बजरंग दल ने दरांग ज़िले के महर्षि विद्या मंदिर स्कूल में पांच दिवसीय कार्यशाला आयोजित कर 350 युवाओं को हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया था. विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने इस बारे ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बजरंग दल के ख़िलाफ़ कार्रवाई और ज़िला प्रशासन की भूमिका की जांच की मांग की है.
नई दिल्ली: असम विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राज्य कांग्रेस के नेता देबब्रत सैकिया ने मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा को एक पत्र लिखकर एक स्कूल में स्थानीय युवाओं के लिए पांच दिवसीय हथियार प्रशिक्षण आयोजित करने के लिए बजरंग दल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा होने देने के लिए सैकिया ने जिला प्रशासन की भूमिका की जांच की मांग उठाई है. असम पुलिस ने हिंदुत्व समूह के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
31 जुलाई को असम में बजरंग दल द्वारा स्थानीय युवाओं को हथियार चलाने का प्रशिक्षण देने वाला एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसके बाद सैकिया ने मामले को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया, जो राज्य के गृह मंत्री भी हैं.
ख़बरों में राज्य के बजरंग दल नेताओं के हवाले से कहा गया है कि संगठन ने दरांग जिले के मंगलदोई इलाके में महर्षि विद्या मंदिर स्कूल में आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला में ‘350 युवाओं को हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया और उन्हें कला, आध्यात्मिकता और राजनीति के अलावा मार्शल आर्ट भी सिखाया.’
वायरल वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए सैकिया ने सीएम को लिखे पत्र में कहा कि असम में संगठन द्वारा इस तरह के हथियार प्रशिक्षण 2017 और 2019 में भी सामने आए थे. उन्होंने लिखा, ‘यह पहली बार नहीं है जब इस तरह के शिविर आयोजित किए गए हैं… मेरी पार्टी (कांग्रेस) ने इसका विरोध किया था है.’
सैकिया ने कहा, ‘ऐसे समय में जब असम में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए सभी उपाय कर रहे हैं, प्रतिक्रियावादी ताकतों का एक वर्ग राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति को प्रभावित करने के लिए धार्मिक उन्माद पैदा करना चाहता है.’
कांग्रेस नेता ने कई दिनों से चल रहे हथियारों के प्रशिक्षण को अनदेखा करने लिए जिला प्रशासन के खिलाफ उचित कार्रवाई की भी मांग की. उन्होंने जिले में ऐसी कार्यशाला आयोजित करने की अनुमति देने के लिए स्थानीय प्रशासन की जांच की मांग की.
बाद में स्थानीय मीडिया से बात करते हुए सैकिया ने कहा कि मुख्यमंत्री खुद सांप्रदायिक आधार पर बोल रहे हैं और उन्होंने मुख्य रूप से उनके हालिया बयान पर प्रकाश डाला, जिसमें मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा था कि राज्य में सब्जियों की कीमत में वृद्धि के लिए पूर्वी बंगाली मूल के मुसलमान जिम्मेदार हैं. समुदाय के अधिकांश लोग कृषि कार्य से जुड़े हैं.
सैकिया ने कहा, ‘हम हमेशा से जानते हैं कि असम में सब्जियों की कीमत में वृद्धि बिचौलियों और सिंडिकेट के कारण है, यह विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के माध्यम से साबित हो चुका है, लेकिन मुख्यमंत्री ने इसके लिए एक विशेष समुदाय को निशाना बनाया… हाल ही में कई संगठनों ने राज्य में सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाने की कोशिश की है.’
उन्होंने कहा, ‘चूंकि वीडियो में हमने बजरंग दल के नेताओं को यह दावा करते हुए सुना है कि वे प्रशिक्षण दे रहे हैं क्योंकि वे सुरक्षित महसूस करना चाहते हैं, मैं कहना चाहता हूं कि यह राज्य प्रशासन और राज्य पुलिस के लिए शर्म की बात है क्योंकि जहां तक हम जानते हैं, कानून बनाए रखना और आदेश देना पुलिस का काम है.’
द वायर से बात करते हुए सैकिया ने कहा, ‘आदर्श रूप से इस तरह के प्रशिक्षण के आधार पर राज्यपाल को केंद्र को राज्य में राष्ट्रपति शासन का सुझाव देना चाहिए क्योंकि कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है.’
उन्होंने यह भी कहा, ‘भाजपा शासित राज्य में हिंदू विशेष रूप से असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, यह भी इंगित करता है कि कानून और व्यवस्था बनाए रखने में कुछ समस्या है.’
राज्य सीपीआई (एम) ने यह भी मांग की कि पुलिस खुलेआम हथियारों का इस्तेमाल करने वाले बजरंग दल के सदस्यों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करे. पार्टी के राज्य सचिव सुप्रकाश तालुकदार ने एक बयान में इसे राज्य में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की साजिश बताया.
इसके बाद 1 अगस्त को दरांग पुलिस ने ट्वीट कर कहा, ‘महर्षि विद्या मंदिर, मंगलदाई में राष्ट्रीय बजरंग दल द्वारा आयोजित प्रशिक्षण शिविर से संबंधित वीडियो के संदर्भ में आईपीसी के तहत मंगलदाई पुलिस थाने में मुकदमा संख्या 357 यू/एस 153 ए/34 दर्ज किया गया है.’
राज्य के पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह ने ट्विटर पर यह भी कहा कि जिला पुलिस को कानून की उचित धाराओं के तहत मामला दर्ज करने, जांच करने और कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है.
ये धाराएं धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और सद्भाव बनाए रखने के खिलाफ प्रतिकूल कार्य करना करने से संबंधित हैं.
राज्य के एक बजरंग दल नेता ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि इस तरह की कार्यशालाएं पड़ोसी देशों के ‘अवैध अप्रवासियों’ से सुरक्षा खतरों का मुकाबला करने के लिए नियमित रूप से आयोजित की जाती हैं.