प्रेम विवाह के लिए माता-पिता की सहमति अनिवार्य करने के बारे में अध्ययन कराएंगे: गुजरात सीएम

इससे पहले गुजरात के दो विधायकों ने मांग की थी कि गुजरात विवाह पंजीकरण अधिनियम, 2009 में बदलाव किया जाए ताकि प्रेम विवाह को उसी तालुका में स्थानीय गवाहों की उपस्थिति में और माता-पिता की सहमति से पंजीकृत किया जा सके, जहां लड़की रहती है.

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गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल. (फोटो साभार: फेसबुक)

इससे पहले गुजरात के दो विधायकों ने मांग की थी कि गुजरात विवाह पंजीकरण अधिनियम, 2009 में बदलाव किया जाए ताकि प्रेम विवाह को उसी तालुका में स्थानीय गवाहों की उपस्थिति में और माता-पिता की सहमति से पंजीकृत किया जा सके, जहां लड़की रहती है.

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा है कि उनकी सरकार ‘संविधान के दायरे में’ रहते हुए प्रेम विवाह में माता-पिता की सहमति को अनिवार्य बनाने की संभावना पर विचार करेगी.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पटेल ने रविवार को मेहसाणा जिले के नुगर गांव में छात्रों को सम्मानित करने के लिए पाटीदार समुदाय के एक कार्यक्रम में यह टिप्पणी की.

उन्होंने कहा, ‘(कार्यक्रम स्थल पर)आते समय रुशिकेशभाई पटेल मुझसे कह रहे थे कि हमें लड़कियों के घर छोड़कर चले जाने के मामलों पर दोबारा गौर करना चाहिए और सभी (पहलुओं) का अध्ययन किया जाना चाहिए… इसलिए यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ किया जा सकता है कि इसमें (प्रेम विवाह) माता-पिता की सहमति हो.’

रुशिकेशभाई पटेल राज्य के स्वास्थ्य मंत्री हैं.

सीएम ने आगे कहा, ‘अगर संविधान इसमें बाधा नहीं होगा तो हम उसके लिए अध्ययन कराएंगे. और हम यह भी कोशिश करेंगे कि इसके अच्छे नतीजे मिलें.’

यह कार्यक्रम सरदार पटेल समूह (एसपीजी) द्वारा आयोजित किया गया था, जो एक पाटीदार समूह है जिसने 2015 में समुदाय के आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व किया था. इसमें राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम नितिन पटेल के अलावा कई पाटीदार नेता भी शामिल हुए थे.

सीएम की घोषणा की अहमदाबाद के जमालपुर-खड़िया निर्वाचन क्षेत्र से विपक्षी कांग्रेस के विधायक इमरान खेड़ावाला ने इसकी सराहना की, जिन्होंने इसे समर्थन देने के लिए सोमवार को सीएम को पत्र लिखा.

खेड़ावाला ने अख़बार से कहा, ‘यह हिंदू-मुस्लिम मुद्दा नहीं है, बल्कि दो परिवारों से जुड़ा मसला है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘घर से भागने पर लड़की का परिवार टूट जाता है और वह समाज का सामना नहीं कर पाती. माता-पिता अपने बच्चों को पालते-पोसते हैं, इसलिए उनकी रज़ामंदी अनिवार्य की जानी चाहिए. मेरे पास ऐसे कई मामले आए हैं, जहां लड़कियां अपने माता-पिता की मर्जी के खिलाफ चली गईं और बाद में उन्हें पछताना पड़ा.’

खेड़ावाला ने विधानसभा के आगामी मानसून सत्र में इस मुद्दे पर एक विधेयक लाने की मांग की और कहा कि वह इसका समर्थन करेंगे. उन्होंने जोड़ा, ‘यह विधेयक लाना जरूरी है, क्योंकि आजकल बच्चे अपने माता-पिता के नियंत्रण में नहीं हैं. वे संवेदनहीन हो गए हैं.’

मुख्यमंत्री की रविवार (30 जुलाई) की घोषणा खेड़ावाला की पार्टी के नेता और विधायक गेनीबेन ठाकोर द्वारा विधानसभा में भाजपा विधायक फतेसिंह चौहान की मांग को दोहराने के चार महीने बाद आई. भाजपा विधायक ने माता-पिता की सहमति को शामिल करने के लिए राज्य के विवाह कानून में संशोधन की मांग की थी.

दोनों विधायकों ने मांग की थी कि गुजरात विवाह पंजीकरण अधिनियम, 2009 में बदलाव किया जाए ताकि प्रेम विवाह को उसी तालुका में स्थानीय गवाहों की उपस्थिति में और माता-पिता की सहमति से पंजीकृत किया जा सके, जहां लड़की रहती है.