मोदी सरनेम केस: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल

सुप्रीम कोर्ट ने बीते शुक्रवार को मोदी सरनेम मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दोषसिद्धि और दो साल की सज़ा पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद लोकसभा सचिवालय ने भी उनकी सदस्यता की बहाली को मंज़ूरी दे दी.

सदस्यता बहाल होने के बाद लोकसभा में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी. (स्क्रीनग्रैब साभार: संसद टीवी)

सुप्रीम कोर्ट ने बीते शुक्रवार को मोदी सरनेम मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दोषसिद्धि और दो साल की सज़ा पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद लोकसभा सचिवालय ने भी उनकी सदस्यता की बहाली को मंज़ूरी दे दी.

सदस्यता बहाल होने के बाद लोकसभा में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी. (स्क्रीनग्रैब साभार: संसद टीवी)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने के बाद लोकसभा सचिवालय ने भी सोमवार को उनकी संसद में वापसी को मंजूरी दे दी.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, राहुल गांधी ने सोमवार को संसद पहुंचकर लोकसभा की कार्यवाही में शामिल होने से पहले गांधी प्रतिमा को श्रद्धांजलि अर्पित की.

बता दें कि ‘मोदी सरनेम’ मानहानि मामले में अदालत ने शुक्रवार (4 अगस्त) को राहुल गांधी की दोषसिद्धि और दो साल की सज़ा पर रोक लगाते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट ने अपराध के तहत अधिकतम सज़ा देने के लिए विशेष कारण नहीं बताए हैं.

गौरतलब है कि सूरत की एक अदालत ने राहुल गांधी को उक्त मामले में दोषी पाया था और उन्हें अधिकतम दो साल की कैद की सजा सुनाई थी, जिसके कारण उन्हें लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

इससे पहले पिछले महीने गुजरात हाईकोर्ट ने गांधी की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.

इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राहुल गांधी की सदस्यता बहाल करने के कदम को स्वागतयोग्य बताया और कहा कि यह भारत के लोगों के लिए राहत लाया है, खासकर वायनाड (राहुल गांधी का लोकसभा क्षेत्र) के लोगों के लिए.

इससे पहले कांग्रेस नेताओं और ‘इंडिया’ गठबंधन के सदस्यों ने राहुल की लोकसभा सदस्यता बहाल करने को लेकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला द्वारा की जा रही देरी पर सवाल उठाया था, क्योंकि उनकी सदस्यता रद्द करने में काफी तत्परता दिखाई गई थी और अदालती फैसले के 24 घंटों के भीतर ही उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

मालूम हो कि राहुल के खिलाफ भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी द्वारा 13 अप्रैल, 2019 को केस दर्ज कराया गया था. उन्होंने कर्नाटक के कोलार में लोकसभा चुनाव के समय एक रैली में राहुल द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर शिकायत की थी.

राहुल गांधी ने कथित तौर पर रैली के दौरान कहा था, ‘सभी चोर, चाहे वह नीरव मोदी हों, ललित मोदी हों या नरेंद्र मोदी, उनके नाम में मोदी क्यों है.’

इस साल 23 मार्च को सूरत की एक अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उनकी कथित ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ दायर 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में दो साल की जेल की सजा सुनाई थी.

हालांकि इसके कुछ ही देर बाद अदालत ने 15,000 रुपये के मुचलके पर राहुल गांधी की जमानत मंजूर कर ली और उन्हें इसके खिलाफ अपील करने की अनुमति देने के लिए 30 दिनों के लिए सजा पर रोक लगा दी थी.

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा 8(3) के अनुसार, यदि किसी सांसद को किसी अपराध का दोषी ठहराया जाता है और कम से कम दो साल की सजा सुनाई जाती है, तो वह अयोग्यता का पात्र होगा.

दोषी ठहराए जाने के अगले दिन 24 मार्च को राहुल गांधी को लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया. लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया था कि केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी को 23 मार्च 2023 से अयोग्य घोषित कर दिया गया है. इसके बाद उन्हें उनका सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस भी मिला था.

उन्होंने प्रोटोकॉल के मुताबिक बीते 22 अप्रैल को अपना तुगलक लेन का सरकारी बंगला खाली कर दिया. 2004 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से जीतने के बाद उन्हें पहली बार बंगला आवंटित किया गया था.

इस बीच बीते 3 अप्रैल को अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग करते हुए राहुल गांधी ने अदालत का रुख किया था, हालांकि बीते 20 अप्रैल को सूरत की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रॉबिन मोगेरा की एक अदालत ने राहुल गांधी को मिली दो साल की सजा पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दिया था.