए

भारतीय जनता पार्टी ने संगठन के केंद्रीय नेतृत्व में फेरबदल करते हुए कुछ पदाधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है, जबकि कुछ नए चेहरों को लाया गया है. कर्नाटक के कट्टरपंथी नेता सीटी रवि और असम के सांसद दिलीप सैकिया को राष्ट्रीय महामंत्री पद से हटाया गया है. कुल 13 नए उपाध्यक्ष, 9 नए राष्ट्रीय महामंत्री और 9 सचिव नियुक्त किए गए हैं.

तारिक़ मंसूर (बाएं) और अनिल एंटनी (दाएं). (फोटो साभार: फेसबुक)

भारतीय जनता पार्टी ने संगठन के केंद्रीय नेतृत्व में फेरबदल करते हुए कुछ पदाधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है, जबकि कुछ नए चेहरों को लाया गया है. कर्नाटक के कट्टरपंथी नेता सीटी रवि और असम के सांसद दिलीप सैकिया को राष्ट्रीय महामंत्री पद से हटाया गया है. कुल 13 नए उपाध्यक्ष, 9 नए राष्ट्रीय महामंत्री और 9 सचिव नियुक्त किए गए हैं.

तारिक़ मंसूर (बाएं) और अनिल एंटनी (दाएं). (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: संगठन में एक और फेरबदल करते हुए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने कुछ केंद्रीय पदाधिकारियों को हटा दिया है, जबकि कुछ नए चेहरों को महत्वपूर्ण पदों पर लाया गया है.

सबसे महत्वपूर्ण बदलावों में कर्नाटक के कट्टरपंथी नेता सीटी रवि, जो हाल ही में चिकमंगलूर में अपनी विधानसभा सीट हार गए थे, को राष्ट्रीय महामंत्री के पद से हटा दिया गया है.

असम के सांसद दिलीप सैकिया को भी राष्ट्रीय महामंत्री पद से हटा दिया गया है. रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि उन्हें 2024 के लोकसभा चुनावों में उम्मीदवार के रूप में उतारे जाने के लिए उनकी संगठनात्मक जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया है.

कुल मिलाकर पार्टी ने 13 नए उपाध्यक्ष, 9 नए महामंत्री और 9 सचिव नियुक्त किए, जिनमें से अधिकांश को फिर से नियुक्त किया गया है. कुछ नए चेहरों में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति तारिक मंसूर प्रमुख रहे.

मंसूर, जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश में भाजपा के एमएलसी हैं, को भी उपाध्यक्षों में से एक के रूप में नियुक्त किया गया है. इस कदम को पसमांदा मुस्लिमों के बीच पार्टी की पहुंच बनाने के तौर पर देखा जा रहा है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री और बिहार से सांसद राधा मोहन सिंह को भी उपाध्यक्ष पद से हटा दिया गया है. उनके अपने गृह राज्य में 2024 के लोकसभा चुनावों में प्रमुख भूमिका निभाने की संभावना है.

हाल ही में भाजपा में शामिल हुए कांग्रेस के दिग्गज नेता एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी भी भाजपा के नए सचिवों में से एक हैं.

एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में गोरखपुर से चार बार विधायक रहे राज्यसभा सदस्य राधा मोहन दास अग्रवाल को भी राष्ट्रीय महामंत्री के रूप में पदोन्नत किया गया है.

2002 से गोरखपुर (शहर) सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले अग्रवाल को पिछले विधानसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के लिए अपना निर्वाचन क्षेत्र खाली करने के लिए कहा गया था, लेकिन जल्द ही उन्हें राज्यसभा सांसद बना दिया गया.

जानकारों का कहना है कि यह कदम अग्रवाल को सांत्वना देने के लिए था. उन्हें केरल और लक्षद्वीप की राज्य इकाइयों की देखरेख की भी जिम्मेदारी दी गई थी.

अग्रवाल को गोरखपुर में आदित्यनाथ के ‘दोस्त से प्रतिद्वंद्वी बनने’ वाले नेता के रूप में देखा जाता है. कुछ साल पहले उन्होंने बाढ़ और अन्य समस्याओं के कुप्रबंधन के लिए आदित्यनाथ सरकार के प्रशासन और गोरखपुर के सांसद रवि किशन के खिलाफ खुलकर विरोध दर्ज कराया था.

उन्हें राष्ट्रीय महामंत्री के रूप में नियुक्त करके, जिसे भाजपा में सबसे महत्वपूर्ण संगठन पद माना जाता है, मोदी-शाह की जोड़ी ने पार्टी में आदित्यनाथ के एक और प्रतिद्वंद्वी को पदोन्नत किया है. इससे पहले आदित्यनाथ के एक अन्य प्रतिद्वंद्वी शिव प्रताप शुक्ल को भी हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया था.

पार्टी के ताजा फैसले शुक्रवार (29 जुलाई) को चार घंटे लंबी चली बैठक में लिए गए. पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में हुई बैठक में पार्टी की चुनावी रणनीतियों, महा-जनसंपर्क अभियान जैसे इसके कार्यक्रमों और संसदीय चुनावों से पहले चुनावी राज्यों में इसकी प्रगति पर चर्चा हुई.

द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इसमें भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष, राष्ट्रीय संयुक्त सचिव वी. सतीश, राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह, सुनील बंसल, विनोद तावड़े, तरुण चुग, कैलाश विजयवर्गीय और दुष्यंत गौतम सहित अन्य नेता शामिल हुए.

नेताओं ने विशेष रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम जैसे राज्यों में चुनावी रणनीतियों पर चर्चा की, जिनमें 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले विधानसभा चुनाव होंगे.

इस महीने की शुरुआत में कम प्रतिनिधित्व वाले जाति समूहों के नेताओं को प्रतिनिधित्व देने के प्रयास में पार्टी ने कई राज्यों में अपने नेतृत्व में भी फेरबदल किया था.

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