बिहार में जन्मे बिंदेश्वर पाठक ने 1970 में सुलभ आंदोलन शुरू किया और अपना जीवन मैला ढोने की प्रथा को ख़त्म करने और स्वच्छता पर जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित कर दिया था. वर्ष 1991 में उन्हें हाथ से मैला ढोने वालों की मुक्ति और पुनर्वास पर उनके काम के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.
नई दिल्ली: प्रसिद्ध समाज सुधारक और सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक, जिन्होंने देश भर में 10,000 से अधिक सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण करके स्वच्छता का समर्थन किया, का मंगलवार (15 अगस्त) को दिल का दौरा (Cardiac Arrest) पड़ने से निधन हो गया. वह 80 वर्ष के थे.
सुलभ इंटरनेशनल ने एक बयान में कहा, ‘उन्होंने नई दिल्ली के पालम-डाबरी रोड स्थित सुलभ कॉम्प्लेक्स में स्वतंत्रता दिवस समारोह के बीच बेचैनी की शिकायत की, जिसके बाद उन्हें एम्स ले जाया गया.’
उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ले जाया गया।
उनका पार्थिव शरीर कल सुबह सुलभ परिसर में लाया जाएगा और सुबह 7ः00 से 9ः30 बजे के बीच आम जनता की श्रद्धांजलि के लिए उपलब्ध रहेगा। अंतिम संस्कार 16 अगस्त, 2023
को सुबह 11ः00 बजे लोधी रोड शवदाहगृह में होगा।— Sulabh International Social Service Organisation (@SulabhIntl) August 15, 2023
एम्स के आधिकारिक प्रवक्ता के अनुसार, पाठक के सीने में दर्द शुरू होने के बाद उन्हें दिल्ली स्थित एम्स के इमरजेंसी में लाया जा रहा था, तभी दोपहर करीब 1:30 बजे उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाठक के परिवार में पत्नी अमोला, दो बेटियां और एक बेटा हैं.
बिहार के वैशाली जिले के रामपुर बघेल गांव में जन्मे पाठक ने 1970 में सुलभ आंदोलन शुरू किया और अपना जीवन मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने और स्वच्छता पर जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित कर दिया. उन्हें सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के तहत व्यापक रूप से निर्मित कम लागत वाले ट्विन-पिट फ्लश शौचालयों को डिजाइन करने और लोकप्रिय बनाने का श्रेय दिया जाता है.
पाठक ने अपना पहला सार्वजनिक शौचालय बिहार के आरा में एक नगर पालिका अधिकारी की मदद से बनाया, जिसने उन्हें 1973 में प्रदर्शन के लिए नगर पालिका परिसर में दो शौचालय बनाने के लिए 500 रुपये दिए थे. इस पहल की सफलता के बाद अधिकारियों ने इसके व्यापक कार्यान्वयन के लिए एक परियोजना को मंजूरी दी.
साल 1974 में पहला सुलभ सार्वजनिक शौचालय – 48 सीटों, 20 बाथरूम, मूत्रालय और वॉशबेसिन के साथ – पटना में जनता के लिए खोल दिया गया था.
अपने गांव में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद पाठक ने बीएन कॉलेज, पटना से समाजशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. वह मध्य प्रदेश के सागर विश्वविद्यालय से अपराधशास्त्र की पढ़ाई करना चाहते थे, लेकिन इससे पहले वह एक स्वयंसेवक के रूप में पटना में गांधी शताब्दी समिति में शामिल हो गए.
समिति ने उन्हें बिहार के बेतिया में दलित समुदाय के लोगों के मानवाधिकारों और सम्मान की बहाली के लिए काम करने के लिए भेजा. वहां से उन्होंने हाथ से मैला ढोने की प्रथा और खुले में शौच करने की प्रथा को खत्म करने के लिए एक मिशन शुरू करने का संकल्प लिया.
साल 1974 में बिहार सरकार ने बाल्टी शौचालयों को दो-गड्ढे वाले फ्लश शौचालयों में बदलने के लिए सुलभ इंटरनेशनल की मदद लेने के लिए सभी स्थानीय निकायों को एक परिपत्र भेजा और 1980 तक अकेले पटना में 25,000 लोग सुलभ सार्वजनिक सुविधाओं का उपयोग कर रहे थे.
वर्ष 1991 में उन्हें हाथ से मैला ढोने वालों की मुक्ति और पुनर्वास पर उनके काम के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया और अगले वर्ष पर्यावरण के लिए अंतरराष्ट्रीय सेंट फ्रांसिस पुरस्कार प्राप्त हुआ.
2009 में बिंदेश्वर पाठक ने रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा प्रदत्त स्टॉकहोम वॉटर पुरस्कार जीता. 2012 में उन्होंने वृंदावन की विधवाओं के कल्याण की दिशा में काम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एक परोपकारी मिशन शुरू किया. उन्होंने प्रत्येक विधवा को 2,000 रुपये का मासिक वजीफा देकर इसकी शुरुआत की.
2016 में सुलभ इंटरनेशनल को सरकार के प्रमुख स्वच्छ भारत मिशन में योगदान के लिए गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
इंडियन एक्सप्रेस की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, सुलभ इंटरनेशनल एक भारत-आधारित सामाजिक सेवा संगठन है, जो शिक्षा के माध्यम से मानवाधिकारों, पर्यावरण स्वच्छता, अपशिष्ट प्रबंधन और सुधारों को बढ़ावा देने के लिए काम करता है.
इसने एक अभिनव डिजाइन के आधार पर 13 लाख से अधिक घरेलू शौचालयों और 5 करोड़ से अधिक सरकारी शौचालयों का निर्माण किया है. शौचालयों के निर्माण के अलावा यह संगठन मानव अपशिष्ट की इंसानों द्वारा सफाई को हतोत्साहित करने के लिए एक आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि पाठक ने स्वच्छता के क्षेत्र में एक ‘क्रांतिकारी’ पहल की है. उन्होंने कहा, ‘उन्हें पद्म भूषण सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था. मैं उनके परिवार और सुलभ इंटरनेशनल के सदस्यों के प्रति संवेदना व्यक्त करती हूं.’
सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक श्री बिन्देश्वर पाठक के निधन का समाचार अत्यंत दुखदाई है। श्री पाठक ने स्वच्छता के क्षेत्र में क्रान्तिकारी पहल की थी। उन्हें पद्म-भूषण सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। उनके परिवार तथा सुलभ इंटरनेशनल के सदस्यों को मैं अपनी शोक-संवेदनाएं…
— President of India (@rashtrapatibhvn) August 15, 2023
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी संवेदना व्यक्त की और पाठक के निधन को ‘देश के लिए एक गहरी क्षति’ बताया.
मोदी ने कहा, ‘बिंदेश्वर जी ने स्वच्छ भारत बनाने को अपना मिशन बनाया. उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन को जबरदस्त समर्थन प्रदान किया. हमारी विभिन्न बातचीतों के दौरान, स्वच्छता के प्रति उनका जुनून हमेशा दिखाई देता था.’
The passing away of Dr. Bindeshwar Pathak Ji is a profound loss for our nation. He was a visionary who worked extensively for societal progress and empowering the downtrodden.
Bindeshwar Ji made it his mission to build a cleaner India. He provided monumental support to the… pic.twitter.com/z93aqoqXrc
— Narendra Modi (@narendramodi) August 15, 2023
2016 में एक दुर्लभ सम्मान देते हुए न्यूयॉर्क शहर ने ‘सबसे अमानवीय स्थिति’ में रह रहे लोगों के जीवन में सुधार लाने के लिए भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा किए गए योगदान की मान्यता में 14 अप्रैल को ‘बिंदेश्वर पाठक दिवस’ घोषित किया था.