चेन्नई की शीर्ष कला और सांस्कृतिक अकादमी ‘कलाक्षेत्र फाउंडेशन’ में कई छात्राओं ने सहायक प्रोफेसर हरि पद्मन पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. आरोपों की जांच के लिए गठित समिति ने अब उन्हें दोषी बताते हुए ‘बड़ी सज़ा’ देने की अनुशंसा की है.
नई दिल्ली: चेन्नई में शीर्ष कला और सांस्कृतिक अकादमी ‘कलाक्षेत्र फाउंडेशन’ में यौन उत्पीड़न के आरोपी प्रोफेसर हरि पद्मन को फाउंडेशन द्वारा गठित स्वतंत्र जांच समिति ने दोषी पाया है.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, इस तीन सदस्यीय समिति में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश के. कन्नन, तमिलनाडु की पूर्व डीजीपी लतिका सरन और मेडिकल प्रोफेशनल शोभा वर्धमान शामिल थे.
एक विज्ञप्ति में समिति के सदस्यों ने कहा, ‘चूंकि रिपोर्ट में बेहद संवेदनशील जानकारी है, जो सामने आने पर व्यक्तियों की निजता के खिलाफ होगी, इसलिए हमने अध्यक्ष को रिपोर्ट के अंतिम भाग को छोड़कर इसे गोपनीय रखने की सिफारिश की है. ऐसा करना दोषी कर्मचारी हरि पद्मन को रिपोर्ट के निष्कर्षों और हमारे द्वारा अनुशंसित बड़ी सजा का कारण बताने के लिए जरूरी है.’
अख़बार के अनुसार, अनुलग्नकों सहित लगभग 2,000 पेज लंबी रिपोर्ट समिति द्वारा छात्रों, कर्मचारियों और फाउंडेशन के पूर्व छात्रों के साथ की गई बातचीत पर आधारित है.
पद्मन के लिए ‘बड़ी सजा’ की सिफारिश करने के अलावा समिति ने संस्थान की गतिविधियों को व्यवस्थित करने के लिए प्रशासनिक ढांचे में सुधार की भी सिफारिश की है, ‘जो कलाक्षेत्र फाउंडेशन को मुख्य रूप से उच्च शिक्षा के संस्थान के रूप में प्रचारित करने पर ध्यान केंद्रित करके छात्रों को सुरक्षा का आश्वासन देगा, न कि सार्वजनिक कलाकारों की एक संस्था के रूप में दिखाने के लिए.’
ज्ञात हो कि इसी साल मार्च-अप्रैल में ‘कलाक्षेत्र फाउंडेशन’ में छात्र यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर प्रदर्शन के लिए उतरे थे. वेबसाइट द न्यूज़ मिनट ने दो सर्वाइवर्स और छह स्टाफ सदस्यों की आपबीती प्रकाशित करते हुए कलाक्षेत्र के ‘ख़राब माहौल’ के बारे में बताया था.
रिपोर्ट में बताया गया था कि पद्मन परिसर स्थित अपने घर में छात्राओं को बुलाते थे और उनसे सेक्सशुअल मांगें करते थे. ऐसा करने से इनकार करने पर छात्राओं को दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता था. कुछ मामलों में तो छात्राओं ने कोर्स ही छोड़ दिया था.
इस मामले की जांच के लिए जांच समिति का गठन कलाक्षेत्र फाउंडेशन के अध्यक्ष एस. रामादोराई ने अप्रैल में तब किया था, जब छात्रों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी करने और कलाक्षेत्र फाउंडेशन को बदनाम करने के लिए पद्मन के खिलाफ शुरुआती आरोपों को ‘अफवाह’ के तौर खारिज करने के लिए उनकी काफी आलोचना हुई थी.
न्यूज़ मिनट की रिपोर्ट के अनुसार, तीन अन्य स्टाफ सदस्यों पर भी यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था, लेकिन उनके खिलाफ अब तक कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है.