मणिपुर: मेईतेई विधायकों ने असम राइफल्स के प्रति अविश्वास जताया, राज्य से हटाने की मांग की

हिंसा प्रभावित मणिपुर के 40 मेईतेई विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम ज्ञापन देकर कहा है कि राज्य में तैनात असम राइफल्स के जवानों को वापस बुलाया जाना चाहिए और कुछ 'भरोसेमंद' केंद्रीय बलों को तैनात किया जाना चाहिए.

मणिपुर में सुरक्षाकर्मी. (फोटो साभार: स्पीयर कॉर्प्स, भारतीय सेना वाया एएनआई)

हिंसा प्रभावित मणिपुर के 40 मेईतेई विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम ज्ञापन देकर कहा है कि राज्य में तैनात असम राइफल्स के जवानों को वापस बुलाया जाना चाहिए और कुछ ‘भरोसेमंद’ केंद्रीय बलों को तैनात किया जाना चाहिए.

मणिपुर में सुरक्षाकर्मी. (फोटो साभार: स्पीयर कॉर्प्स, भारतीय सेना वाया एएनआई)

नई दिल्ली: संघर्ष प्रभावित मणिपुर में समुदायों के बीच बढ़ते अविश्वास ने सुरक्षा बलों को भी इसके दायरे में ला दिया है.

एनडीटीवी के मुताबिक, एक ताजा घटनाक्रम में 40 मेईतेई विधायकों ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में कहा गया है कि राज्य में तैनात असम राइफल्स के जवानों को वापस बुलाया जाना चाहिए और कुछ ‘भरोसेमंद’ केंद्रीय बलों को तैनात किया जाना चाहिए.

यह ज्ञापन विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री मोदी के जवाब देने की संभावना से एक दिन पहले आया है. विपक्ष मांग कर रहा है कि प्रधानमंत्री मणिपुर के हालात पर बात करें.

केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों ने मणिपुर की मौजूदा स्थिति के लिए लूटे गए असंख्य हथियारों को जिम्मेदार ठहराया है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘सभी प्रयासों के बावजूद लूटे गए बहुत से हथियार वापस नहीं आए हैं.’

मेईतेई विधायकों ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि जब तक पूरी तरह हथियार वापस नहीं लाए जाते,  राज्य में कानून व्यवस्था बहाल नहीं होगी. विधायकों द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है, ‘सुरक्षा की तत्काल स्थापना के लिए बलों की सरल तैनाती अपर्याप्त है. पूर्ण निरस्त्रीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बलों को अधिक सक्रिय भूमिका अपनाने की आवश्यकता है.’

ज्ञापन में कहा गया है कि पिछले तीन महीनों से राज्य/केंद्रीय बलों और राज्य में विद्रोही सशस्त्र समूहों के बीच लगातार संघर्ष चल रहा है. इसमें दावा किया गया है, ‘बड़े पैमाने पर विदेशी घुसपैठ हो रही है. केंद्रीय बलों को सक्रिय रूप से उनके साथ जुड़ना चाहिए और इन अत्याधुनिक हथियारों और गोला-बारूद के स्रोत और फंडिंग की जांच की जानी चाहिए.’

यह बताते हुए कि असम राइफल्स के प्रति जनता में आक्रोश कैसे बढ़ रहा है, विधायकों ने कहा कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब किसान अपने खेतों में काम करने के लिए बाहर गए और उन पर सशस्त्र विद्रोहियों ने गोलीबारी की.

ज्ञापन में कहा गया, ‘आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल किए गए हथियार अत्याधुनिक सैन्य ग्रेड हथियार हैं, जिनमें असॉल्ट, स्नाइपर राइफल और रॉकेट-प्रोपेल्ड ग्रेनेड शामिल हैं. कई मामलों में,गोलीबारी की ये घटनाएं केंद्रीय सुरक्षा बलों की उपस्थिति में हुई हैं जो उचित प्रतिक्रिया देने या कोई भी प्रतिक्रिया देने में विफल रहे हैं. इससे इन ताकतों पर विश्वास कम हो गया है और जनता में आक्रोश पैदा हो गया है.’

विधायकों ने लिखा कि असम राइफल्स को उनके वर्तमान स्थान से स्थानांतरित करने की जरूरत है, उनकी जगह राज्य सुरक्षा बल के साथ ‘भरोसेमंद’ केंद्रीय बल ला सकते हैं.

सेनाओं के बीच बढ़ता अविश्वास उन वीडियो से भी स्पष्ट है जो व्यापक रूप से प्रसारित हो रहे हैं.

ऐसा ही एक वीडियो सामने आने के बाद मणिपुर पुलिस ने सोमवार को असम राइफल्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. वीडियो में राज्य पुलिस को असम राइफल्स के साथ बहस करते और उन पर एक पक्ष को बचाने का आरोप लगाते हुए देखा जा सकता है.

एफआईआर दर्ज होने के बाद सेना ने एक बयान जारी कर कहा कि ऑपरेशन के दौरान गलतफहमियां होना स्वाभाविक है लेकिन उन्हें संयुक्त तंत्र के माध्यम से दूर किया जा सकता है.

आदिवासी विधायकों ने कहा- असम राइफल्स को राज्य से न हटाएं 

इंडिया टुडे के अनुसार, इस बीच मणिपुर के दस कुकी-ज़ो-हमार आदिवासी विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तीन महीने से जारी जातीय हिंसा के बीच असम राइफल्स को राज्य से नहीं हटाने का आग्रह किया है.

पीएम मोदी को दिए ज्ञापन में आदिवासी विधायकों ने कहा कि असम राइफल्स, बीएसएफ, आईटीबीपी, आरएएफ और सीआरपीएफ जैसे अन्य केंद्रीय बलों के साथ मणिपुर में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं.

ज्ञापन में कहा गया है, ‘आजादी से पहले और बाद में अपनी स्थापना के बाद से आंतरिक और बाह्य रूप से हमारी मातृभूमि ‘भारत’ की रक्षा करने वाले सबसे पुराने सुरक्षा बलों असम राइफल्स (एआर) की विश्वसनीयता हर किसी को पता है.’

विधायकों ने आरोप लगाया कि मई 2023 में मणिपुर में जातीय संघर्ष फैलने के बाद से बेरोकटोक हिंसा ने कुकी-ज़ो-हमार आदिवासियों और मेईतेई समुदायों के बीच गहरे अविश्वास को जन्म दिया है, जो स्थानीय राज्य प्रशासन और कानून प्रवर्तन एजेंसियों में भी दिख रहा है.

विधायकों ने दावा किया कि जो  मेईतेई लोग आदिवासियों को निशाना बनाने के अपने नापाक मंसूबों को अंजाम नहीं दे पा रहे हैं, वे असम राइफल्स पर झूठे आरोप लगा रहे हैं.

विधायकों ने पीएम मोदी से राज्य बलों को नियंत्रित करने और उनकी शक्तियों में कटौती करने और राज्य में शांति बहाली के लिए केंद्रीय अर्धसैनिक बलों द्वारा संचालित बफर जोन का उल्लंघन न करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया है.