हिंसा प्रभावित मणिपुर के दौरे पर गए विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल अनुसुइया उइके को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि वे बीते क़रीब तीन महीनों से बदहाल राज्य की क़ानून और व्यवस्था की स्थिति केंद्र को बताएं ताकि वह शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए हस्तक्षेप करे.
नई दिल्ली: अपने मणिपुर दौरे के दूसरे दिन विपक्षी नेताओं ने राज्य की राज्यपाल अनुसुइया उइके को पत्र लिखकर उनसे राज्य में शांति और सद्भाव बहाल करने के लिए प्रभावी कदम उठाने का अनुरोध किया.
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (इंडिया) के 21 दलों का प्रतिनिधिमंडल हिंसा प्रभावित मणिपुर में जमीनी स्थिति का आकलन करने के लिए दो दिवसीय दौरे पर था.
उन्होंने राज्यपाल को बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने चूड़ाचांदपुर, मोइरांग और इंफाल में राहत शिविरों का दौरा किया और हिंसा से प्रभावित लोगों की चिंताओं, अनिश्चितताओं और पीड़ा की कहानियां सुनकर उन्हें बहुत हैरानी और दुख हुआ.
प्रतिनिधिमंडल ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र और राज्य सरकार पर मणिपुर में लोगों के जीवन और संपत्तियों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया और दावा किया कि पिछले तीन महीनों में 140 से अधिक लोग मारे गए और 500 घायल हो गए, जबकि लगभग 5,000 घर जला दिए गए और 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.
प्रतिनिधिमंडल ने पत्र में कहा, ‘राहत शिविरों में हालात दयनीय हैं. बच्चों का प्राथमिकता के आधार पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. पिछले तीन महीनों से जारी इंटरनेट प्रतिबंध अफवाहों को बढ़ावा दे रहा है, जो (समुदायों के बीच) मौजूदा अविश्वास में बढ़ा रहा है.’
विपक्षी नेताओं ने यह भी कहा कि शांति और सद्भाव बहाल करने के लिए विस्थापित लोगों का पुनर्वास प्राथमिकता में होना चाहिए.
पत्र में कहा गया है, ‘आपसे अनुरोध है कि आप पिछले 89 दिनों से मणिपुर में कानून और व्यवस्था के पूरी तरह से खराब हो चुके हालात से केंद्र सरकार को अवगत कराएं ताकि वह शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए हस्तक्षेप करे.’
The anger, anxiety, anguish, pain and sorrow of the people of Manipur seem to make absolutely no difference to the Prime Minister. While he is busy listening to his own voice and forcing down his ‘Mann ki Baat’ on crores of Indians, the 21 MP delegation of Team INDIA is talking… pic.twitter.com/vE0WkheCet
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) July 30, 2023
संसद के चल रहे मानसून सत्र में मणिपुर हिंसा पर गतिरोध के बीच ‘इंडिया’ गठबंधन के दलों के दो दिवसीय दौरे ने काफी ध्यान आकर्षित किया है. विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री से मणिपुर हिंसा पर बयान देने और सरकार से सदनों में आम कामकाज निलंबित करके इस मसले पर चर्चा करने का आग्रह किया है.
नरेंद्र मोदी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर ‘इंडिया’ में शामिल दलों ने अविश्वास प्रस्ताव भी पेश किया है जो प्रधानमंत्री को संसद में बोलने के लिए मजबूर करेगा. हालांकि, अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार किए जाने के बावजूद केंद्र सरकार ने महत्वपूर्ण मामलों पर विधेयक पारित करना जारी रखा है, जबकि उन पर विस्तृत चर्चा की आवश्यकता है.
संसद के घटनाक्रम और पिछले तीन महीनों से विपक्षी दलों द्वारा की जारी मोदी से प्रतिक्रिया देने की निरंतर मांग ने ‘इंडिया’ में शामिल दलों की मणिपुर यात्रा के लिए मंच तैयार किया. राज्यपाल को लिखे पत्र में भी प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि मोदी की चुप्पी ‘मणिपुर में हिंसा के प्रति उनकी निर्लज्ज उदासीनता’ को दर्शाती है.
‘इंडिया’ के प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, गौरव गोगोई, कोडिकुन्निल सुरेश और फूलो देवी नेताम; तृणमूल कांग्रेस की सुष्मिता देव, झारखंड मुक्ति मोर्चा की महुआ माजी, द्रविड़ मुनेत्र कषगम के कनिमोझी और डी. रविकुमार, एनसीपी के मोहम्मद फैजल, राष्ट्रीय लोक दल के जयंत चौधरी, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एनके प्रेमचंद्रन, तमिलनाडु के विदुथलाई चिरुथिगल काची के टी. तिरुमावलवन, जनता दल (यूनाइटेड) के प्रमुख राजीव रंजन (ललन) सिंह और उनकी पार्टी के नेता अनिल प्रसाद हेगड़े, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पी. संतोष कुमार, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के ए.ए. रहीम, समाजवादी पार्टी के जावेद अली खान, इंडिया यूनियन मुस्लिम लीग के ईटी मोहम्मद बशीर, आम आदमी पार्टी के सुशील गुप्ता और शिवसेना-उद्धव ठाकरे से अरविंद सावंत शामिल थे.
मणिपुर दौरा ‘इंडिया’ की ओर से पहला संयुक्त राजनीतिक दौरा है. प्रतिनिधिमंडल के सभी 21 सदस्यों ने कथित तौर पर मणिपुर में स्थिति को तनावपूर्ण बने रहने देने के लिए प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार पर निशाना साधा.
द वायर से बात करते हुए कांग्रेस के गौरव गोगोई ने कहा, ‘कैसे महिलाओं पर हमला किया गया और गांवों को जला दिया गया, दो दिन यह कहानियां सुनना दर्दनाक था. शुरुआत में पर्याप्त चेतावनी के संकेत के बावजूद लोगों को सुरक्षा न देने को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ वहां वास्तव में गुस्सा है.’
टीएमसी की राज्यसभा सांसद सुष्मिता देव ने एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि ‘इंडिया’ मणिपुर के पीड़ित लोगों के साथ खड़ा है और ‘प्रधानमंत्री को जवाबदेह बनाने के लिए मानसून सत्र के आखिरी दिन तक लड़ेगा.’
देव ने इससे पहले कहा था कि प्रतिनिधिमंडल ने उन दो महिलाओं में से एक से मुलाकात की, जिनके साथ यौन उत्पीड़न किया गया था और सार्वजनिक तौर पर निर्वस्त्र घुमाया गया था, जिसके चलते वे पिछले तीन महीनों से सदमे में हैं. उन्होंने कहा कि पीड़िता का केवल एक ही अनुरोध था कि घटना के दौरान मारे गए उसके पति और बेटे के शवों को देखने में उसकी मदद की जाए.
राहत शिविर का दौरा करने के बाद अधीर रंजन चौधरी ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा, ‘वे (अपराधों की) सीबीआई से जांच की बात कर रहे हैं… मैं पूछना चाहता हूं कि क्या वे (केंद्र सरकार) अब तक सो रहे थे?’
वहीं, कांग्रेस नेता फूलो देवी नेताम ने मणिपुर की स्थिति को ‘हृदयविदारक’ बताया.
एएनआई के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘…एक हॉल में 400-500 लोग रह रहे हैं. राज्य सरकार उन्हें सिर्फ दाल-चावल मुहैया करा रही है, बच्चों को पूरे दिन खाने के लिए और कुछ नहीं मिल रहा है. शौचालय या बाथरूम की कोई सुविधा नहीं है. जिस तरह से लोग शिविरों में रह रहे हैं वह हृदयविदारक है…’
प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्यों ने भी राहत शिविरों की खराब स्थिति पर प्रकाश डाला. सीपीआई (एम) सांसद एए रहीम ने कहा, ‘वहां सारी व्यवस्थाएं ठप हो गई हैं. डबल इंजन (केंद्र और राज्य में भाजपा सरकारों का जिक्र करते हुए) पूरी तरह से पंगु हो गया है, विफल हो गया है. राहत शिविरों में कोई राहत नहीं है… मैं केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों से शांति बहाल करने के लिए कहना चाहूंगा… नफरत की राजनीति के कारण प्रधानमंत्री वहां नहीं जा सकते… यह मणिपुर में भाजपा और आरएसएस के नेतृत्व में राजनीतिक ध्रुवीकरण का परिणाम है…’
जेएमएम सांसद महुआ माजी ने एएनआई को बताया, ‘दोनों समुदायों के सदस्य वहां चिंतित हैं. हिंसा अभी भी जारी है… राज्यपाल ने हमसे पहल करने और समाधान निकालने को कहा है. वह स्वयं असहाय महसूस कर रही हैं.’
इस बीच, भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने प्रतिनिधिमंडल पर हमला बोला और कांग्रेस शासित राजस्थान और टीएमसी शासित पश्चिम बंगाल में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की ओर इशारा किया.
इससे पहले एक संक्षिप्त बयान देते हुए मोदी ने भी मणिपुर में यौन उत्पीड़न के मामलों की तुलना कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ और राजस्थान के मामलों से की थी. प्रधानमंत्री के बयान को राजनीतिक पैंतरे के रूप में देखा गया, क्योंकि उन्होंने स्पष्ट रूप से भाजपाशासित मध्य प्रदेश को छोड़ दिया, जो महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में लगातार शीर्ष पर रहा है.