विश्वभारती की तीन शोध छात्राओं और एक स्नातकोत्तर छात्रा ने मानवविज्ञान विभाग के एक प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. उनका आरोप है कि उन्होंने मार्च 2021 से अधिकारियों के पास लगभग 20 शिकायतें दर्ज कराई थीं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. वहीं, अधिकारियों ने कहा कि आरोप की जांच चल रही है.
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के एकमात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय विश्वभारती की तीन शोध छात्राओं और एक स्नातकोत्तर छात्रा ने प्रोफेसर द्वारा कथित यौन उत्पीड़न के विरोध में सोमवार को भूख हड़ताल की, जो पिछले तीन महीनों में फैकल्टी के किसी सदस्य के खिलाफ इस तरह की तीसरी शिकायत है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने कहा कि आरोप की जांच चल रही है.
मानव विज्ञान विभाग (Anthropology Department) के एक प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए चार छात्राओं ने अपना चेहरा ढंककर एक दिन की भूख हड़ताल की. उन्होंने आरोप लगाया कि उन्होंने मार्च 2021 से अधिकारियों के पास लगभग 20 शिकायतें दर्ज कराईं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
एक शोध छात्रा ने आरोप लगाया कि उसे 2018 से उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है.
छात्रा ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘2021 में प्रोफेसर ने उस फेलोशिप को रोक दिया, जिसकी मैं बतौर पीएचडी स्कॉलर हकदार हूं. जनवरी 2023 में उन्होंने सीधे तौर पर एक अशोभनीय प्रस्ताव रखा. मैंने कुलपति से शिकायत की. विश्वविद्यालय की आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) ने हम तीनों (शोध छात्राओं) को अलग-अलग बुलाया और हमारे बयान दर्ज किए, लेकिन चौथी शिकायतकर्ता (स्नातकोत्तर छात्रा) को अभी तक नहीं बुलाया गया है.’
बीते छात्राओं ने कहा कि उन्होंने 18 अगस्त को रजिस्ट्रार के कार्यालय को एक ईमेल भेजा था, जिसमें कहा गया था कि वे सोमवार को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करेंगे और बाद में पुलिस, अदालतों, राष्ट्रीय महिला आयोग और प्रधानमंत्री कार्यालय से संपर्क करेंगे, जो विश्वविद्यालय के चांसलर हैं.
ईमेल में कहा गया है, ‘जिस क्षण हमने पहली शिकायत दर्ज कराई, उत्पीड़न हमारे लिए दैनिक अग्निपरीक्षा बन गया था, लेकिन हमने धैर्य रखा और उम्मीद की कि विश्वविद्यालय प्रशासन कार्रवाई करेगा. हम अपनी जिंदगी और सुरक्षा को लेकर डरे हुए हैं. हमें यह भी पता चला कि उन्होंने (आरोपी) हमारी मर्यादा को ठेस पहुंचाने के लिए चरित्र हनन और अफवाहें फैलाना शुरू कर दिया है.’
हिंदुस्तान टाइम्स ने टिप्पणी के लिए आरोपी प्रोफेसर से संपर्क किया लेकिन तुरंत कोई टिप्पणी नहीं मिल सकी. कुलपति बिद्युत चक्रवर्ती ने भी मीडिया से बातचीत नहीं की.
हालांकि, विश्वविद्यालय की प्रवक्ता महुआ बनर्जी ने कहा, ‘आईसीसी एक प्रक्रिया का पालन करती है. इसने अपने काम का एक हिस्सा पूरा कर लिया है. वह केवल एक पक्ष को सुनकर कोई निर्णय नहीं दे सकता. प्रोफेसर ने कमेटी को लिखित जवाब सौंप दिया है. समिति इसका अध्ययन करने के बाद उन्हें बुलाएगी.’
रिपोर्ट के अनुसार, ताजा आरोप एक अज्ञात सोशल मीडिया पोस्ट में दूसरे विभाग के एक अनाम प्रोफेसर के खिलाफ आरोप लगाए जाने के कुछ दिनों बाद आया है.
बीते 11 अगस्त को फेसबुक पर पोस्ट कथित तौर पर एक युवती द्वारा की गई थी, जिसने विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष की छात्रा होने का दावा किया था. फेसबुक ग्रुप वीबी कन्फेशन्स पर अपनी पोस्ट में छात्रा ने आरोप लगाया कि तीन साल के स्नातक पाठ्यक्रम के दूसरे वर्ष में प्रवेश करने के बाद उसके विभाग के ‘कई शिक्षकों ने उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया’.
विश्वविद्यालय ने 13 अगस्त को एक बयान में आरोपों से इनकार किया और इसे मनगढ़ंत कहानी कहा, लेकिन फैकल्टी के एक सदस्य ने मामले में ढिलाई दिखाने के लिए कुलपति चक्रवर्ती सहित तीन लोगों के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज की.
14 अगस्त को चक्रवर्ती ने विश्वविद्यालय के खिलाफ सोशल मीडिया अभियान की निंदा करते हुए परिसर में नौ घंटे तक भूख हड़ताल की.
मालूम हो कि इससे पहले 3 जून को शिक्षा विभाग के एक प्रोफेसर राजर्षि रॉय को 2016 से उनके मार्गदर्शन में पीएचडी थीसिस पर काम कर रही छात्रा की शिकायत के आधार पर गिरफ्तार किया गया था. अपनी शिकायत में छात्रा ने आरोप लगाया था कि 2016 से उसका यौन उत्पीड़न किया जा रहा है.
इस मामले में विश्वभारती की प्रवक्ता बनर्जी ने कहा कि यौन उत्पीड़न समिति ने गहन जांच की और अपनी रिपोर्ट अधिकारियों को सौंप दी है. अब तक उनके खिलाफ कोई प्रशासनिक कार्रवाई नहीं की गई है.