मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बीते 23 अगस्त को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा और दो विशेष कार्य अधिकारियों (ओएसडी) के परिसरों पर छापा मारकर चार लोगों को गिरफ़्तार किया था. यह मामला महादेव ऐप रैकेट से संबंधित है, जो एक ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म है.
नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा ने गुरुवार (24 अगस्त) को आरोप लगाया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एक टीम ने बुधवार (23 अगस्त) को उनके घर पर ‘डकैती’ की है. उन्होंने कहा कि कि केंद्रीय एजेंसी झूठ बोल रही है कि महादेव ऑनलाइन गेमिंग ऐप मामले में एक मुख्य आरोपी उनसे संबंधित था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार को ईडी ने वर्मा और दो विशेष कार्य अधिकारियों (ओएसडी) के परिसरों पर छापा मारकर चार लोगों को गिरफ्तार किया था. मनी लॉन्ड्रिंग का मामला महादेव ऐप रैकेट से संबंधित है, जो एक ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म है, जिसने कथित तौर पर लोगों से ठगी की है. कथित तौर पर यह मामला करीब 5,000 करोड़ रुपये के लेनदेन से जुड़ा हुआ है.
गिरफ्तार किए गए चार लोगों में सहायक सब-इंस्पेक्टर (एएसआई) चंद्रभूषण वर्मा भी शामिल हैं, जो ईडी के अनुसार, विनोद वर्मा से संबंधित हैं.
ईडी ने आरोप लगाया कि विनोद वर्मा के संबंधों का इस्तेमाल करते हुए चंद्रभूषण वर्मा ने छत्तीसगढ़ में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और सत्ता में बैठे राजनेताओं को 65 करोड़ रुपये की रिश्वत दी. एजेंसी ने आरोप लगाया कि विनोद वर्मा के माध्यम से एएसआई वर्मा के मुख्यमंत्री कार्यालय में संपर्क थे.
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के सदस्य विनोद वर्मा ने कहा कि ईडी अफवाहों पर काम कर रही है.
उन्होंने कहा, ‘मैं 1987 से पत्रकार हूं और कुछ साल पहले राजनेता बन गया. मेरे पास (छिपाने के लिए) कुछ भी नहीं है. मेरे घर की धूल भी मेरे पैरों की है. ईडी का कहना है कि मैं 65 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शामिल हूं. मैं कहना चाहता हूं कि मैंने एक पैसे का भी गलत इस्तेमाल नहीं किया है और आरोप महज कुछ साल पहले छपी एक पत्रिका की काल्पनिक समाचार रिपोर्ट पर आधारित हैं.’
उन्होंने कहा, ‘मैं एएसआई वर्मा से संबंधित नहीं हूं. उनके पास क्या सबूत है कि मेरा उनसे कोई संबंध है? साथ ही, उनके पास क्या सबूत है कि हम संपर्क में थे? यह छापेमारी अफवाहों और मेरे खिलाफ सिर्फ एक व्यक्ति के बयान पर आधारित है. उनके पास कोई सबूत नहीं है.’
वर्मा ने कहा कि वह पत्रिका के खिलाफ मानहानि का मामला दायर करेंगे.
वर्मा ने कहा, ‘मैंने अपनी पत्नी द्वारा खरीदे गए सोने के एक सामान को छोड़कर बाकी खरीदे गए सोने के सभी बिल प्रस्तुत किए, लेकिन उन्होंने फिर भी यह कहते हुए सोना जब्त कर लिया कि यह साबित करने की जिम्मेदारी मुझ पर है कि मैंने इन बिलों का भुगतान कैसे किया. उन्होंने मेरे बेटे की शादी के दिन उपहार के रूप में हमें जो नकदी मिली थी, उसे भी लिफाफे में ले लिया. यह डकैती है, लूट है.’
वर्मा ने कहा कि उन्होंने कुछ साल पहले चंद्रभूषण वर्मा से भी मुलाकात की थी और उन्हें उनके नाम का दुरुपयोग करने पर कार्रवाई की चेतावनी दी थी. वर्मा ने यह भी कहा कि उन्होंने दिसंबर 2022 में दुर्ग पुलिस को संबंधित गेमिंग ऐप के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लिखा था.
वर्मा ने आरोप लगाया कि छापेमारी के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का हाथ है. राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बदनाम करने के लिए ये छापेमारी की जा रही है.