राज्यसभा में टीएमसी सांसद डोला सेन द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी ने बताया कि मणिपुर में तीन महीने से चल रहे जातीय संघर्ष के चलते कुल 14,763 स्कूल जाने वाले बच्चे विस्थापित हो गए हैं. उन्होंने दावा किया कि ऐसे 93% विद्यार्थियों को उनके पास के स्कूल में मुफ्त में प्रवेश दिया गया है.
नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बुधवार को संसद में बताया कि मणिपुर में तीन महीने से चल रहे जातीय संघर्ष के चलते कुल 14,763 स्कूल जाने वाले बच्चे विस्थापित हो गए हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, उन्होंने जोड़ा कि ऐसे 93.5% छात्रों को निकटतम स्कूल में मुफ्त में प्रवेश दिया गया है.
मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों से पता चला है कि हिंसा का केंद्र रहे चूड़ाचांदपुर जिले से 4,099 छात्र विस्थापित हुए, इसके बाद कांगपोकपी से 2,822 और बिष्णुपुर से 2,063 छात्र विस्थापित हुए हैं.
शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी ने तृणमूल कांग्रेस विधायक डोला सेन के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को बताया, ‘मणिपुर सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, राज्य की वर्तमान स्थिति के कारण कुल 14,763 स्कूल जाने वाले बच्चे विस्थापित हो गए हैं. विस्थापित छात्रों की प्रवेश प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रत्येक राहत शिविर के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है. 93.5% विस्थापित छात्रों को निकटतम संभावित स्कूल में निशुल्क प्रवेश दिया गया है.’
डोला सेन हाल ही में मणिपुर का दौरा करने वाले 21 सदस्यीय विपक्षी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थीं. उन्होंने सरकार से पूछा था कि क्या उसके पास ऐसे स्कूली बच्चों की जानकारी है जो वर्तमान संघर्ष के कारण विस्थापित हुए हैं.
शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि स्कूल जाने वाले 14,763 विस्थापित बच्चों में से 13,806 या 93.5% को लगभग स्कूलों में दाखिला दिया गया है. मंत्रालय ने विस्थापित छात्रों की वर्तमान प्रवेश स्थिति के साथ जिलेवार विवरण भी दिया, जिसमें बताया गया कि कामजोंग, जिरीबाम, थौबल, वांगोई, बिष्णुपुर, इंफाल पश्चिम और इंफाल पूर्वी जिलों में सभी विस्थापित छात्रों को पास के स्कूलों में प्रवेश दिया गया है.
उल्लेखनीय है कि तीन मई से राज्य में हिंसा शुरू हुई थी. अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स द्वारा बीते हफ्ते जारी आंकड़ों के अनुसार, हिंसा में 181 लोग मारे गए हैं, जिनमें कुकी लोगों की संख्या 113 है, जबकि मेईतेई समुदाय के मृतकों की संख्या 62 है. बताया गया है कि अब तक राज्य से 50,000 के करीब लोग विस्थापित हुए हैं.
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेईतेई समुदाय की मांग के विरोध में बीते 3 मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं, हिंसा में बदल गई और अब भी जारी हैं.
मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेईतेई समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं.