राजस्थान के कोटा में दो अलग-अलग घटनाओं में नीट की तैयारी कर रहे दो छात्रों की कथित तौर पर बीते रविवार को आत्महत्या से मौत के मामले सामने आए हैं. इसके साथ ही इस साल ऐसे छात्रों की संख्या 23 हो गई है. कोटा ज़िले के अधिकारियों ने इसे देखते हुए अगले दो महीने तक प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के नियमित टेस्ट नहीं कराने को कहा है.
नई दिल्ली: राजस्थान के कोटा में दो अलग-अलग घटनाओं में राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा (एनईईटी या नीट) की तैयारी कर रहे दो अभ्यर्थियों ने रविवार (27 अगस्त) को कथित तौर पर आत्महत्या कर ली. इसके साथ ही इस साल देश भर में कोचिंग हब के रूप में जाने जाने वाले शहर में मरने वाले छात्रों की संख्या 23 हो गई है.
इसी बीच, कोटा जिले के प्राधिकारियों ने कई छात्रों की आत्महत्या के मद्देनजर कोचिंग संस्थानों से अगले दो महीने तक नीट और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के नियमित टेस्ट नहीं कराने को कहा है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल आत्महत्या करने वाले छात्रों की संख्या 2015 के बाद से अब तक की सबसे अधिक है. इस साल हुईं 23 में से छह मौतें अकेले अगस्त में हुईं, जिसके बाद प्रशासन ने रविवार को जल्दबाजी में एक आदेश जारी कर कोचिंग संस्थानों को दो महीने के लिए किसी भी टेस्ट को रोकने का निर्देश दिया.
रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को पहली मौत महाराष्ट्र के एक 16 वर्षीय लड़के की हुई, जिसने कथित तौर पर विज्ञान नगर इलाके में अपने कोचिंग संस्थान की छठी मंजिल से छलांग लगा दी.
सर्कल अधिकारी धर्म वीर सिंह ने कहा, ‘किशोर ने दोपहर में निर्धारित साप्ताहिक परीक्षा देने के बाद अपने कोचिंग संस्थान में यह कदम उठाया.’
इस घटना के छह घंटे बाद बिहार के एक 18 वर्षीय छात्र को अपने कमरे में छत के पंखे से लटकता हुआ पाया गया.
कुनाडी पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) गंगा सहाय शर्मा ने कहा, ‘बिहार का किशोर अपनी बहन और चचेरे भाई के साथ कुनाडी इलाके में एक किराये के अपार्टमेंट में रह रहा था. बार-बार दरवाजा खटखटाने पर भी जब उसने कोई जवाब नहीं दिया तो दरवाजा तोड़ने के बाद उसके भाई-बहनों ने उसे अपने ही कमरे में पंखे से लटका हुआ पाया.’
उन्होंने कहा कि पीड़ित को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया.
दोनों छात्र एनईईटी की तैयारी कर रहे थे, जिसका उपयोग स्नातक मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए एक बेंचमार्क के रूप में किया जाता है.
मामले से परिचित एक अधिकारी ने कहा, ‘दोनों मामलों में कोई सुसाइड नोट नहीं मिला और प्रारंभिक रिपोर्ट में व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया था.’
रविवार देर रात जिला कलेक्टर ओम प्रकाश बुनकर ने कहा कि उन्होंने एक आदेश जारी किया है, जिसमें कोचिंग सेंटरों को अगले दो महीनों तक कोई भी परीक्षा न लेने का निर्देश दिया गया है.
बुनकर ने कहा, ‘माता-पिता और परिवार को अधिक सावधान रहना चाहिए. परिवारवालों के साथ रहने के बावजूद दोनों के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं देखा गया. ऐसे में हमारे लिए उन छात्रों की पहचान करना अधिक कठिन है, जो अवसाद से पीड़ित हैं या आत्महत्या की प्रवृत्ति दिखा रहे हैं.’
उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से जो लोग तनाव में हैं या मानसिक बीमारियों से ग्रस्त हैं, वे जरूरी नहीं कि इसे जाहिर होने दें. कोटा में प्रशासन ने इस समस्या के समाधान के लिए जटिल तरीकों का पालन किया है, जिससे इस महीने की शुरुआत में छात्रावासों के लिए छत के पंखे लगाने के लिए स्प्रिंग-लोडेड रॉड का उपयोग करना अनिवार्य हो गया है, ताकि फांसी से होने वाली मौतों को रोका जा सके.
पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, कोटा में 2022 में 15, 2019 में 18, 2018 में 20, 2017 में सात, 2016 में 17 और 2015 में 18 छात्रों की मौत हुई. 2020 और 2021 में कोई आत्महत्या नहीं हुई.
बीते 18 अगस्त को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोटा जिले में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के बीच आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त की थी और अधिकारियों को ऐसे मामलों पर नज़र रखने के उपाय सुझाने के लिए एक समिति बनाने का निर्देश दिया था.
कोटा जिला प्रशासन ने 17 अगस्त को सभी छात्रावासों और पीजी आवासों को छात्रों को मानसिक सहायता और सुरक्षा प्रदान करने के लिए सभी कमरों में स्प्रिंग-लोडेड पंखे लगाने का आदेश दिया था.
राज्य पुलिस विभाग ने 22 जून को एक छात्र प्रकोष्ठ की स्थापना की थी, जिसमें कोचिंग सेंटरों में नियमित बातचीत करने और छात्रों पर नजर रखने के लिए एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी), तीन इंस्पेक्टर या सब-इंस्पेक्टर या असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर और महिला पुलिसकर्मियों सहित छह कांस्टेबल शामिल हैं.