राजस्थान: दलित छात्र की आत्महत्या मामले में स्कूल के दो शिक्षकों के ख़िलाफ़ हत्या का केस दर्ज

राजस्थान के कोटपूतली-बहरोड़ ज़िले के जवाहर नवोदय विद्यालय का मामला. ​दलित छात्र ने अपनी मौत से पहले परिजनों को बताया था कि स्कूल के दो शिक्षक पिछले कई दिनों से उसे जातिसूचक गालियां देने के साथ उसके सहपाठियों के सामने उसे अपमानित कर रहे थे. केस दर्ज करने के बाद दोनों शिक्षकों को स्कूल से निलंबित कर दिया गया है.

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(प्रतीकात्मक तस्वीर साभार: Flickr/Adam Cohn (CC BY-NC-ND 2.0)

राजस्थान के कोटपूतली-बहरोड़ ज़िले के जवाहर नवोदय विद्यालय का मामला. ​दलित छात्र ने अपनी मौत से पहले परिजनों को बताया था कि स्कूल के दो शिक्षक पिछले कई दिनों से उसे जातिसूचक गालियां देने के साथ उसके सहपाठियों के सामने उसे अपमानित कर रहे थे. केस दर्ज करने के बाद दोनों शिक्षकों को स्कूल से निलंबित कर दिया गया है.

(प्रतीकात्मक तस्वीर साभार: Flickr/Adam Cohn (CC BY-NC-ND 2.0)

नई दिल्ली: राजस्थान के कोटपूतली-बहरोड़ जिले में 10वीं कक्षा के एक दलित छात्र की कथित तौर पर आत्महत्या से मौत के बाद राजस्थान पुलिस ने दो स्कूल शिक्षकों के खिलाफ हत्या की एफआईआर दर्ज की है.

एफआईआर के अनुसार, 50 वर्षीय सत्यपाल कुलदीप ने कहा कि उनके छोटे भाई बनवारी लाल के बेटे सचिन कुलदीप ने 22 अगस्त की रात को अपने पिता को फोन किया था. वह पावटा के जवाहर नवोदय विद्यालय में पढ़ता था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सत्यपाल ने कहा कि फोन पर रोते हुए सचिन ने उन्हें बताया था कि विवेक सर और राजकुमार सर पिछले कई दिनों से उसे जातिसूचक गालियां दे रहे थे और उसके सहपाठियों के सामने उसे अपमानित कर रहे थे. सचिन ने कहा था कि उसने प्रिंसिपल और वाइस-प्रिंसिपल से शिकायत की थी, लेकिन प्रिंसिपल ने कहा, ‘जिस जाति के हो उस जाति के रहोगे, इसमें गलत क्या है’.

इस कॉल के कुछ घंटों बाद स्कूल के छात्रावास में रहने वाले सचिन ने कथित तौर पर कक्षा में फांसी लगा ली. सुबह सफाई कर्मचारी ने उसका शव ‘10बी’ कक्षा के पंखे से गर्दन के सहारे लटका देखा.

परिवार ने आरोप लगाया है कि स्कूल अधिकारियों ने उन्हें घटना के बारे में सूचित भी नहीं किया, बल्कि पुलिस ने ही उन्हें सुबह 8 बजे के आसपास फोन किया और उन्हें जल्द से जल्द स्कूल पहुंचने के लिए कहा था.

सत्यपाल ने कहा, हम सुबह 10 बजे के आसपास स्कूल पहुंचे और प्रिंसिपल और वाइस-प्रिंसिपल से सचिन के बारे में पूछताछ की, लेकिन उन्होंने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया. हमारे पहुंचने के एक घंटे बाद ही हमें स्कूल स्टाफ ने बताया कि सचिन ‘अस्वस्थ’ हैं और उसे पावटा अस्पताल में भर्ती कराया गया है.’

पावटा तहसील – जहां स्कूल स्थित है – अब नवगठित कोटपूतली-बहरोड़ जिले के अंतर्गत आती है और परिवार जयपुर की शाहपुरा तहसील के हनुतपुरा गांव में रहता है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, इस संबंध में स्कूल के प्रिंसिपल अजय अग्रवाल ने उसके कॉल का जवाब नहीं दिया.

सत्यपाल ने कहा कि स्कूल में सचिन के सहपाठियों ने उन्हें बताया कि (22 अगस्त की) शाम को दोनों शिक्षकों ने उसे अपमानित किया और मानसिक और शारीरिक रूप से दंडित किया.

सत्यपाल ने आरोप लगाया, ‘वे उसे परीक्षाओं और सेशनल (परीक्षाओं) में खराब अंक लाने और उसका भविष्य खराब करने की धमकी देते थे.’

स्कूल के एक कथित वीडियो में 12वीं कक्षा के लगभग आधा दर्जन लड़के कहते हैं कि उन्होंने 22 अगस्त की शाम को स्कूल के मैदान में शिक्षकों- राजकुमार और विवेक के साथ सचिन कुलदीप और दिलकुश (दोनों 10वीं कक्षा के थे) को देखा था.

वीडियो में एक लड़का कहता है, ‘सचिन कह रहा था कि वह अपनी गलती स्वीकार करता है, लेकिन वह इस बात पर भी जोर दे रहा था कि सर को जातिसूचक गालियां देने की अपनी गलती भी स्वीकार करनी चाहिए. फिर सर ने उससे पूछा कि गाली क्या थी. सचिन ने गाली का हवाला दिया और फिर सर ने तीन बार गाली दोहराई और उसे धमकी दी.’

एक लड़का कहता है, ‘राजकुमार सर ने फिर उसे दो थप्पड़ मारे और फिर से जातिसूचक गालियां दीं और उसे जो कुछ भी कर सकता था करने की चुनौती दी. बाद में सचिन ने खाना छोड़ दिया, लेकिन सर ने उसे खाने के लिए कहने के बजाय उसे फिर से डांटा.’

लड़के ने कहा, ‘अगले दिन उनकी परीक्षा थी और विवेक और दिलकुश एक साथ पढ़ रहे थे, लेकिन पढ़ाई के बजाय सचिन इस बारे में बात करता रहा कि उसके और विवेक सर के बीच क्या हुआ था. लगभग 1:30 बजे (सुबह) दिलकुश उदयगिरी हाउस के लिए निकला और जब पूछा गया तो सचिन ने कहा कि वह अरावली हाउस जा रहा है और कहा कि विवेक सर अब मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते.’

लड़का कहता है कि सचिन अंतत: चार स्कूल हाउसों में से किसी में भी नहीं गया और सुबह उसकी मौत के बारे में पता चला.

रिपोर्ट के अनुसार, परिवार का यह भी दावा है कि सचिन की आत्महत्या के आसपास की परिस्थितियां संदिग्ध हैं, क्योंकि उसके पैर फर्श को छू रहे थे और वास्तव में इतने नीचे थे कि ‘वे लगभग 30 डिग्री के कोण पर मुड़े हुए थे’.

23 अगस्त की देर रात परागपुरा पुलिस स्टेशन में दोनों शिक्षकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) के साथ ही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई.

परिवार ने शुरू में शव लेने से इनकार कर दिया था और जिला प्रशासन के समक्ष कई मांगें रखी थीं, लेकिन शुक्रवार (25 अगस्त) को एक समझौते पर पहुंचे और शव का अंतिम संस्कार किया. इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए सत्यपाल ने पुष्टि की, ‘हम प्रशासन के साथ एक समझौते पर पहुंच गए हैं.’

परिवार का समर्थन करने वाले एक स्थानीय कार्यकर्ता रोशन मुंडोतिया ने कहा कि दो शिक्षकों – विवेक यादव और राजकुमार यादव को निलंबित कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि सचिन के पिता बनवारी लाल एक मजदूर हैं और सचिन के अलावा उनकी दो बेटियां और एक और बेटा है.

जिले की विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) आईपीएस रंजीता शर्मा ने कहा कि शुक्रवार को परिवार के साथ समझौता हुआ, जिसके बाद परिवार ने शव का अंतिम संस्कार किया.

शर्मा ने कहा, ‘एससी/एसटी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार परिवार को मुआवजा दिया जाएगा और स्कूल प्रशासन बच्चे के परिजनों के लिए अनुबंध आधारित रोजगार के लिए प्रयास करेगा.’

उन्होंने कहा, ‘हमने उन्हें निष्पक्ष और त्वरित जांच का आश्वासन दिया है और मामले में एक डिप्टी एसपी रैंक के अधिकारी को जांच अधिकारी नियुक्त किया है.’ उन्होंने आगे कहा कि शव का पोस्टमॉर्टम हो चुका है और रिपोर्ट का इंतजार है.

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