विवादित ख़बर के लिए न्यूज़ चैनलों पर लगा जुर्माना उनके मुनाफ़े के अनुपात में होना चाहिए: कोर्ट

एक याचिका सुनते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि समाचार चैनलों के लिए न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स और डिजिटल एसोसिएशन का स्व-नियामक तंत्र अप्रभावी है और वे टीवी चैनलों के विनियमन के लिए दिशानिर्देश जारी करेंगे.

(फोटो: द वायर)

एक याचिका सुनते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि समाचार चैनलों के लिए न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स और डिजिटल एसोसिएशन का स्व-नियामक तंत्र अप्रभावी है और वे टीवी चैनलों के विनियमन के लिए दिशानिर्देश जारी करेंगे.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विवादित समाचार प्रसारित करने के लिए टेलीविजन चैनलों पर लगाया जाने वाला एक लाख रुपये जुर्माना पर्याप्त नहीं है. अदालत में यह भी कहा कि न्यूज ब्रॉडकास्टर्स और डिजिटल एसोसिएशन (एनबीडीए) का स्व-नियामक तंत्र अप्रभावी है.

लाइव लॉ के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘आप जो जुर्माना लगाते हैं वो क्या है? टीवी चैनल एक कार्यक्रम में विज्ञापन से कितना कमाता है? किसी भी टीवी चैनल के पास आपके स्व-नियामक तंत्र का अनुपालन करने के लिए कोई प्रेरणा नहीं है, और यदि उल्लंघन के लिए आप एक लाख रुपये का जुर्माना लगाने जा रहे हैं, तो बात ही क्या है.’

सीजेआई ने कहा कि विवादित समाचार प्रसारित करने के लिए टीवी चैनलों पर लगाया गया जुर्माना 2008 में तय किए गए एक लाख रुपये के जुर्माने के बजाय उनके द्वारा अर्जित किए जा रहे मुनाफे के अनुपात में होना चाहिए. केवल ऐसे जुर्माने ही टीवी चैनलों से जिम्मेदारी के साथ काम करवा सकते हैं.

सीजेआई की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ बॉम्बे हाईकोर्ट के 2021 के एक फैसले को चुनौती देने वाली एनबीडीए की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें टीवी चैनलों के स्व-नियमन के अप्रभावी होने के बारे में प्रतिकूल टिप्पणियां की गई थीं.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने माना था कि मीडिया ट्रायल से पुलिस की आपराधिक जांच में हस्तक्षेप होता है और आत्महत्या और किन्हीं व्यक्तियों की मौत से जुड़ी घटनाओं की रिपोर्टिंग करने के लिए मीडिया को दिशानिर्देश जारी किए जाने चाहिए.

हाईकोर्ट उस समय अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में मीडिया ट्रायल पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था.

हालांकि, याचिकाकर्ताओं की इस दलील से सहमति जताते हुए कि मीडिया को विनियमित करने में कोई सरकारी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए, शीर्ष अदालत ने कहा कि स्व-नियामक तंत्र ही प्रभावी होना चाहिए.

सीजेआई ने कहा कि वे टीवी चैनलों के विनियमन को मजबूत करने के लिए दिशानिर्देश जारी करेंगे.