महाराष्ट्र महिला आयोग की प्रमुख रूपाली चाकणकर ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन लागू होने के बाद राज्य में बाल विवाह की मामलों में वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि ग्रामसभाओं को बाल विवाह पर सख़्ती से अंकुश लगाने के लिए प्रस्ताव पारित करना चाहिए और इसमें शामिल सभी लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जानी चाहिए.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र महिला आयोग की प्रमुख रूपाली चाकणकर ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन लागू होने के बाद राज्य में बाल विवाह की मामलों में वृद्धि हुई है.
एनडीटीवी में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, बीते सोमवार (28 अगस्त) को राज्य के लातूर शहर में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए चाकणकर ने कहा कि अकेले लातूर में 37 बाल विवाह रोके गए और इनमें से दो घटनाओं के संबंध में मामले दर्ज किए गए.
हालांकि, उन्होंने महाराष्ट्र में बढ़ते बाल विवाह पर अपने बयान के संबंध में कोई आंकड़े या समयसीमा नहीं दी.
उन्होंने कहा कि ग्रामसभाओं को बाल विवाह पर सख्ती से अंकुश लगाने के लिए प्रस्ताव पारित करना चाहिए और इसमें शामिल सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए, जिसमें उनके लिए विवाह निमंत्रण छापने वाले भी शामिल हैं.
उन्होंने दावा किया कि मोबाइल फोन और प्रौद्योगिकी के अन्य साधन उपलब्ध होने के कारण माता-पिता और बच्चों के बीच ‘बातचीत का अभाव’ देखने को मिल रहा है, जिसकी वजह से लड़कियां संभवत: प्यार में पड़कर घर से भाग रही हैं.
उन्होंने कहा कि पुलिस के ‘दामिनी स्क्वाड’ को लड़कियों की सुरक्षा के लिए उनके साथ अधिक बातचीत करनी चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘महिला आयोग आपल्या दारी पहल के तहत आयोग द्वारा 28 जिलों की लगभग 18,000 शिकायतों का निपटारा किया गया है. सोमवार को हमें लातूर में 93 शिकायतें मिलीं और तीन समिति उन्हें तेजी से हल करने की दिशा में काम करेंगे.’