महाराष्ट्र: नाबालिग से रेप का मामला उठाने पर विधायक के सहयोगियों ने पत्रकार पर हमला किया

घटना जलगांव ज़िले की है, जहां के पचोरा शहर के एक पत्रकार संदीप महाजन ने आठ वर्षीय लड़की के रेप और हत्या की हालिया घटना के बारे में बनाए गए वीडियो में सीएम एकनाथ शिंदे की आलोचना की थी. इसके कुछ दिन बाद उन पर शिंदे गुट के विधायक किशोर पाटिल के सहयोगियों द्वारा हमला किया गया.

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पत्रकार संदीप महाजन. (स्क्रीनग्रैब साभार: ध्येय न्यूज़)

घटना जलगांव ज़िले की है, जहां के पचोरा शहर के एक पत्रकार संदीप महाजन ने आठ वर्षीय लड़की के रेप और हत्या की हालिया घटना के बारे में बनाए गए वीडियो में सीएम एकनाथ शिंदे की आलोचना की थी. इसके कुछ दिन बाद उन पर शिंदे गुट के विधायक किशोर पाटिल के सहयोगियों द्वारा हमला किया गया.

पत्रकार संदीप महाजन. (स्क्रीनग्रैब साभार: ध्येय न्यूज़)

मुंबई: 4 अगस्त को महाराष्ट्र के जलगांव जिले के पचोरा शहर के एक पत्रकार ने आठ वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार और हत्या की हालिया घटना के बारे में बताते हुए एक वीडियो बनाया. वीडियो में पत्रकार और यूट्यूब चैनल ध्येय न्यूज के संपादक संदीप महाजन ने घटना के बारे में विस्तार से बात की.

इस नृशंस घटना और उस पर आई राजनीतिक प्रतिक्रियाओं के बारे में विस्तार से बताते हुए महाजन ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की भी आलोचना की और दावा किया कि पीड़ित परिवार के साथ उनकी मुलाकात महज एक ‘दिखावा’ थी और मुख्यमंत्री को इससे ज्यादा कुछ करना चाहिए था.

इसके कुछ दिनों बाद महाजन पर तीन लोगों ने हमला किया, जो कथित तौर पर स्थानीय विधायक किशोर पाटिल के करीबी सहयोगी थे, जो अब सत्तारूढ़ एकनाथ शिंदे की शिवसेना का हिस्सा हैं. सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में बाइक पर जा रहे महाजन पर तीन लोगों को हमला करते देखा जा सकता है.

पुलिस ने पुष्टि की कि तीनों लोगों पर हमले और आपराधिक धमकी के लिए आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था. पचोरा थाने के इंस्पेक्टर राहुल खटाल ने पुष्टि की कि आरोपी व्यक्तियों को उसी दिन जमानत पर रिहा कर दिया गया.

पुलिस ने कहा है कि उसने आरोपियों के खिलाफ ‘चैप्टर कार्यवाही’ भी शुरू कर दी है. यह कार्यवाही दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 107 के तहत एक निवारक कार्रवाई है जहां पुलिस कारण बताओ नोटिस देकर व्यक्ति से यह पूछ सकती है कि उसे शांति बनाए रखने के लिए उसे बॉन्ड क्यों नहीं भरना चाहिए.

आरोप है कि पहले फोन पर कथित तौर पर गाली-गलौज के बाद महाजन पर हमला किया गया था. पाटिल और महाजन के बीच की बातचीत भी सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित हुई है. कथित फोन बातचीत में पाटिल को मुख्यमंत्री की आलोचना करने के लिए महाजन को गाली देते हुए सुना जा सकता है.

महाजन ने द वायर को बताया कि अगर पुलिस ने विधायक के खिलाफ उनकी शिकायत पर कार्रवाई की होती, तो हमला नहीं होता. ‘पाटिल को साफ़ तौर पर मुझे गाली और धमकी देते हुए सुना जा सकता है. कुछ ही दिनों में मुझ पर हमला किया गया. ये लोग पाटिल के समर्थक माने जाते हैं और सार्वजनिक बैठकों में उनके आसपास देखे जाते हैं.’ पुलिस ने पाटिल के खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू नहीं की है.

इंस्पेक्टर खटाल ने द वायर को बताया, ‘हमें दोनों पक्षों से शिकायतें मिली हैं.’

खटाल ने बताया कि कोंडगांव गांव में एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार और हत्या की घटना के बाद से क्षेत्र में तनाव बना हुआ है. उन्होंने कहा, ‘घटना की क्रूरता ने ग्रामीणों को गुस्से से भर दिया था और उसके बाद से गांव में छिटपुट विरोध प्रदर्शन और हिंसा हुई. हम इसे संभाल रहे हैं और हमारा पूरा ध्यान समय पर जांच पूरी करने पर लगा है.’

खटाल ने यह भी जोड़ा कि महाजन पर हमले की घटना भी ‘गंभीर’ थी, लेकिन पुलिस संसाधन हत्या की जांच पर केंद्रित थे.

इस बीच, महाजन पर हमले पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रिया हुई है. पत्रकारों के ट्रेड यूनियनों की अंतरराष्ट्रीय यूनियन- इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने महाजन पर हमले की निंदा की है. इसके द्वारा जारी बयान में कहा गया, ‘आईजेयू एक नाबालिग के बलात्कार और हत्या संबंधी आलोचनात्मक रिपोर्ट के लिए जलगांव, महाराष्ट्र के पत्रकार संदीप महाजन पर स्थानीय शिवसेना विधायक किशोर पाटिल के समर्थकों द्वारा किए गए हमले की निंदा की. हम पत्रकार पर हमला करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की मांग करते हैं.’

उल्लेखनीय है कि महाजन के साथ हुई घटना पत्रकारों पर उनके काम के लिए हुए हमले/दुर्व्यवहार की अकेली घटना नहीं है.

राइट्स एंड रिस्क एनालिसिस ग्रुप (आरआरएजी) के अनुसार, 2022 में पूरे भारत में सात महिला पत्रकारों सहित कुल 194 पत्रकारों को निशाना बनाया गया, जिनमें सर्वाधिक कश्मीर के थे. कम से कम 103 पत्रकार सरकारों द्वारा निशाना बनाए गए, जबकि 91 राजनीतिक कार्यकर्ताओं समेत गैर-सरकारी तत्वों के निशाने पर रहे.

निशाना बनाए गए पत्रकारों की सबसे अधिक संख्या जम्मू और कश्मीर (48) से है, उसके बाद तेलंगाना (40) का स्थान है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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