द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
मणिपुर में तीन महीने से जारी हिंसा को लेकर दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जांच, पुनर्वास और अन्य मानवीय मसलों की निगरानी के लिए पूर्व न्यायाधीशों की समिति गठित की है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, इस तीन सदस्यीय न्यायिक समिति, जिसमें सेवानिवृत्त न्यायाधीश आशा मेनन और जस्टिस शालिनी. पी जोशी शामिल हैं, की अगुवाई जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल करेंगी. कोर्ट ने हिंसा की सीबीआई जांच की निगरानी के लिए मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त दत्तात्रेय पडसलगाइकर को नियुक्त करने का प्रस्ताव भी रखा है.
हरियाणा के नूंह में हिंसा के बाद राज्य के कई हिस्सों में निषेधाज्ञा के बावजूद गुड़गांव में एक ‘हिंदू महापंचायत’ आयोजित की गई, जहां मुस्लिमों के बहिष्कार का आह्वान किया गया. रिपोर्ट के अनुसार, बीते दिनों हिंसा का शिकार हुई अंजुमन मस्जिद के पास गुड़गांव के सेक्टर 57 के तिगरा गांव में आयोजित महापंचायत में मुसलमानों के सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार के आह्वान के साथ-साथ दावा किया गया कि बीते दिनों एक मस्जिद पर हमला करने वाले लोग निर्दोष हैं. इसमें शामिल हुए लोगों ने मांग की कि सात दिनों के भीतर केस से उनके नाम हटा दिए जाएं. ऐसा न होने पर उन्होंने चक्का जाम करने की धमकी दी है.
मणिपुर में जारी हिंसा के बीच स्थानीय दल कुकी पीपुल्स अलायंस (केपीए) ने एन. बीरेन सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, केपीए अध्यक्ष टोंगमांग हाओकिप ने रविवार शाम एक बयान में कहा, ‘मौजूदा टकराव पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर की मौजूदा सरकार को समर्थन देना अब निरर्थक है. भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सदस्य केपीए के मणिपुर सरकार में दो विधायक हैं.
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने नूंह हिंसा के बाद हिंसा प्रभावित क्षेत्र में चल रही ध्वस्तीकरण कार्रवाई पर रोक लगा दी है. एनडीटीवी के अनुसार, अदालत ने मामले में स्वतः संज्ञान लिया था. कोर्ट के आदेश के बाद अधिकारियों ने कार्रवाई रुकवा दी. ख़बरों के अनुसार, पिछले चार दिनों में 750 से ज्यादा इमारतें ढहा दी गईं. जिन लोगों के घर तोड़े गए, उनमें से कई ने दावा किया कि उन्हें पूर्व सूचना नहीं दी गई थी कई नेताओं ने स्थानीय प्रशासन पर मुसलमानों को निशाना बनाने का आरोप लगाया गया था. हालांकि, प्रशासन ने कहा है कि वे ‘अवैध निर्माण’ और अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं और किसी भी व्यक्ति को निशाना नहीं बनाया जा रहा है.
उत्तर प्रदेश के भदोही में पुलिस ने एक वॉट्सऐप ग्रुप सदस्य के योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ टिप्पणी करने पर ग्रुप एडमिन गिरफ़्तार किया है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पुलिस ने सहाबुद्दीन अंसारी नाम के एक धागा कारोबारी को गिरफ़्तार करते हुए कहा कि वॉट्सऐप ग्रुप ‘नगर पालिका परिषद भदोही’ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ कथित अपमानजक टिप्पणी की गई थी और एडमिन के तौर पर अंसारी ने टिप्पणी करने वाले के ख़िलाफ़ कोई क़दम नहीं उठाया. उक्त ग्रुप का नाम ‘नगर पालिका परिषद भदोही’ है, जिसका उपयोग लोग अपने क्षेत्रों की समस्याओं को साझा करने के लिए करते हैं. इसमें नगर पालिका कर्मचारियों और स्थानीय निवासियों सहित 418 सदस्य हैं.
एक संसदीय समिति ने कहा है कि हवाई अड्डों की इंफ्रास्ट्रक्चर, सजावट आदि पर किफ़ायत से खर्च किया जाए ताकि यात्रा का खर्च आम आदमी की पहुंच में रहे. द हिंदू के मुताबिक, राज्यसभा सांसद सुजीत कुमार की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा है कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण द्वारा संचालित और निजी तौर पर संचालित हवाईअड्डों का आधुनिकीकरण किफायती तरीके से हो, ताकि परिचालन की लागत कम हो सके. सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि यात्रियों के साथ-साथ एयरलाइन ऑपरेटरों को भी किफायती सेवाएं मिलें और यात्रा की लागत आम आदमी की पहुंच के भीतर रहे.
पूर्व सीजेआई और अब राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई ने सोमवार को पहली बार सदन में भाषण दिया, जिसके विरोध में चार महिला सदस्य सदन की कार्यवाही छोड़कर चली गईं. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, वॉक आउट करने वाली चार सांसद सपा की जया बच्चन, शिवसेना (यूबीटी) प्रियंका चतुर्वेदी, एनसीपी की वंदना चह्वाण और टीएमसी की सुष्मिता देव थीं. 2019 में द वायर समेत चार मीडिया संस्थानों ने सुप्रीम कोर्ट की एक महिला कर्मचारी द्वारा शीर्ष अदालत के 22 जजों को भेजे हलफनामे को प्रकाशित किया था, जहां उन्होंने आरोप लगाया था कि गोगोई ने अक्टूबर 2018 में उनका यौन उत्पीड़न किया था. बाद में गोगोई द्वारा नियुक्त समिति ने महिला के आरोपों में दम नहीं है, कहते हुए गोगोई को क्लीनचिट दे दी थी.
मोदी सरनेम मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सजा पर रोक के आदेश के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल कर दी गई. रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को लोकसभा सचिवालय द्वारा इस बाबत नोटिस जारी किया गया, जिसके बाद राहुल गांधी संसद में पहुंचे और सोमवार की कार्यवाही में भाग लिया.