एक कार्यक्रम के दौरान मणिपुर हिंसा को लेकर भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख सेवानिवृत्त जनरल एमएम नरवणे ने कहा कि इसमें विदेशी एजेंसियों की संलिप्तता को ख़ारिज नहीं किया जा सकता है, बल्कि मैं कहूंगा कि यह निश्चित रूप से है. विभिन्न उग्रवादी समूहों को कथित तौर पर चीन की ओर सहायता कई वर्षों से जारी है.
नई दिल्ली: भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख सेवानिवृत्त जनरल एमएम नरवणे ने कहा है कि मणिपुर हिंसा में विदेशी हस्तक्षेप से इनकार नहीं किया जा सकता है और यह ‘निश्चित रूप से है’. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विभिन्न उग्रवादी समूहों को कथित तौर पर चीन की ओर सहायता कई वर्षों से जारी है.
इंडिया इंटरनेशनल सेंटर और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया कन्वर्सेशन सीरीज के 12वें व्याख्यान में बोलते हुए जनरल नरवणे ने ‘दो मोर्चों पर युद्ध’ (Two-front War) के खतरों पर भी बात की. साथ ही उन्होंने भारत के लिए संघर्षों को हल करने के लिए कूटनीति की जोरदार वकालत की, जो पाकिस्तान और चीन से ‘दो-मोर्चे के खतरे’ का सामना कर रहा है.
व्याख्यान में जनरल नरवणे से कई पत्रकारों ने मणिपुर की स्थिति और क्या यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, के बारे में पूछा.
इस पर उन्होंने कहा, ‘मणिपुर की बात करें तो मैंने शुरुआत में ही कहा था कि आंतरिक सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है और न केवल हमारे पड़ोसी देश में बल्कि अगर हमारे सीमावर्ती राज्य में अस्थिरता है तो वह अस्थिरता समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खराब है.’
उन्होंने आगे कहा कि जमीनी स्तर पर निर्णय लेने वालों को बेहतर पता होगा.
जनरल नरवणे ने कहा, ‘मुझे यकीन है कि जो लोग कुर्सी पर हैं, मेरा मतलब है कि जो भी कार्रवाई की जानी है उसे करने के लिए जिम्मेदार हैं, वे अपना सर्वश्रेष्ठ कर रहे हैं और हमें उनके बारे में दोबारा अनुमान लगाने की कोशिश करने से बचना चाहिए. जमीन पर मौजूद व्यक्ति सबसे अच्छी तरह जानता है कि क्या किया जाना है, लेकिन निश्चित रूप से अस्थिरता समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा अवधारणा के लिहाज से ठीक नहीं है.’
मणिपुर हिंसा को लेकर उन्होंने कहा कि इसमें विदेशी ताकतों की संलिप्तता से बिल्कुल भी इनकार नहीं किया जा सकता.
उन्होंने कहा, ‘विदेशी एजेंसियों की संलिप्तता… मैं कहता हूं कि इसे खारिज नहीं किया जा सकता है, बल्कि मैं कहूंगा कि यह निश्चित रूप से है, विशेष रूप से विभिन्न उग्रवादी समूहों को चीन से मिलने वाली सहायता. वे इतने सालों से उनकी मदद कर रहे हैं इसलिए वे (उन्हें) मदद करना जारी रखेंगे.’
जुलाई महीने की शुरुआत में मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने राज्य में तीन महीने से जारी जातीय हिंसा में विदेशी हाथ होने का संकेत दिया था. बीते 3 मई से जारी हिंसा के दौरान 150 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, कई लापता हैं, हजारों लोग विस्थापित हुए हैं और महिलाओं के खिलाफ क्रूर और अमानवीय अपराधों को अंजाम दिया गया है.
जनरल नरवणे ने यह भी कहा कि ‘दो मोर्चों पर खतरे’ और ‘दो मोर्चों पर युद्ध’ के बीच अंतर करना जरूरी है.
उन्होंने कहा, ‘हमारे पास दो मोर्चों पर खतरा है, लेकिन क्या हम दो मोर्चों पर युद्ध लड़ना चाहते हैं? नहीं, और अगर आप इतिहास में पीछे जाएं तो दो मोर्चों पर युद्ध लड़ने वाला कोई भी व्यक्ति कभी नहीं जीता है, चाहे जितना पीछे चले जाओ. और इसीलिए कूटनीति यह सुनिश्चित करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगी कि किसी एक मोर्चे को शांत रखा जाए.’
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