केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राज्यसभा में कहा कि वेद भारतीय ज्ञान का ‘मौलिक आधार’ है. भारतीय ज्ञान परंपरा को अगली पीढ़ी तक ले जाना और वेद ज्ञान को मुख्यधारा की आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ना सरकार की प्राथमिकता है.
नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को राज्यसभा में बताया कि सरकार उज्जैन में प्राथमिक केंद्र के अलावा महर्षि संदीपनि राष्ट्रीय वेद संस्कृत शिक्षा बोर्ड (एमएसआरवीएसएसबी) के पांच नए क्षेत्रीय केंद्र स्थापित करेगी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्री ने कहा, ‘उज्जैन में महर्षि संदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान के अलावा वेद विद्या को बढ़ावा देने के लिए उत्तर-पूर्व में चारधाम और मां कामाख्या देवी पीठ में पांच उपकेंद्र शुरू किए जा रहे हैं.’
एमएसआरवीएसएसबी की स्थापना 8 अगस्त, 2022 को की गई थी, जिसमें उज्जैन वैदिक शिक्षा बोर्ड का एकमात्र केंद्र था.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कई सदस्यों द्वारा वैदिक शिक्षा पर मौखिक प्रश्नों का उत्तर देते हुए प्रधान ने कहा कि वेद भारतीय ज्ञान का ‘मौलिक आधार’ है. भारतीय ज्ञान परंपरा को अगली पीढ़ी तक ले जाना और वेद ज्ञान को मुख्यधारा की आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ना सरकार की प्राथमिकता है.
उन्होंने कहा, ‘पहले देश में वैदिक शिक्षा की कोई औपचारिक व्यवस्था नहीं थी, प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में महर्षि संदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान को शिक्षा बोर्ड द्वारा मान्यता दी गई. वेद विद्या और संस्कृत की शिक्षा बिना किसी भेदभाव के समाज के हर वर्ग तक पहुंचनी चाहिए, यह इस सरकार की प्राथमिकता है.’
प्रधान ने सदन को यह भी बताया कि सरकार जल्द ही वेद विद्या को बढ़ावा देने के लिए चार धामों- बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथ और रामेश्वरम और गुवाहाटी में महर्षि संदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान के पांच क्षेत्रीय केंद्र स्थापित करेगी.
प्रधान ने कहा कि वर्तमान में देश भर में बोर्ड से संबद्ध 123 स्कूल हैं जिनमें 4,600 छात्र और 632 शिक्षक हैं.
इन स्कूलों में पिछड़े समुदायों के प्रतिनिधित्व पर एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए प्रधान ने कहा, ‘वर्तमान में हमारे पास वैदिक शिक्षा प्रणाली में आरक्षण नहीं है.’
पिछले साल बोर्ड की स्थापना के तुरंत बाद अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने अपने अनुमोदित संस्थानों से एमएसआरवीवीपी द्वारा उम्मीदवारों को दिए गए वेद भूषण और वेद विभूषण प्रमाणपत्रों को केंद्रीय और राज्य शिक्षा बोर्डों द्वारा जारी कक्षा 10 और 12 के प्रमाणपत्रों के बराबर मानने के लिए कहा था.