वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वे के बीच मस्जिद कमेटी ने कहा है कि सर्वे टीम की ओर से अब तक कोई बयान नहीं दिया गया है, लेकिन अख़बारों, न्यूज़ चैनलों और सोशल मीडिया पर लगातार भ्रामक ख़बरें चल रही हैं. इसलिए उसने सर्वे की मीडिया कवरेज पर रोक के लिए स्थानीय अदालत में याचिका दायर की है.
नई दिल्ली: ज्ञानवापी प्रबंधन ने वाराणसी में एक अदालत में याचिका दायर करके मांग की है कि इसके सर्वेक्षण के मीडिया कवरेज पर प्रतिबंध लगाया जाए. इंडियन एक्सप्रेस ने इस संबंध में जानकारी दी है.
गौरतलब है कि वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में यह निर्धारित करने के लिए सर्वेक्षण किया जा रहा है कि क्या 17वीं शताब्दी की मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था.
जुलाई में वाराणसी की एक अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था. इसे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था.
मस्जिद का सर्वे अदालती आदेश के बाद 4 अगस्त को शुरू हुआ था.
अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के संयुक्त सचिव सैयद मोहम्मद यासीन ने कहा कि कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पुरातत्व सर्वेक्षण का काम किया जा रहा है. उन्होंने दावा किया कि सर्वे टीम या उसके किसी अधिकारी की ओर से अब तक कोई बयान नहीं दिया गया है, लेकिन अखबारों, चैनलों और सोशल मीडिया पर लगातार भ्रामक खबरें चल रही हैं.
यासीन ने कहा कि इससे लोगों के दिमाग पर ‘गलत प्रभाव’ पड़ेगा और ऐसी खबरों को प्रकाशित होने से रोका जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘इसके लिए हमने मंगलवार को जिला न्यायाधीश एके विश्वेशा की अदालत में एक आवेदन दिया है.’
मस्जिद में चल रहे सर्वे के बीच पिछले रविवार को यासीन ने कहा था कि जिस तरह की बेबुनियाद बातें फैलाई जा रही हैं, अगर उन्हें नहीं रोका गया तो मुस्लिम पक्ष सर्वे का बहिष्कार कर सकता है.
यासीन ने आरोप लगाया था कि शनिवार को सर्वेक्षण के दौरान मीडिया के एक वर्ग ने अफवाह फैला दी कि मस्जिद के तहखाने में मूर्तियां, त्रिशूल और कलश पाए गए, जिससे मुस्लिम समुदाय की भावनाएं आहत हुईं.
उन्होंने कहा था कि अगर ऐसी हरकतों पर लगाम नहीं लगाई गई तो मुस्लिम पक्ष सर्वे का बहिष्कार कर सकता है.
गौरतलब है कि विश्व वैदिक सनातन संघ के पदाधिकारी जितेंद्र सिंह विसेन के नेतृत्व में राखी सिंह समेत पांच हिंदू महिलाओं ने अगस्त 2021 में अदालत में एक वाद दायर कर ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार के पास स्थित शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन और अन्य देवी-देवताओं की सुरक्षा की मांग की थी.
इसके साथ ही ज्ञानवापी मस्जिद परिसर स्थित सभी मंदिरों और देवी-देवताओं के विग्रहों की वास्तविक स्थिति जानने के लिए अदालत से सर्वे कराने का अनुरोध किया था. पूजा की अनुमति मांगने वाली याचिका के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन देखने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति ने चुनौती दी थी, जिसे सितंबर 2022 में अदालत ने खारिज कर दिया था.
पांच हिंदू पक्षकार में से चार ने कथित ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग की मांग की थी, जो अदालत के आदेश पर कराए गए मस्जिद परिसर के वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के दौरान ‘वजूखाना’ में मिला था. ‘वजूखाना’ एक छोटा जलाशय होता है, जिसका उपयोग मुस्लिम नमाज अदा करने से पहले वजू (हाथ-पांव धोने आदि) करने के लिए करते हैं.
मस्जिद समिति ने कार्बन डेटिंग की मांग का विरोध करते हुए कहा था कि वह ‘शिवलिंग’ नहीं बल्कि वजूखाने के फव्वारे का हिस्सा है.
उल्लेखनीय है कि बीते जून महीने में हिंदू संगठन ‘विश्व वैदिक सनातन संघ’ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन ने घोषणा की थी कि वे और उनका परिवार वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर से संबंधित सभी मामलों को वापस ले रहे हैं. उन्होंने इसके लिए ‘संसाधनों की कमी’ और विभिन्न तबकों द्वारा कथित ‘उत्पीड़न’ का हवाला दिया था.