देश के 72% विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों के लिए शिकायत समिति में अफ़सर नहीं: रिपोर्ट

अप्रैल में यूजीसी ने निर्देश दिया था कि हर विश्वविद्यालय और उनसे संबद्ध कॉलेजों/संस्थानों में छात्रों की शिकायतों के निवारण के लिए एक लोकपाल नियुक्त करना होगा. अब सामने आया है कि देश के 1,091 विश्वविद्यालयों में से केवल 297 ने ही लोकपाल नियुक्त किए हैं.

(फोटो साभार: फेसबुक/Jadavpur University Research Scholars' Association)

अप्रैल में यूजीसी ने निर्देश दिया था कि हर विश्वविद्यालय और उनसे संबद्ध कॉलेजों/संस्थानों में छात्रों की शिकायतों के निवारण के लिए एक लोकपाल नियुक्त करना होगा. अब सामने आया है कि देश के 1,091 विश्वविद्यालयों में से केवल 297 ने ही लोकपाल नियुक्त किए हैं.

(फोटो साभार: फेसबुक/Jadavpur University Research Scholars’ Association)

नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि उनके द्वारा देश के सभी विश्वविद्यालयों को छात्रों की शिकायतों के निवारण के लिए लोकपाल नियुक्त करने का निर्देश देने के चार महीने बाद भी 72.7% ने अभी तक इसका अनुपालन नहीं किया है.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आयोग ने सभी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए इस नियम के अनुपालन के लिए 30 सितंबर की समय सीमा तय की है, ऐसा न करने पर वह उनके खिलाफ ‘दंडात्मक कार्रवाई’ करेगा.

अप्रैल में इस उच्च शिक्षा नियामक द्वारा अधिसूचित यूजीसी (छात्रों की शिकायतों का निवारण) विनियम, 2023 के तहत हर विश्वविद्यालय को विश्वविद्यालय और उनसे संबद्ध कॉलेजों या संस्थानों के छात्र शिकायतों के निवारण के लिए एक लोकपाल नियुक्त करना होगा. ये लोकपाल कोई सेवानिवृत्त कुलपति या 10 साल के अनुभव वाले सेवानिवृत्त प्रोफेसर या पूर्व जिला न्यायाधीश होने चाहिए.

दिशानिर्देशों में कहा गया है कि यदि छात्र संस्थान की छात्र शिकायत निवारण समितियों से राहत पाने में विफल रहते हैं, तो वे लोकपाल के पास अपील कर सकते हैं. संस्थानों को 30 दिनों के भीतर नियमों के प्रावधानों का पालन करना था. हालांकि, आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 25 अगस्त तक देश के 1,091 विश्वविद्यालयों में से केवल 297 (27.2%) ने ही लोकपाल नियुक्त किया है.

45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से 40 ने निर्देशों का अनुपालन किया है, 474 राज्य-संचालित विश्वविद्यालयों में से केवल 79, 447 निजी विश्वविद्यालयों में से 90 और 125 डीम्ड विश्वविद्यालयों में से 88 ने अब तक लोकपाल नियुक्त किए हैं.

आयोग ने 28 अगस्त को लिखे एक पत्र में कहा, ‘यह देखा गया है कि बार-बार याद दिलाने के बावजूद कई उच्च शिक्षा संस्थानों ने अभी तक छात्रों की शिकायतों का समय पर निवारण और लोकपाल की नियुक्ति संबंधी नियमों का अनुपालन नहीं किया है.’

कोलकाता में जादवपुर विश्वविद्यालय एक छात्र की मौत के बाद यूजीसी द्वारा इस संबंध में दी गई एक रिपोर्ट में उत्पीड़न के मामलों को रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर स्पष्ट न होने के लिए उठे सवालों के बाद आयोग के पत्र लिखे जाने की घटना सामने आई है. उक्त मामले में मृत छात्र के साथ परिसर में रैगिंग और यौन उत्पीड़न के आरोप लगे हैं.

आयोग के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने कहा कि आयोग ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के अधिकारियों को भी पत्र लिखकर समर्थन मांगा है. उन्होंने कहा, ‘यूजीसी लोकपाल नियुक्त करने और छात्र शिकायत निवारण समितियां बनाने के लिए संस्थानों को लिख रहा है और उनके प्रमुखों के साथ बैठक कर रहा है. बड़ी संख्या में विश्वविद्यालयों ने इसका अनुपालन किया है और अन्य विश्वविद्यालयों के साथ यूजीसी फॉलो-अप कर रहा है. यदि विश्वविद्यालय निर्देशों का पालन नहीं करेंगे तो आयोग उचित कार्रवाई करेगा.’

पश्चिम बंगाल उच्च शिक्षा परिषद के एक अधिकारी ने कहा कि कई विश्वविद्यालयों को उपयुक्त लोगों को ढूंढने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

पहचान न बताने की शर्त पर उन्होंने जोड़ा, ‘विश्वविद्यालय जल्द से जल्द यूजीसी नियमों का अनुपालन करना चाहते हैं. अधिकांश विश्वविद्यालयों ने पहले ही छात्र शिकायत निवारण समितियां नियुक्त कर दी हैं. हालांकि, लोकपाल के लिए उपयुक्त उम्मीदवारों को खोजने में कुछ समय लगेगा.’

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