मणिपुर में सौ दिन से अधिक समय से जारी हिंसा के बीच बुलाए गए विधानसभा के एकदिवसीय सत्र में कांग्रेस के विरोध के बीच सीएम एन. बीरेन सिंह ने कहा कि सरकार का हिंसा पर चर्चा कराने का कोई इरादा नहीं है. इस दौरान उन्होंने चंद्रयान-3 के बारे में बोलते हुए वैज्ञानिकों और प्रधानमंत्री का ‘आभार व्यक्त’ किया.
नई दिल्ली: मणिपुर में सौ दिन से अधिक समय से जारी हिंसा के बीच मंगलवार को आयोजित विधानसभा का एकदिवसीय सत्र महज 11 मिनट तक चला. हंगामे के बीच स्पीकर थोकचोम सत्यब्रत ने इसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सुबह 11 बजे सत्र शुरू होने के तुरंत बाद कांग्रेस विधायक दल के नेता और मणिपुर के पूर्व सीएम ओकराम इबोबी सिंह ने सत्र बुलाने के तरीके के विरोध में बोलना शुरू किया.
उन्होंने एकदिवसीय विधानसभा सत्र की प्रकृति पर भी सवाल उठाए. एक नियमित सत्र के लिए राज्यपाल द्वारा समन के माध्यम से कम से कम 15 दिन पहले नोटिस की जरूरत होती है, जो इस मामले में जारी नहीं किया गया था. इसे लेकर इबोबी ने सवाल किया कि इसे विशेष या आपातकालीन सत्र क्यों नहीं बुलाया गया.
सिंह ने कहा, ‘क्या ये मज़ाक है? क्या यह इमरजेंसी है या शॉर्ट नोटिस? हमें नहीं पता. देश में कानून का कोई शासन नहीं बचा है.’ इसके बाद अन्य चार कांग्रेस विधायकों ने इबोबी सिंह के साथ नारे लगाए, उनके हाथ में तख्तियां थीं जिन पर ‘लोकतंत्र बचाओ, संविधान बचाओ’ लिखा था.
इससे पहले द वायर ने एक रिपोर्ट में कैसे सत्र स्पष्ट रूप से भाजपा शासित ‘डबल इंजन’ राज्य में विपक्ष की राष्ट्रपति शासन की मांग को दबाने के लिए है.
सदन में विपक्ष के विरोध के बीच सीएम एन. बीरेन सिंह ने हिंसा में जान गंवाने वाले लोगों के लिए शोक संदेश पेश किया और दो मिनट का मौन रखा. कांग्रेस के विरोध के बीच उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार का राज्य में हिंसा पर चर्चा कराने का कोई इरादा नहीं है.
सीएम ने तर्क दिया कि ऐसा इसलिए है, क्योंकि प्रक्रिया के नियमों के तहत किसी विचाराधीन मसले पर सदन में चर्चा की अनुमति नहीं है, और इसलिए ‘अलग से चर्चा की जरूरत नहीं है.’
विपक्षी सदस्यों के विरोध के बीच ही बीरेन सिंह चंद्रयान-3 के बारे में बोलने लगे और इसके लिए वैज्ञानिकों और प्रधानमंत्री का ‘आभार व्यक्त’ किया. उन्होंने मिशन में राज्य के डॉ. रघु निंगथौजम के योगदान के बारे में भी बात की.
आखिरकार कांग्रेस विधायकों के हंगामे के बीच स्पीकर ने महज 9 मिनट की कार्यवाही के बाद सदन की कार्यवाही 30 मिनट के लिए स्थगित कर दी.
इसके बाद जब सदन दोबारा शुरू हुआ तो कांग्रेस विधायकों ने अपना विरोध फिर से शुरू किया. इस बार, सत्र शुरू होने से ठीक दो मिनट पहले अध्यक्ष ने विधानसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया.
इससे पहले कांग्रेस ने पहले मांग की थी कि न्यूनतम पांच दिवसीय सत्र होना चाहिए और मणिपुर हिंसा पर बात होनी चाहिए.
उधर, राज्य में भाजपा के गठबंधन सहयोगी भी सत्र के तरीके से नाखुश नजर आए. नेशनल पीपुल्स पार्टी, जो मणिपुर में भाजपा के साथ गठबंधन सहयोगी है, और एनडीए का भी हिस्सा है – के एक विधायक ने सत्र को ‘पूरी तरह से अलोकतांत्रिक’ करार देते हुए कहा कि सरकार के सहयोगियों को भी अंधेरे में रखा गया था.
उन्होंने कहा, ‘हम एनडीए और नेडा (भाजपा द्वारा गठित नॉर्थ-ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस) का हिस्सा हैं, यही वजह है कि हम सिर्फ मूकदर्शक बने रह गए हैं. सत्र शुरू होने से ऐन पहले विधायकों को कार्रवाई के बारे बताया गया. हममें से कोई भी कल्पना भी नहीं कर सकता था कि इस तरह का सत्र आयोजित किया जाएगा. उन्होंने अपनी इच्छा से हर नियम और प्रक्रिया का उल्लंघन किया है. जनता उचित समाधान पर पहुंचने के लिए गंभीर चर्चा की मांग कर रही है. यहां तक कि बाद में जो प्रस्ताव सौंपा गया, उसकी भी गठबंधन सहयोगियों को जानकारी नहीं थी. यह सभी लोकतांत्रिक रिवाजों के खिलाफ है.’
पूर्व में की गई घोषणा के अनुसार दो कैबिनेट मंत्रियों सहित राज्य के 10 आदिवासी विधायक सत्र में शामिल नहीं हुए. हालांकि, ऐसा माना जा रहा था कि 10 नगा विधायक भी सत्र का बहिष्कार करेंगे, लेकिन उन्होंने इसमें भाग लिया.