संसद सत्र ख़त्म होने के बाद मणिपुर के सांसद ने कहा- लोकसभा में बोलने से मना किया गया था

भाजपा की सहयोगी पार्टी नगा पीपुल्स फ्रंट के नेता और मणिपुर से आने वाले दो लोकसभा सांसदों में से एक लोरहो एस. फोज़े का कहना है कि वे सदन में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मणिपुर पर बोलना चाहते थे लेकिन उन्हें भाजपा के लोगों द्वारा न बोलने के लिए कहा गया.

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ लोरहो फ़ोज़े. (फोटो साभार: ट्विटर/@LorhoDr)

भाजपा की सहयोगी पार्टी नगा पीपुल्स फ्रंट के नेता और मणिपुर से आने वाले दो लोकसभा सांसदों में से एक लोरहो एस. फोज़े का कहना है कि वे सदन में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मणिपुर पर बोलना चाहते थे लेकिन उन्हें भाजपा के लोगों द्वारा न बोलने के लिए कहा गया.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ लोरहो फ़ोज़े. (फोटो साभार: ट्विटर/@LorhoDr)

नई दिल्ली: लोकसभा की बाहरी मणिपुर निर्वाचन सीट से सांसद लोरहो एस.फोज़े का कहना है कि वे विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान सदन में मणिपुर पर बोलना चाहते थे, लेकिन ‘गठबंधन में उनके दोस्तों, विशेषकर भाजपा ने उन्हें अनौपचारिक रूप से इस पर न बोलने की सलाह दी.’

फोज़े नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के नेता हैं जो भाजपा की सहयोगी पार्टी है. उन्होंने यह टिप्पणी शनिवार को द हिंदू से बातचीत में की.

मणिपुर में सौ दिन से अधिक समय से जारी जातीय संघर्ष में फोज़े के निर्वाचन क्षेत्र में खासी हिंसा हुई है. उन्होंने अख़बार से कहा कि वे अपने मतदाताओं और भारत के लोगों को बताना चाहते थे कि इस हिंसा को रोका जाना चाहिए और सरकार सामान्य स्थिति और शांति वापस लाने के लिए गंभीर है.

उन्होंने कहा कि मणिपुर में पीड़ित अधिकांश लोग, विशेष रूप से कुकी-ज़ो समुदाय के उनके क्षेत्र से थे, साथ ही उनके निर्वाचन क्षेत्र में आने वाले तीन अन्य जिलों के कुछ हिस्सों में मेईतेई लोग भी रहते थे.

फोज़े ने कहा कि उन्हें पता था कि मुख्य रूप से मणिपुर के मुद्दे पर अविश्वास प्रस्ताव आने वाला है और वह इस पर सदन में बोलना चाहते थे. ‘मैं अलग-अलग लोगों से बात कर रहा था. गठबंधन समूह के मेरे दोस्त, खासकर भाजपा के, उन्होंने कहा कि गृह मंत्री जी (अमित शाह) मणिपुर पर काफी बोलेंगे और इसलिए सलाह यही है कि आप न बोलें.’

फोज़े ने कहा कि उन्होंने इसके बाद औपचारिक रूप से अध्यक्ष से बोलने का मौका नहीं मांगा क्योंकि ‘मुझे पता था कि अगर मैं चाहूं भी तो मुझे ऐसा नहीं करने जाएगा.’

फोज़े ने आगे कहा कि जब उन्होंने मणिपुर के एकमात्र अन्य लोकसभा सांसद- इनर मणिपुर सीट से भाजपा के सांसद आरके रंजन सिंह से इस बात का जिक्र किया, तब उन्होंने बताया कि ‘उन्हें भी न बोलने की सलाह दी गई थी.’

आरके रंजन सिंह केंद्र सरकार के विदेश मंत्रालय में राज्यमंत्री हैं. अख़बार द्वारा संपर्क किए जाने पर उनसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.

फोज़े ने आगे कहा, ‘वास्तव में चूंकि हम ही लोग मणिपुर के लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, हमें बोलने के लिए कहा जाना चाहिए था. इससे मेरे लोगों में भरोसा पैदा होता क्योंकि चुनाव आ रहे हैं और हमारे लोगों के लिए यह जानना जरूरी है कि सरकार मणिपुर के लोगों के मुद्दों से निपटने के लिए गंभीर है.’

फोज़े ने जोड़ा कि एनपीएफ फिलहाल गठबंधन को वैसे ही बनाए रखेगा. ‘विभिन्न राजनीतिक मजबूरियों के कारण हम सरकार के साथ गठबंधन में थे और भविष्य के लिए कोई भी निर्णय पार्टी ही ले सकती है.’

सदन में मणिपुर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ने फोज़े कहा कि यह बहुत देर से आई और उतना काफी नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का अधिकांश समय पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के बारे में बताने और विभिन्न राजनीतिक दलों, ‘विशेषकर कांग्रेस’ पर आरोप लगाने में गया और वे इस बात को समझते हैं कि ये अविश्वास प्रस्ताव के लिए प्रासंगिक हो सकते हैं.

उन्होंने जोड़ा, ‘लेकिन पूरा अविश्वास प्रस्ताव मणिपुर पर था. मैंने सोचता हूं कि उन्हें (प्रधानमंत्री को) पहले मणिपुर पर बोलना चाहिए था और फिर उन्हें अपने प्रस्ताव या मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति वापस लाने की योजना पर थोड़ा और समय देना चाहिए था.’

फोज़े के यह भी कहा, ‘हम केवल यह उम्मीद करते हैं कि सरकार लोगों की भावनात्मक जरूरतों पर प्रतिक्रिया में थोड़ी अधिक संवेदनशील होगी. हम तो बस यही चाहते हैं कि सरकार जल्द ही कुछ करे, कुछ ऐसा, जिससे स्थिति सामान्य हो जाए या कम से कम हिंसा तो रुके.’

इससे पहले फ़ोज़े ने जुलाई में मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की आलोचना करते हुए कहा था कि वो लोगों का भरोसा खो चुके हैं और उनके नेतृत्व में राज्य में जारी संघर्ष का समाधान खोज पाना मुमकिन नहीं है.

विपक्ष ने साधा निशाना

संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने शनिवार को कहा कि उन्होंने मणिपुर के सांसदों के बोलने की गुज़ारिश की थी, लेकिन नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने ऐसा नहीं होने दिया.

गोगोई ने ट्विटर पर लिखा, ‘मुझ समेत संसद में मणिपुर पर हर किसी ने बात रखी, लेकिन भाजपा ने मणिपुर के दो सांसदों को बोलने नहीं दिया. मैंने लोकसभा अध्यक्ष से मिन्नतें की थीं लेकिन पीएम मोदी और गृह मंत्री शाह में इतनी संवेदनशीलता या धैर्य नहीं था कि वे मणिपुर के सांसदों को दो मिनट के लिए भी सुन सकते.’

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरके रंजन सिंह की एक संवाददाता से बात करते हुई वीडियो क्लिप ट्विटर पर साझा की और लिखा, ‘मणिपुर से भाजपा सांसद को रिक्वेस्ट करने के बाद भी संसद में बोलने नहीं दिया गया. यह न सिर्फ़ दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि पूरे मणिपुर का अपमान है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘भाजपा की विभाजनकारी राजनीति ने पहले मणिपुर में आग लगाई. जब हिंसा भड़की तब उसे उसके हाल पर छोड़ दिया गया. अभी भी हिंसा जारी है. ऐसे समय में भाजपा द्वारा मणिपुर से अपने ही सांसद और विदेश राज्य मंत्री को बोलने से रोकना शर्मनाक है.’

राज्यसभा में बंद किया गया था मिजोरम सांसद का माइक

उल्लेखनीय है कि फोज़े के बयान से पहले सामने आया था कि गुरुवार को अमित शाह के मणिपुर संबंधित दावे पर राज्यसभा में सवाल उठाने पर मिजोरम के सांसद के. वनलालवेना का माइक सभापति जगदीप धनखड़ द्वारा बंद कर दिया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस ने बताया था कि मिजो नेशनल फ्रंट के सांसद वनलालवेना का माइक्रोफोन तब बंद कर दिया गया, जब उन्होंने यह कहना चाहा कि ‘मणिपुर में आदिवासी लोगों को म्यांमार से आया हुआ ‘ कहना गलत है.

मिजोरम से एकमात्र राज्यसभा सांसद वनलालवेना बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भाषण में किए उस कथन पर बोल रहे थे, जहां शाह ने मणिपुर की हिंसा को म्यांमार से हुई कथित ‘घुसपैठ’ से जोड़ा था. शाह ने कहा था कि 2021 में म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद कुकी डेमोक्रेटिक फ्रंट नाम के संगठन ने सैन्य नेतृत्व के खिलाफ लड़ाई शुरू कर दी थी और घुसपैठ के चलते मेईतेई आबादी में बेचैनी उपजी.

इसे लेकर राज्य के सभी कुकी विधायकों ने रोष जताया है और शाह से कथित अवैध घुसपैठियों का विवरण और हिंसा में उनकी संलिप्तता के सबूत देने को कहा है.