दैनिक जागरण की पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक की फेक न्यूज़ समेत समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

भारतीय सेना ने एक बयान जारी कर उस ख़बर का खंडन किया है, जिसमें कहा गया था कि भारतीय सेना ने फिर पाकिस्तान में ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ को अंजाम दिया है. मंगलवार को ‘दैनिक जागरण’ ने राष्ट्रीय संस्करण में पहले पृष्ठ पर ‘भारत ने पाकिस्तान पर फिर की सर्जिकल स्ट्राइक‘ शीर्षक से आधे पन्ने की खबर प्रकाशित की थी. खबर में कहा गया था कि ‘सेना ने राजौरी-पुंछ में एलओसी से ढाई किलोमीटर अंदर पीओके जाकर कार्रवाई की, जिसमें आतंकियों के चार लॉन्चिंग पैड तबाह किए गए और सात से आठ आतंकियों की मौत हुई.’  नवभारत टाइम्स के अनुसार, इसके बाद डिफेंस के जम्मू पीआरओ एक बयान जारी कर कहा कि ऐसा कोई भी ऑपरेशन राजौरी-पुंछ में नहीं किया गया है. कल (सोमवार) को घुसपैठ की एक कोशिश नाकाम की गई थी. उल्लेखनीय है कि सेना के बयान के बाद (मंगलवार शाम आठ बजे तक) दैनिक जागरण ने अपने डिजिटल संस्करण में इस खबर को संपादित नहीं किया है.

हरियाणा की अशोका यूनिवर्सिटी के एक शिक्षक सब्यसाची दास द्वारा ‘लोकतंत्र में गिरावट‘ को लेकर लिखे गए रिसर्च पेपर पर की जांच करने इंटेलिजेंस ब्यूरो के कर्मचारी विश्वविद्यालय पहुंचे थे. द वायर  पर प्रकाशित सिद्धार्थ वरदराजन की रिपोर्ट बताती है कि सोमवार को आईबी के अधिकारी अख़बारों की कुछ कतरनों के साथ सोनीपत स्थित यूनिवर्सिटी परिसर पहुंचे थे और दास से मिलने की इच्छा जाहिर की थी. दास वहां नहीं थे. इसके बाद उन्होंने दास के रिसर्च पेपर की सामग्री को लेकर अन्य फैकल्टी सदस्यों से बात करनी चाही, इस पर फैकल्टी ने कहा कि वह इसका आग्रह लिखित में दे. आईबी कर्मचारियों ने इससे इनकार कर दिया. दास ने एक रिसर्च पेपर में 2019 के लोकसभा चुनाव में ‘हेरफेर’ की संभावना ज़ाहिर की थी, जिस पर विवाद के बाद उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था.

अमरनाथ यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या में कमी के बीच ‘तत्काल मरम्मत’ का हवाला देते हुए यात्रा स्थगित कर दी गई है. द वायर  के लिए जहांगीर अली की रिपोर्ट बताती है कि अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने एक बयान जारी कर कहा है कि यात्रा के संवेदनशील हिस्सों पर बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन द्वारा मरम्मत का काम किया जा रहा है, ऐसे में 23 अगस्त से अमरनाथ गुफा के दोनों मार्गों पर यात्रा बंद रहेगी. यात्रा एक जुलाई से शुरू हुई थी, जहां शुरुआत में दर्शनार्थियों की संख्या पांच अंकों में रही थी, वहीं अगस्त तक तीर्थयात्रियों की संख्या कम होने लगी. 2 अगस्त को चंदनवारी और बालटाल दोनों मार्गों से यात्रा के लिए जम्मू बेस कैंप से केवल 984 तीर्थयात्री से रवाना हुए. 21 अगस्त को यह संख्या और घटकर 362 रह गई.

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ सरकार से संबंधित मामलों में न्यायिक आचरण के संबंध में केंद्र सरकार की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के ड्राफ्ट को लेकर कहा है कि ‘यह ऐसा लगता है मानो केंद्र, अदालतों द्वारा न्यायिक समीक्षा की प्रक्रिया को निर्देशित करना चाहता है.’ बीते हफ्ते जारी पांच पन्नों की ड्राफ्ट एसओपी में केंद्र सरकार ने न्यायपालिका से कहा था कि विभिन्न मामलों, खासकर अदालत की अवमानना के, में अदालत में समन किए गए सरकारी अधिकारियों के साथ ‘अधिक सौहार्दपूर्ण‘ बर्ताव किया जाए. द हिंदू के अनुसार, इसके लेकर सीजेआई ने सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि उन्होंने एसओपी देखी है और कई जगह ऐसा लगता है कि बताया जा रहा है कि न्यायिक समीक्षा कैसे की जानी चाहिए. सीजेआई की टिप्पणियों का जवाब देते हुए मेहता ने यह स्पष्ट किया कि सरकार का अदालतों की न्यायिक समीक्षा की शक्ति को बदलने का कोई इरादा नहीं है.

एक अध्ययन में सामने आया है कि देश में उच्च रिफिल लागत और पहुंच की कमी ग़रीब परिवारों को एलपीजी के उपयोग से रोकती है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अमेरिकी सरकार की एजेंसी यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) द्वारा पर्यावरण और सामाजिक प्रभाव वाले स्टार्ट-अप एएसएआर के सहयोग से यह अध्ययन किया गया है, जिसमें पाया गया कि ग़रीब परिवारों के लिए एलपीजी सिलेंडर को फिर से भरने की कीमत इसके उपयोग में एक बड़ी बाधा है. इसके साथ ही अध्ययन कहता है कि सरकारी योजनाओं की जानकारी न होना, सिलेंडरों की कीमत, ईंधन से होने वाले प्रदूषण के नुकसान के बारे में न जानना जैसे कई कारण हैं, जो कम आय वाले घरों में स्वच्छ एलपीजी के इस्तेमाल को रोकते हैं.

पंजाब में बाढ़ पीड़ितों के लिए हुए एक प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा लाठीचार्ज में चोटिल हुए एक किसान की मौत हो गई है. द वायर  पर प्रकाशित ज़ीशान कास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, घटना संगरूर ज़िले के लोंगोवाल की है., जहां पुलिस द्वारा लाठीचार्ज के दौरान कथित तौर पर घायल होने के बाद सोमवार को एक 70 वर्षीय किसान की मौत हो गई. वे प्रदर्शनकारी किसानों के एक समूह के साथ थे, जो मुआवजे की मांग को लेकर चंडीगढ़ जा रहे थे. जुलाई महीने में पंजाब और हरियाणा में बाढ़ आई थी, जिसके परिणामस्वरूप किसानों को काफी वित्तीय नुकसान हुआ था. तब से किसान संगठन बाढ़ प्रभावितों के लिए मुआवज़े की मांग कर रहे हैं. चंडीगढ़ में विरोध प्रदर्शन से पहले कई किसान नेताओं को हिरासत में भी लिया गया.