प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, भारतीय विमेन प्रेस कोर, प्रेस एसोसिएशन, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स और वर्किंग न्यूज़ कैमरामैन एसोसिएशन ने कहा कि ‘द कश्मीर वाला’ के ख़िलाफ़ सरकार की कार्रवाई ‘प्रेस की आज़ादी की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाती है.’
नई दिल्ली: मीडिया निकायों ने कहा कि कश्मीर के स्वतंत्र मीडिया संस्थान ‘द कश्मीर वाला’ की वेबसाइट और सोशल मीडिया हैंडल को ‘मनमाने ढंग से’ ब्लॉक कर देना ‘हमारे लोकतांत्रिक राष्ट्र में प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाता है.’
रिपोर्ट के अनुसार, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, इंडियन विमेन प्रेस कॉर्प्स, प्रेस एसोसिएशन, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और वर्किंग न्यूज कैमरामैन एसोसिएशन ने गुरुवार, 24 अगस्त को एक बयान जारी कर वेबसाइट एक्सेस और सोशल मीडिया हैंडल को ‘फ़ौरन बहाल’ करने की मांग की है. उन्होंने स्वतंत्र मीडिया आउटलेट ‘गांव सवेरा’ के सोशल मीडिया हैंडल ब्लॉक करने की भी निंदा की है.
बयान में कहा गया, ‘प्रेस क्लब ऑफ इंडिया और इस बयान पर हस्ताक्षर करने वाले मीडिया निकाय फ्री स्पीच, स्वतंत्र पत्रकारिता और देश के लोकतांत्रिक मूल्यों के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए समर्पित संस्थानों के तौर पर बिना किसी कारण का हवाला दिए ‘कश्मीर वाला’ के डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को एकतरफा तरीके से ब्लॉक करना बेहद चिंताजनक मानते हैं. बिना किसी पूर्व सूचना, आधिकारिक संवाद या संबंधित पक्ष को किसी भी शिकायत पर बोलने का अवसर दिए बिना एक्सेस ब्लॉक करना संविधान में निहित मौलिक अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है.’
मीडिया निकायों ने यह भी कहा कि ‘कश्मीर वाला’ के संपादक को ‘बिना किसी स्पष्टीकरण’ के गिरफ्तार किया जाना देश भर के पत्रकारों को भयभीत करने वाला है. उन्होंने सरकार से मीडिया पेशेवरों को प्रतिशोध या धमकी के डर के बिना अपना काम करने देने की अपील की है.
‘द कश्मीर वाला’ के खिलाफ कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब इसके संपादक फहद शाह आतंकवाद के आरोप में 18 महीने से जम्मू जेल में बंद हैं, जबकि आउटलेट के प्रशिक्षु रिपोर्टर सज्जाद गुल भी उत्तर प्रदेश की जेल में बंद हैं. जनवरी 2022 से सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत.
इस बीच, स्वतंत्र समाचार वेबसाइट ‘गांव सवेरा’ के सोशल मीडिया हैंडल को इस सप्ताह ब्लॉक कर दिया गया. वेबसाइट का ट्विटर पेज मंगलवार (22 अगस्त) को भारत में बंद कर दिया गया था, जबकि इसका फेसबुक पेज सोमवार से एक्सेस नहीं किया जा सका. वेबसाइट किसानों और ग्रामीण मसलों को उठाने का काम करती है.
गांव सवेरा के संपादक मनदीप पुनिया ने न्यूज़लॉन्ड्री से कहा कि सरकार की कार्रवाई पंजाब में चल रहे किसान विरोध प्रदर्शन से जुड़ी है, जिसे ‘गांव सवेरा’ व्यापक रूप से कवर कर रहा है.
पुनिया ने कहा, ‘जब भी कोई पत्रकार ग्रामीण संकट पर रिपोर्टिंग करता है, तब उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है. सरकार नहीं चाहती है कि देश को दिखाया जाए कि कैसे किसान और मजदूर मिलकर इस ग्रामीण संकट के खिलाफ लड़ रहे हैं.’
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी बयान जारी किया है. इसने कहा है, ‘गिल्ड उचित प्रक्रियाओं का पालन किए बिना और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा सेंसरशिप से परेशान है. श्रेया सिंघल बनाम भारत सरकार फैसले में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि ब्लॉक करने की कार्रवाई से पहले उन लोगों की पहचान और उन्हें सूचित करने के लिए सभी उचित प्रयास किए जाने चाहिए, जिनकी जानकारी तक एक्सेस प्रतिबंधित करने की मांग की गई है, साथ ही साथ उन्हें अपील करने का अधिकार भी दिया गया था.’
बयान में आगे कहा गया कि गिल्ड मंत्रालय से निलंबन के आदेशों को सार्वजनिक डोमेन में जारी करने और सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित उचित प्रक्रियाओं का पालन करने का आग्रह करता है.