पंजाब: राज्यपाल की राष्ट्रपति शासन लगा देने की धमकी, सीएम भगवंत मान बोले- झुकने वाला नहीं हूं

पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की धमकी के जवाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि एक 'चयनित राज्यपाल' को निर्वाचित प्रतिनिधियों को धमकाने और लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को गिराने का दुर्भावनापूर्ण प्रयास करने का नैतिक अधिकार नहीं है. 

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित. (फोटो साभार: ट्विटर और पंजाब राज भवन)

पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की धमकी के जवाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि एक ‘चयनित राज्यपाल’ को निर्वाचित प्रतिनिधियों को धमकाने और लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को गिराने का दुर्भावनापूर्ण प्रयास करने का नैतिक अधिकार नहीं है.

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित. (फोटो साभार: ट्विटर और पंजाब राज भवन)

नई दिल्ली: पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते मुख्यमंत्री भगवंत मान को भेजे गए पत्र में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की धमकी दी है.

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, शुक्रवार को भेजे पत्र में उन्होंने मान को उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू करने को लेकर भी धमकाया है.

पुरोहित ने अपने पत्र में कहा कि यह मानने का कारण है कि राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो गया है. चार पन्ने के इस पत्र में उन्होंने कहा, ‘इससे पहले कि मैं संवैधानिक तंत्र की विफलता के बारे में अनुच्छेद 356 [राज्य में संवैधानिक मशीनरी की विफलता के मामले में प्रावधान] के तहत भारत के राष्ट्रपति को एक रिपोर्ट भेजने के संबंध में अंतिम निर्णय लेने जा रहा हूं और धारा 124 (आईपीसी के किसी भी वैध शक्ति के प्रयोग को मजबूर करने या प्रतिबंधित करने के इरादे से राज्यपाल पर हमला करना) के तहत आपराधिक कार्यवाही शुरू करने के बारे में निर्णय लूं. मैं आपसे ऊपर उल्लिखित मेरे पत्रों के तहत मांगी गई अपेक्षित जानकारी, साथ ही राज्य में ड्रग्स की समस्या के संबंध में आपके द्वारा उठाए गए कदमों की भी जानकारी भेजने के लिए कह रहा हूं. ऐसा न होने पर मेरे पास कानून और संविधान के अनुसार कार्रवाई करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.’

राज्यपाल ने पत्र में राज्य सरकार से पंजाब में ड्रग्स की बड़े पैमाने पर उपलब्धता और दुरुपयोग के संबंध में की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट भी मांगी है.

राज्यपाल की धमकी पर आम आदमी पार्टी पंजाब के प्रवक्ता मलविंदर सिंह कांग ने कहा है कि ‘राज्यपाल भाजपा प्रवक्ता की तरह काम कर रहे हैं और गैर-भाजपा राज्य सरकार को परेशान करने के अपने एजेंडा को आगे बढ़ा रहे हैं.’

कांग ने कहा कि पुरोहित का पत्र देश के लोकतांत्रिक और संवैधानिक सिद्धांतों के खिलाफ है. उन्होंने जोड़ा, ‘राज्यपाल को मर्यादा बनाए रखनी चाहिए और लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को राष्ट्रपति शासन की धमकी नहीं देनी चाहिए. यदि वे राष्ट्रपति शासन लगाना चाहते हैं, तो उन्हें मणिपुर और हरियाणा में ऐसा करना चाहिए.’

सीएम मान ने कहा- ऐसी धमकियों के आगे झुकने वाला नहीं

राज्यपाल की चिट्ठी का जवाब सीएम भगवंत मान ने चंडीगढ़ में एक प्रेस वार्ता करते हुए दिया. उन्होंने कहा, ‘पंजाबियों के सब्र का इम्तिहान लेने की कोशिश न करें. राज्यपाल जानबूझकर पंजाबियों को यह कहकर डरा रहे हैं कि वह राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करेंगे. वह पंजाब के लोगों द्वारा दिए गए जनादेश का मजाक उड़ाने की कोशिश कर रहे हैं.’

पुरोहित की राष्ट्रपति शासन की धमकी को पंजाब के 3.5 करोड़ लोगों का अपमान बताते हुए मान ने कहा कि इसने ‘उन शांतिपूर्ण और मेहनती पंजाबियों के मन को ठेस पहुंचाई है, जिन्होंने देश को खाद्यान्न उत्पादन में सरप्लस बनाने के अलावा देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए अभूतपूर्व बलिदान दिया है.’

उन्होंने कहा, ‘हम अनुच्छेद 356 से नहीं डरते. इसके दुरुपयोग से सबसे ज्यादा नुकसान पंजाब को हुआ है. मैं ऐसी धमकियों के आगे झुकने वाला नहीं हूं और राज्य और इसके लोगों के हित से समझौता नहीं करूंगा.’

मान ने जोड़ा उन्होंने कहा कि एक ‘चयनित राज्यपाल’ को निर्वाचित प्रतिनिधियों को धमकाने और लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई इस सरकार को गिराने का दुर्भावनापूर्ण प्रयास करने का नैतिक अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि पुरोहित ने देश के संविधान और इसके निर्माता डॉ. बीआर आंबेडकर का अपमान किया है.

मान ने कहा कि पुरोहित द्वारा लिखे गए पत्रों से ‘सत्ता की भूख की बू आती है क्योंकि वह अब राजनीतिक रूप से अप्रासंगिक महसूस कर रहे हैं. ‘चूंकि वे वहां (अपने मूल राज्य में) चुनाव हार गए हैं, फिर भी वह आदेश देने की अपनी आदत नहीं छोड़ पा रहे हैं. मुझे पता चला है कि नागपुर जाने से पहले गवर्नर साहब का परिवार राजस्थान में रहता था. अगर उनमें आदेश देने का इतना शौक है तो वह राजस्थान में भाजपा का सीएम चेहरा क्यों नहीं बनते और वहां विधानसभा चुनाव क्यों नहीं लड़ते!’

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल के 16 पत्रों में से नौ का जवाब दिया है और बाकी पत्रों के जवाब जल्दी भेज दिए जाएंगे. उन्होंने जोड़ा कि पुरोहित ‘चुनी हुई सरकार पर असंवैधानिक तरीके से दबाव डाल रहे थे.’

अनसुलझे मुद्दों पर राज्यपाल की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने ग्रामीण विकास निधि (आरडीएफ) और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) आवंटन के तहत करोड़ों रुपये रोक रखे हैं. मान ने कहा, ‘केंद्र ने पंजाब के किसानों की चिंताओं पर ध्यान नहीं दिया है और यह चिंताजनक है कि राज्यपाल ने पंजाब के वास्तविक मुद्दों को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार को एक भी पत्र नहीं लिखा है.’

पंजाब विश्वविद्यालय पर बैठक के संबंध में सीएम ने दावा किया कि पंजाब के राज्यपाल ने लगातार भाजपा शासित हरियाणा का पक्ष लिया, जो पंजाबियों के प्रति ‘निष्ठाकी कमी’ का इशारा है.

मान ने जोड़ा कि चंडीगढ़ के प्रशासक के रूप में पुरोहित ने रातोंरात चंडीगढ़ में तैनात पंजाब-कैडर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को हटा दिया, जिससे पंजाब छह महीने के लिए पद से वंचित हो गया.

मान ने यह भी कहा कि उनकी सरकार ड्रग्स के संकट से निपटने के लिए सक्रिय कदम उठा रही है, तस्करों की संपत्तियों को जब्त कर रही है और छापे मार रही है. साथ ही एंटी-गैंगस्टर टास्क फोर्स के गठन के साथ गैंगस्टरों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, इसलिए राज्यपाल का राज्य में कानून और व्यवस्था ठीक न होने का दावा सही नहीं है.

गैर-भाजपा शासित राज्यों के गवर्नर पर उठाया सवाल 

पीटीआई के अनुसार, मान ने गैर-भाजपा शासित राज्यों के राज्यपालों के संबंधित राज्य सरकारों के साथ होने वाली खींचतान पर भी सवाल उठाए.

मान ने भाजपा शासित राज्यों के हालात पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘मैं गवर्नर साहब से पूछना चाहता हूं कि नूंह में जो कुछ हुआ, वहां जो सांप्रदायिक झड़पें और हिंसा हुई और कर्फ्यू लगाना पड़ा, उसके संबंध में क्या हरियाणा के राज्यपाल ने हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर को कोई नोटिस जारी किया है? क्या हरियाणा के राज्यपाल ने खट्टर को कोई पत्र लिखा? नहीं, क्योंकि केंद्र में भी उन्हीं की सरकार है.’

उन्होंने कहा कि पंजाब के राज्यपाल पंजाब में कानून-व्यवस्था को लेकर चिंतित हैं, लेकिन उन्होंने जातीय हिंसा से जूझ रहे मणिपुर पर कभी कोई बयान नहीं दिया. ‘क्या संविधान मणिपुर में लागू नहीं है?’

मान ने गैंगस्टर से माफिया से नेता बने अतीक अहमद की सरेआम हत्या की तरफ इशारा करते हुए कहा, ‘उत्तर प्रदेश में पत्रकारों के सामने एक हत्या हो जाती है, लेकिन क्या यूपी के राज्यपाल कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए योगी आदित्यनाथ को कोई पत्र जारी करने की हिम्मत करेंगे?’

मान ने दावा किया कि पंजाब, दिल्ली, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना को छोड़कर ज्यादातर लोग अपने राज्यपालों के नाम नहीं जानते होंगे, क्योंकि इन सभी में गैर-भाजपा सरकारों का शासन है.

गैर-भाजपा शासित राज्यों में राज्यपालों पर सवाल उठाते हुए मान ने कहा कि तेलंगाना सरकार को विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर अपनी सहमति देने में राज्यपाल द्वारा देरी के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख करना पड़ा. उन्होंने कहा, ‘हम (पंजाब में आप सरकार) 92 विधायकों के साथ एक निर्वाचित सरकार हैं. चुनाव आयोग ने संविधान के अनुसार चुनाव कराया. हम कैबिनेट में एजेंडा पारित करते हैं और फिर विधेयक पेश किए जाते हैं, लेकिन वे राज्यपाल की सहमति के अभाव में अटक जाते हैं.’

मान ने कहा, ‘लोगों को अपनी पसंद की सरकार चुनने का अधिकार है, लेकिन दिल्ली, पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में राज्यपाल गैर-भाजपा सरकारों के कामकाज में अनुचित बाधाएं पैदा करने के लिए केंद्र सरकार की कठपुतली की तरह काम कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा कि पंजाब को पिछली केंद्र सरकारों की मनमानी कार्रवाइयों के कारण नुकसान उठाना पड़ा है और एक बार फिर राज्यपाल के माध्यम से राज्य के लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है. मान ने दावा किया, ‘राज्यपाल सत्ता पर कब्ज़ा करने की साजिश रच रहे हैं, यही वजह है कि वह एक चुनी हुई सरकार को हटाने की धमकियां दे रहे हैं.’

पहली बार नहीं है राज्यपाल-सीएम के बीच खींचतान

मान और पुरोहित के बीच लगभग एक साल से कई मुद्दों पर मतभेद चल रहा है, जिसमें कुलपतियों की नियुक्ति, विशेष विधानसभा सत्र बुलाना और आधिकारिक कार्यक्रमों से सीएम की अनुपस्थिति शामिल है. राज्यपाल ने मान पर बार-बार प्रशासनिक मामलों पर जानकारी मांगने वाले उनके पत्रों का जवाब नहीं देने का आरोप लगाया है. सीएम ने इन पत्रों को ‘लव लेटर’ कहते रहे हैं.

पंजाब गैर-भाजपा शासित एकमात्र राज्य नहीं है, जहां राज्य सरकार और केंद्र द्वारा नियुक्त राज्यपाल के बीच मतभेद देखा गया है. पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में ऐसा हुआ है और जारी है. लेकिन इनमें से किसी भी राज्य में राज्यपाल ने राज्य सरकार को बर्खास्त करने और राष्ट्रपति शासन लगाने की धमकी नहीं दी है.