संवेदनशील व्यक्ति के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाना आत्महत्या के लिए उकसाने के समान: हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने एलजीबीटी समुदाय से संबंधित एक दलित शख़्स की मौत पर एक निजी फर्म के तीन वरिष्ठ अधिकारियों के ख़िलाफ़ आपराधिक मामले को रद्द करने से इनकार करते हुए यह फैसला सुनाया है. तीनों अधिकारियों पर मृतक के यौन रुझान के कारण दफ़्तर में प्रताड़ित करने का आरोप है.

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कर्नाटक हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)

कर्नाटक हाईकोर्ट ने एलजीबीटी समुदाय से संबंधित एक दलित शख़्स की मौत पर एक निजी फर्म के तीन वरिष्ठ अधिकारियों के ख़िलाफ़ आपराधिक मामले को रद्द करने से इनकार करते हुए यह फैसला सुनाया है. तीनों अधिकारियों पर मृतक के यौन रुझान के कारण दफ़्तर में प्रताड़ित करने का आरोप है.

कर्नाटक हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि किसी अति संवेदनशील व्यक्ति की छवि धूमिल करना या उसके आत्मसम्मान को नष्ट करना आत्महत्या के लिए उकसाने के समान होगा, अगर आरोपी व्यक्तियों ने लगातार शब्दों या कार्यों से संबंधित व्यक्ति को परेशान किया है.

हाईकोर्ट ने एलजीबीटी समुदाय से संबंधित एक दलित कार्यकर्ता की मौत पर एक निजी फर्म के तीन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामले को रद्द करने से इनकार करते हुए फैसला सुनाया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट की एकल न्यायाधीश पीठ ने परिधान कंपनी ‘लाइफस्टाइल इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड’ के तीन अधिकारियों की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने 4 जून को बेंगलुरु में 35 वर्षीय विजुअल मर्चेंडाइजिंग एक्जीक्यूटिव विवेक राज की मौत पर उनके खिलाफ दर्ज आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले को रद्द करने की मांग की थी.

अपनी मौत से पहले विवेक ने अपने यौन रुझान के कारण दफ्तर में प्रताड़ित किए जाने को लेकर यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए कंपनी की समिति में शिकायतें दर्ज कराई थीं. अपनी मौत से एक दिन पहले उन्होंने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत जातिगत भेदभाव की पुलिस शिकायत भी दर्ज कराई थी.

इस संबंध में विवेक के पिता राजकुमार रामअवध (67 वर्ष) द्वारा दर्ज कराए गए आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में लाइफस्टाइल इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड की मार्केटिंग टीम में जनरल मैनेजर एसबी मैलाथी (40 वर्ष), एचआर विभाग में उपाध्यक्ष कुमार सूरज (45 वर्ष) और मार्केटिंग में असिस्टेंट मैनेजर नीतीश कुमार (30 वर्ष) को आरोपी के रूप में नामित किया गया है.

जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘अगर आरोपियों ने अपने कथित कृत्यों से किसी अति संवेदनशील व्यक्ति के आत्मसम्मान को धूमिल करने या नष्ट करने में सक्रिय भूमिका निभाई है, तो निश्चित रूप से आत्महत्या के लिए उकसाने के दोषी बन जाएंगे. अगर अभियुक्तों ने मृतक को शब्दों या कार्यों से चिढ़ाना या परेशान करना जारी रखा है, उन्हें उकसाया है तो ऐसी परिस्थितियां भी बन जाएंगी, जो प्रथमदृष्टया उकसावे को बढ़ावा देंगी.’

4 जून को अपनी मृत्यु से एक दिन पहले विवेक राज ने अपने सहकर्मियों पर जातिगत दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. पुलिस ने एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था.

लाइफस्टाइल इंटरनेशनल के तीन अधिकारियों ने अपने खिलाफ दर्ज एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के मामले को रद्द करने के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

यह तर्क दिए जाने के बाद कि विवेक राज की रिपोर्टिंग मैनेजर एसबी मैलाथी अनुसूचित जनजाति समुदाय से हैं और उनके खिलाफ कोई अपराध नहीं हो सकता, हाईकोर्ट ने जांच की कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगा दी.

लाइफस्टाइल इंटरनेशनल के अधिकारियों के खिलाफ 3 जून को दर्ज एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की शिकायत को रद्द करने के संबंध में मामला अभी भी हाईकोर्ट की पीठ के समक्ष लंबित है.