सरकार ने कहा- राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग को स्वायत्तता देने की कोई योजना नहीं

नरेंद्र मोदी सरकार के तहत भारत के आंकड़ा संग्रह और उन्हें जारी करने के तंत्र की आलोचना की गई है, क्योंकि सरकार ने अप्रिय आंकड़ों के कारण कई रिपोर्टों को गुप्त रखने की कोशिश की है. 2021 की जनगणना, जिसे कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया था, अभी भी नहीं हुई है.

(फोटो साभार: Public Domain)

नरेंद्र मोदी सरकार के तहत भारत के आंकड़ा संग्रह और उन्हें जारी करने के तंत्र की आलोचना की गई है, क्योंकि सरकार ने अप्रिय आंकड़ों के कारण कई रिपोर्टों को गुप्त रखने की कोशिश की है. 2021 की जनगणना, जिसे कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया था, अभी भी नहीं हुई है.

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बीते सोमवार (31 जुलाई) को राज्यसभा को बताया कि किसी कानून का उपयोग करके राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) को सशक्त बनाने की उसकी कोई योजना नहीं है.

क्या सरकार चयन प्रक्रिया को राजनीतिक पूर्वाग्रह से मुक्त करके राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग को सशक्त बनाने की योजना बना रही है, इस सवाल के जवाब में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने यह जानकारी दी.

बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, सिंह ने जवाब दिया कि आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों का चयन सरकार द्वारा समय-समय पर गठित एक खोज समिति की सिफारिशों के आधार पर किया जाता है. उन्होंने कहा, ‘इसके मद्देनजर फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है.’

उन्होंने कहा कि आयोग को वित्तीय स्वायत्तता प्रदान करने और सांख्यिकीय प्रणाली की देखरेख के लिए वैधानिक शक्तियों के साथ तकनीकी रूप से सुसज्जित इकाई बनाने का भी कोई प्रस्ताव नहीं है.

नरेंद्र मोदी सरकार के तहत भारत के आंकड़ा संग्रह और उन्हें जारी करने के तंत्र की आलोचना की गई है, क्योंकि सरकार ने अप्रिय आंकड़ों के कारण कई रिपोर्टों को गुप्त रखने की कोशिश की है. 2021 की जनगणना, जिसे कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया था, अभी भी नहीं हुई है.

हाल ही में केंद्र सरकार ने आधिकारिक आंकड़ों के लिए एक नया निरीक्षण तंत्र स्थापित किया है. इसके तहत साल 2019 के अंत में स्थापित आर्थिक सांख्यिकी पर स्थायी समिति (एससीईएस) की जगह सांख्यिकी पर स्थायी समिति (एससीओएस) बनाई गई है.

एससीईएस को औद्योगिक क्षेत्र, सेवा क्षेत्र और श्रम बल के आंकड़ों से संबंधित आर्थिक संकेतकों की जांच करने का काम सौंपा गया था.

इसका मतलब यह था कि उनका दायरा आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण, उद्योगों का वार्षिक सर्वेक्षण, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक और आर्थिक जनगणना जैसे डेटासेट तक सीमित था.

भारत के पहले मुख्य सांख्यिकीविद् और राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रोनाब सेन को समिति का नया अध्यक्ष नामित किया गया है.

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