द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
चीन सरकार द्वारा 28 अगस्त को जारी इसके मानक मानचित्र के 2023 संस्करण में पूरे अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन क्षेत्र को चीन के हिस्से के रूप में दिखाया गया है. द हिंदू के अनुसार, 2023 का नक्शा अपनी पश्चिमी सीमाओं पर चीन के क्षेत्रीय दावों को भी दर्शाता है, जिसमें संपूर्ण दक्षिण चीन सागर को कवर करने वाली तथाकथित ‘नाइन-डैश लाइन’ भी शामिल है. इसके बाद मंगलवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया, जिसमें चीन के प्रति ‘कड़ा विरोध’ दर्ज करवाते हुए कहा गया है कि इस तरह के कदम बड़े सीमा विवादों को ‘जटिल’ बनाते हैं. भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारतीय क्षेत्रों पर दावा करना चीन की ‘पुरानी आदत’ है. उन्होंने कहा कि ‘ये (क्षेत्र) पूरी तरह से भारत का हिस्सा हैं. यह सरकार बहुत स्पष्ट है कि हमारे क्षेत्र कौन से हैं. बेतुके दावे करने से दूसरों का क्षेत्र आपका नहीं हो जाता.’
जम्मू कश्मीर के एक आईएएस अधिकारी अशोक कुमार परमार ने सूबे के उपराज्यपाल (एलजी) मनोज सिन्हा और मुख्य सचिव अरुण मेहता पर ‘उत्पीड़न और अपमानित करने’ का आरोप लगाया है. रिपोर्ट के अनुसार, दलित समुदाय से आने वाले परमार 1992 एजीएमयूटी कैडर के अधिकारी हैं और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के अध्यक्ष को भेजी शिकायत में उन्होंने सिन्हा और मेहता पर ‘अनुसूचित जाति होने के कारण उत्पीड़न, अपमान, धमकी, अत्याचारपूर्ण व्यवहार और बार-बार ट्रांसफर’ का आरोप लगाया. परमार का कहना है कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन में ‘गड़बड़ियों’ को उजागर किया था. जल जीवन मिशन के तहत केंद्र सरकार की योजना 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल का पानी उपलब्ध कराने की है.
एनएसडी में भाजपा के पूर्व सांसद द्वारा सोशल मीडिया पर चलाए गए अभियान के बाद विभाजन और सांप्रदायिक राजनीति की पृष्ठभूमि में लिखे गए भीष्म साहनी के उपन्यास ‘तमस’ का प्रदर्शन स्थगित कर दिया गया. द हिंदू के अनुसार, एनएसडी रिपर्टरी को 14 से 20 अगस्त तक अभिमंच ऑडिटोरियम में नाटक का मंचन करना था. यह उसके सत्र के अंत के शो का हिस्सा होना था, जिसके लिए करीब दो महीने की रिहर्सल पहले ही हो चुकी थी. हालांकि शो शुरू होने से दो दिन पहले सोशल मीडिया पर एक बयान जारी कर इसे स्थगित करने की घोषणा की गई. अख़बार के मुताबिक, सोशल मीडिया अभियान की शुरुआत भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद बलबीर पुंज द्वारा एक चैट ग्रुप पर भेजे गए संदेश से हुई थी, जिसमें उन्होंने साहनी को वामपंथी बताया और दावा किया था कि तमस ने उस दौरान सांप्रदायिक हिंसा के लिए ‘प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से’ आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया था. पुंज के अनुसार, यह ‘तथ्यात्मक रूप से गलत’ था. हालांकि, एनएसडी रिपर्टरी के प्रमुख राजेश सिंह ने अखबार से कहा कि शो ‘कुछ आंतरिक कारणों से स्थगित किया गया है.
असम राइफल्स ने ‘अपमानजनक आरोपों’ को लेकर मणिपुर के नेता को क़ानूनी नोटिस भेजा है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, असम राइफल्स ने अपने नोटिस में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के नेता महेश्वर थौनाओजम द्वारा 30 जून को दिल्ली में एक शोकसभा के दौरान दिए गए बयानों का हवाला दिया है. थौनाओजम ने मणिपुर हिंसा में असम राइफल्स की भूमिका को लेकर सवाल उठाए थे. नोटिस में थौनाओजम से औपचारिक, लिखित माफी की मांग करते हुए कहा गया है कि केंद्रीय बल की प्रतिष्ठा को धूमिल करने और उसे हतोत्साहित करने के लिए यह नोटिस दिया जा रहा है. उधर, थौनाओजम ने नोटिस को ‘अलोकतांत्रिक’ बताते हुए कहा कि वे माफी नहीं मांगेंगे और भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में वे अभिव्यक्ति की आजादी के हकदार हैं.
हरियाणा के गुड़गांव में एक चाय की दुकान पर मुस्लिमों को जगह छोड़कर जाने की धमकी देने वाले पोस्टर लगाने की घटना सामने आई है. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, पोस्टर नूंह में ब्रजमंडल शोभायात्रा फिर से शुरू करने के लिए विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व वाले समूहों द्वारा सोमवार (28 अगस्त) के आह्वान से एक दिन पहले (रविवार, 27 अगस्त) सेक्टर 69 की एक झुग्गी बस्ती में दिखाई दिए. पोस्टर में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल का नाम था और सभी मुसलमानों से सोमवार तक जगह खाली करने या ‘अपनी मौत के लिए जिम्मेदार’ होने की धमकी दी गई थी. पुलिस का कहना है कि मामले में एफ़आईआर दर्ज की गई है और जांच जारी है.
देश के 72% विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों के लिए शिकायत समिति में लोकपाल नहीं हैं. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, अप्रैल में यूजीसी ने निर्देश दिया था कि हर विश्वविद्यालय और उनसे संबद्ध कॉलेजों/संस्थानों में छात्रों की शिकायतों के निवारण के लिए एक लोकपाल नियुक्त करना होगा. अब सामने आया है कि देश के 1,091 विश्वविद्यालयों में से केवल 297 ने ही लोकपाल नियुक्त किए हैं. यूजीसी ने 28 अगस्त को लिखे एक पत्र में कहा कि बार-बार याद दिलाने के बावजूद कई उच्च शिक्षा संस्थानों ने अभी तक छात्रों की शिकायतों का समय पर निवारण और लोकपाल की नियुक्ति संबंधी नियमों का पालन नहीं किया है. इस नियम के अनुपालन के लिए 30 सितंबर की समयसीमा तय कीगई है, ऐसा न करने पर वह उनके खिलाफ ‘दंडात्मक कार्रवाई’ करेगा.
महाराष्ट्र महिला आयोग की प्रमुख ने कहा है कि लॉकडाउन के बाद राज्य में बाल विवाह के मामले बढ़े हैं. एनडीटीवी के अनुसार, महिला आयोग की प्रमुख रूपाली चाकणकर ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन लागू होने के बाद राज्य में बाल विवाह की मामलों में वृद्धि हुई है. हालांकि, उन्होंने महाराष्ट्र में बढ़ते बाल विवाह पर अपने बयान के संबंध में कोई आंकड़े या निश्चित अवधि नहीं बताई. उन्होंने कहायह भी जोड़ा कि ग्रामसभाओं को बाल विवाह पर सख़्ती से अंकुश लगाने के लिए प्रस्ताव पारित करना चाहिए और इसमें शामिल सभी लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जानी चाहिए.