हिंसाग्रस्त मणिपुर में बीते रविवार को इंफाल पश्चिम जिले के न्यू लाम्बुलाने इलाके में अज्ञात लोगों ने तीन ख़ाली पड़े घरों में आग लगा दी थी. वहीं, सगोलबंद बिजॉय गोविंदा इलाके में अज्ञात लोगों ने राज्य के पूर्व स्वास्थ्य निदेशक के. राजो के सुरक्षा गार्डों से दो असॉल्ट राइफलें और एक कार्बाइन छीन ली थी.
नई दिल्ली: हिंसाग्रस्त मणिपुर में विधानसभा सत्र से दो दिन पहले रविवार (27 अगस्त) को राजधानी इंफाल में ताजा हिंसा हुई, जब तीन खाली पड़े घर जला दिए गए और सुरक्षाकर्मियों की असॉल्ट राइफलें चोरी कर ली गईं.
ताजा हिंसा से बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय और आदिवासी कुकी समुदाय के बीच झड़पों की पृष्ठभूमि में स्थापित नाजुक शांति में तनाव आ गया है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जिला पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘रविवार दोपहर को इंफाल पश्चिम जिले के न्यू लाम्बुलाने इलाके में अज्ञात बदमाशों ने तीन खाली पड़े घरों में आग लगा दी.’
अधिकारी ने बताया कि सुरक्षाकर्मियों ने उस भीड़ को तितर-बितर करने के लिए कई राउंड आंसू गैस के गोले दागे, जो मेईतेई-बहुल इंफाल घाटी के कुछ कुकी-प्रभुत्व वाले इलाकों में से एक न्यू लाम्बुलेन में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे.
एक दूसरे पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इंफाल जिले के सगोलबंद बिजॉय गोविंदा इलाके में अज्ञात लोगों ने राज्य के पूर्व स्वास्थ्य निदेशक के. राजो के सुरक्षा गार्डों से दो एके-सीरीज असॉल्ट राइफलें और एक कार्बाइन छीन ली.
आगजनी और हथियारों की लूटपाट का असर मंगलवार (29 अगस्त) को होने वाले राज्य विधानसभा के एक दिवसीय मानसून सत्र पर भी पड़ने की संभावना है. 10 कुकी विधायकों ने पार्टी लाइन से हटकर महीने की शुरुआत में कहा था कि मेईतेई-प्रभुत्व वाले इंफाल में उनकी सुरक्षा को लेकर चिंताओं के कारण उनके विधानसभा सत्र में भाग लेने की संभावना नहीं है.
मणिपुर कांग्रेस प्रमुख के मेघचंद्र ने कहा, ‘संघर्ष शुरू हुए लगभग चार महीने हो जाएंगे, लेकिन हिंसा नहीं रुकी है. विधानसभा सत्र से ठीक दो दिन पहले राजधानी इंफाल में ही दो घटनाएं सामने आईं. यह दिखाता है कि कैसे सरकारी मशीनरी पूरी तरह से विफल हो गई है.’
कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि वे मणिपुर में जमीनी स्थिति पर चर्चा करने के लिए एक लंबा विधानसभा सत्र चाहते थे, लेकिन राज्य सरकार ने उनकी मांग को नजरअंदाज कर दिया.
उन्होंने कहा, ‘हम विधानसभा में वर्तमान स्थिति पर उचित चर्चा चाहते हैं, जो समाधान खोजने के लिए सबसे अच्छा मंच है, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार लोकतंत्र की हत्या करने पर आमादा है और नहीं चाहती कि विपक्ष को सदन के अंदर अपनी बात कहने का मौका मिले.’
रविवार को चुराचांदपुर जिले में कुकी समूहों के एकीकृत संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) और कांगपोकपी जिले की आदिवासी एकता समिति (सीओटीयू) ने एक संयुक्त बयान जारी कर विधानसभा सत्र की निंदा की और कुकी-ज़ो विधायकों की सुरक्षा पर चिंताओं का हवाला दिया.
बयान में कहा गया, ‘कानून-व्यवस्था के पूरी तरह से ध्वस्त होने और आम लोगों और शीर्ष अधिकारियों के जीवन की रक्षा करने में राज्य की विफलता को ध्यान में रखते हुए इस समय विधानसभा सत्र बुलाना तर्कसंगत नहीं है.’
उल्लेखनीय है कि मणिपुर में बीते 3 मई को जातीय हिंसा बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के कारण भड़की थी, जिसे पहाड़ी जनजातियां अपने अधिकारों पर अतिक्रमण के रूप में देखती हैं.
अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स द्वारा बीते जुलाई महीने में जारी आंकड़ों के अनुसार, तीन मई को राज्य में पहली बार कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा के बाद से 181 लोग मारे गए हैं, जिनमें कुकी लोगों की संख्या 113 है, जबकि मेईतेई समुदाय के मृतकों की संख्या 62 है. बताया गया है कि अब तक राज्य से 50,000 के करीब लोग विस्थापित हुए हैं.