लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में सौ दिनों से जारी संघर्ष को म्यांमार में सैन्य तख़्तापलट के बाद हुई ‘घुसपैठ’ से जोड़ा था. अब राज्य के 10 कुकी विधायकों, जिनमें भाजपा विधायक भी शामिल हैं, ने शाह से कथित अवैध घुसपैठियों का विवरण और हिंसा में उनकी संलिप्तता के सबूत देने को कहा है.
नई दिल्ली: मणिपुर के 10 कुकी विधायकों दो अलग-अलग बयानों में शुक्रवार को लोकसभा में दिए गए गृह मंत्री अमित शाह के बयान की आलोचना की, जिसमें मणिपुर में सौ दिनों से जारी संघर्ष को म्यांमार के शरणार्थियों के आने से जोड़ा गया था.
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, विधायकों ने शाह से म्यांमार से कथित अवैध घुसपैठियों का विवरण और हिंसा में उनकी संलिप्तता के सबूत देने का आग्रह किया है.
बुधवार को मणिपुर हिंसा पर चर्चा के दौरान शाह ने कहा था कि 2021 में म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद कुकी डेमोक्रेटिक फ्रंट नाम के संगठन ने सैन्य नेतृत्व के खिलाफ लड़ाई शुरू कर दी थी.
इनमें से सात विधायक भाजपा के हैं और बाकी इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) के. विधायकों ने कहा कि यह ‘निराशाजनक है कि शाह का संसद में यह कहना कि कुकी-ज़ोमी-हमार लोगों का जातीय सफाया, पड़ोसी देश म्यांमार में 2021 जुंटा के अधिग्रहण के बाद हुई घुसपैठ के कारण हुई अशांति है.’
एक संयुक्त बयान में विधायकों ने कहा, ‘हम, मणिपुर के कुकी ज़ोमी-हमार लोगों के निर्वाचित प्रतिनिधियों के रूप में एक बार फिर दोहराते हैं कि हमारे लोगों का जातीय सफाया एक पूर्व नियोजित हमला है जिसका उद्देश्य संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ आदिवासी जमीन को हड़पना है.’
उन्होंने कहा, ‘घाटी में हमारे लोगों को हिंसक तरीके से साफ़ कर दिया गया है और हमारी कॉलोनियों को गिरा दिया गया है. हम फिर दोहराते हैं कि केंद्र सरकार को इस जनसांख्यिकीय अलगाव को राजनीतिक समझौते के जरिये एक अलग प्रशासन के रूप में मान्यता देनी चाहिए.’
उन्होंने शाह से म्यांमार से ‘अवैध घुसपैठियों’ का विवरण देने और यह साबित करने कि वे कुकी गांवों में वालंटियर थे, का आग्रह किया.
विधायकों ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से यह भी आग्रह किया कि वह अपने उस कथन को साबित करें कि इंफाल के मुर्दाघरों में लावारिस शव ‘अवैध घुसपैठियों’ के थे. विधायकों ने कहा कि ऐसा न करने पर उन्हें सुप्रीम कोर्ट के समक्ष माफी मांगनी चाहिए.
मेहता ने 1 अगस्त को मणिपुर हिंसा पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह दावा किया था. राज्य की आदिवासी महिलाओं के एक फोरम ने भी मेहता से यह बयान वापस लेने की मांग की थी.
उधर, शाह के दावे पर एक अलग बयान में आईटीएलएफ ने कहा, ‘तीन महीने की हिंसा में 130 से अधिक कुकी-ज़ो आदिवासियों की मौत हुई है, 41,425 आदिवासी नागरिक विस्थापित हुए हैं. मेईतेई और आदिवासियों के बीच भौतिक के साथ भावनात्मक अलगाव भी हो चुका है. और इसका सबसे अच्छा स्पष्टीकरण गृह मंत्री ने म्यांमार से शरणार्थियों के प्रवेश का दिया.’
आईटीएलएफ ने इस बात पर जोर दिया कि मिजोरम में म्यांमार से 40,000 से अधिक और मणिपुर से विस्थापित लोग पहुंचे हैं और यह अब भी भारत का सबसे शांतिपूर्ण राज्य है.’