एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार भारत के मुख्य जांच अधिकारी (सीआईओ) का नया पद बनाने की सोच रही है और 15 सितंबर को रिटायर होने से पहले ईडी प्रमुख संजय कुमार मिश्रा यह पद दिया जा सकता है. सीबीआई और ईडी के प्रमुख सीआईओ को रिपोर्ट करेंगे, जिसकी जवाबदेही सीधे पीएमओ को होगी.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार भारत के मुख्य जांच अधिकारी (सीआईओ) का एक नया पद बनाने पर विचार कर रही है, जिसे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के प्रमुख रिपोर्ट करेंगे.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, ऐसी संभावना है कि ईडी के वर्तमान प्रमुख संजय कुमार मिश्रा को 15 सितंबर को अपना मौजूदा कार्यालय छोड़ने से पहले देश का पहला सीआईओ बनाया जा सकता है.
सीआईओ का पद संभालने वाला अधिकारी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की तरह सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को रिपोर्ट करेगा. सीडीएस का पद नरेंद्र मोदी सरकार ने 2019 में बनाया था, जिन्हें तीन रक्षा सेवाओं के प्रमुख रिपोर्ट करते हैं.
सरकार के सूत्रों का हवाला देते हुए, न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि सीआईओ की नई भूमिका तय किए जाने के पीछे ‘उनके [सीबीआई और ईडी] के बीच बेहतर तालमेल लाने’ का विचार है.
ज्ञात हो कि ईडी मुख्य रूप से वित्तीय धोखाधड़ी से निपटती है, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) उल्लंघन से संबंधित मामले शामिल हैं, वहीं सीबीआई भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करती है. इस नए पद के घटनाक्रम से अवगत अधिकारियों ने कहा कि जांच के दौरान ‘ओवरलैप’ के चलते ऐसी नई संस्था बनाने की जरूरत है.
मिश्रा, जो संभवतः पहले सीआईओ के रूप में कार्यभार संभाल सकते थे, को हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने ‘व्यापक सार्वजनिक और राष्ट्रीय हित’ में 15 सितंबर तक ईडी प्रमुख के पद पर बने रहने की अनुमति दी थी. इससे पहले उन्हें एक साल का तीसरा विस्तार देने की केंद्र की याचिका को खारिज कर दिया गया था.
गौरतलब है कि 61 वर्षीय मिश्रा 1984 बैच के आयकर कैडर में भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी हैं और उन्हें पहली बार 19 नवंबर 2018 को एक आदेश द्वारा दो साल की अवधि के लिए ईडी निदेशक नियुक्त किया गया था.
बाद में 13 नवंबर 2020 के एक आदेश द्वारा नियुक्ति पत्र को केंद्र सरकार द्वारा पूर्व प्रभाव से संशोधित किया गया और दो साल के उनके कार्यकाल को तीन साल के कार्यकाल में बदल दिया गया.
केंद्र के 2020 के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई थी, जिसने विस्तार आदेश को बरकरार रखा था, लेकिन साथ ही यह कहा था कि मिश्रा को आगे कोई विस्तार नहीं दिया जा सकता है. उस समय जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट किया था कि सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त कर चुके अधिकारियों के कार्यकाल का विस्तार दुर्लभ और असाधारण मामलों में किया जाना चाहिए. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया था कि मिश्रा को आगे कोई सेवा विस्तार नहीं दिया जा सकता है.
केंद्र ने उन्हें 17 नवंबर 2021 से 17 नवंबर 2022 तक दूसरा विस्तार दिया था. इसके बाद अदालत में याचिका दायर की गई थी. इस रिट याचिका के लंबित रहने के दौरान, मिश्रा को 18 नवंबर 2022 से 18 नवंबर 2023 तक के लिए तीसरा विस्तार दे दिया गया.
हालांकि, सरकार ने नवंबर 2021 में दो अध्यादेश जारी किए जिसमें कहा गया था कि ईडी और सीबीआई के निदेशकों का कार्यकाल अब दो साल के अनिवार्य कार्यकाल के बाद तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है.
इस साल मई महीने में मिश्रा के कार्यकाल विस्तार के ख़िलाफ़ याचिका सुनते हुए जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली पीठ ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सवाल किया था, ‘क्या संगठन में कोई दूसरा व्यक्ति नहीं है जो उनका काम कर सके? क्या एक व्यक्ति इतना जरूरी हो सकता है? आपके मुताबिक, ई़डी में कोई और व्यक्ति नहीं है जो सक्षम हो? 2023 के बाद एजेंसी का क्या होगा, जब वे रिटायर हो जाएंगे?’
तब मेहता ने कहा था कि ग्लोबल टेरर फाइनेंसिंग वॉचडॉग- फायनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) द्वारा भारत के पीअर रिव्यू से पहले नेतृत्व में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए विस्तार की जरूरत थी. यह रिव्यू इस साल होने की उम्मीद है.
द वायर ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि एफएटीएफ द्वारा किसी देश को कम से कम 40 मापदंडों पर आंका जाता है और ईडी का मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग को देखा जाना उन 40 में से सिर्फ एक है.
उल्लेखनीय है कि संजय कुमार मिश्रा विपक्ष के नेताओं के खिलाफ कई मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों को भी देख रहे हैं. 2020 में उनके सेवा विस्तार के समय द वायर ने एक रिपोर्ट में बताया था कि कम से कम ऐसे सोलह मामले, जो विपक्ष के विभिन्न दलों के नेताओं से जुड़े हुए थे, मिश्रा की अगुवाई में ईडी उनकी जांच कर रहा था.