आरोप है कि मध्य प्रदेश में सिंगरौली विधायक राम लल्लू वैश्य के बेटे विवेकानंद वैश्य ने बीते 3 अगस्त को मोरवा पुलिस स्टेशन थाना क्षेत्र में बहस के दौरान कथित तौर पर गोली चला दी थी, जिससे आदिवासी व्यक्ति सूर्य कुमार खैरवार घायल हो गए थे. घटना के बाद से वह फ़रार थे. पुलिस ने उनकी सूचना देने वाले को 10,000 रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी.
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के सिंगरौली में कुछ दिन पहले एक आदिवासी व्यक्ति को गोली मारकर घायल करने के आरोपी भाजपा विधायक के बेटे को रविवार (13 अगस्त) तड़के गिरफ्तार कर लिया गया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि सिंगरौली विधायक राम लल्लू वैश्य के 40 वर्षीय बेटे विवेकानंद वैश्य ने बीते 3 अगस्त को जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर मोरवा पुलिस स्टेशन की सीमा के तहत आने वाले बूढ़ी माई माता मंदिर के पास लोगों के एक समूह के साथ बहस के दौरान कथित तौर पर गोली चला दी थी, जिससे आदिवासी व्यक्ति सूर्य कुमार खैरवार घायल हो गए थे.
पुलिस अनुविभागीय अधिकारी (एसडीओपी) कृष्ण कुमार पांडे ने कहा, ‘विवेकानंद वैश्य को रविवार देर रात 1 बजे मोरवा पुलिस स्टेशन की सीमा के तहत आने वाले चटका बस्ती से गिरफ्तार किया गया.’
घटना के बाद से विवेकानंद वैश्य फरार थे, जिसके बाद पुलिस ने मामले में उनकी गिरफ्तारी के लिए सूचना देने वाले को 10,000 रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी.
उन पर हत्या के प्रयास, आपराधिक धमकी और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और शस्त्र अधिनियम के साथ-साथ एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत अन्य अपराधों का आरोप लगाया गया था.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, एसपी मोहम्मद यूसुफ कुरैशी ने आरोपी पर 10 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया था. रविवार को सूचना पर पुलिस ने विवेकानंद वैश्य को उसकी महिला मित्र के घर से गिरफ्तार कर लिया.
पीड़ित सूर्यप्रकाश खैरवार के भाई से विधायक के बेटे विवेकानंद वैश्य का किसी बात को लेकर झगड़ा हो रहा था. जब सूर्यप्रकाश ने बीच बचाव करने की कोशिश की तो विवेकानंद ने उन पर गोली चला दी. इससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए. उनकी शिकायत के आधार पर पुलिस ने भाजपा विधायक के बेटे के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस के अनुसार, पिछले साल जून में विवेकानंद वैश्य ने वन रक्षक संजीव शुक्ला के साथ कथित तौर पर मारपीट और उन्हें डराने के लिए गोलीबारी की थी. इस साल फरवरी में स्थानीय अदालत में आत्मसमर्पण करने से तुरंत पहले वह फरार हो गए थे.
पुलिस के अनुसार, उन्होंने अपनी न्यायिक हिरासत अवधि के दौरान सिंगरौली, रीवा और जबलपुर के अस्पतालों में 40 से अधिक दिन बिताए और बाद में उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी.