नागपुर विश्वविद्यालय ने एमए इतिहास पाठ्यक्रम में जनसंघ और रिपब्लिकन पार्टी पर एक अध्याय को बरक़रार रखते हुए भाकपा की जगह भाजपा को शामिल किया है. इसके अलावा द्रमुक पर एक अध्याय को बदलते हुए अन्नाद्रमुक को लाया गया है. साथ ही, खालिस्तान आंदोलन पर एक अध्याय को हटाया गया है.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र के नागपुर विश्वविद्यालय (एनयू) द्वारा एमए इतिहास पाठ्यक्रम में एक विषय के रूप में ‘भारतीय जनता पार्टी’ को शामिल करने के कदम ने विवाद पैदा कर दिया है. इस निर्णय में पिछले पाठ्यक्रम से जनसंघ और रिपब्लिकन पार्टी पर एक अध्याय को बरकरार रखते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) की जगह भाजपा को शामिल करना है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इन बदलावों में विश्वविद्यालय ने कांग्रेस की सहयोगी द्रमुक पर एक अध्याय को भाजपा का समर्थन करने वाली अन्नाद्रमुक से बदल दिया है. साथ ही, खालिस्तान आंदोलन पर एक अध्याय हटाया गया है.
विश्वविद्यालय के सूत्रों के अनुसार, ‘1980-2000 तक भारतीय जन आंदोलन’ नामक एक नया अध्याय शामिल किया गया है, जो राम जन्मभूमि आंदोलन पर केंद्रित है जिसने भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है. 2019 में विश्वविद्यालय को इसी तरह के विवाद का सामना करना पड़ा था, जब उसने अपने बीए इतिहास के चौथे सेमेस्टर के पाठ्यक्रम में आरएसएस पर एक अध्याय पेश किया था, जिसका मुख्यालय नागपुर में है.
एनयू बोर्ड ऑफ स्टडीज (इतिहास) के अध्यक्ष श्याम कोरेटी, जिनकी टीम ने नए पाठ्यक्रम का मसौदा तैयार किया था, के अनुसार चूंकि भाजपा का पूर्ववर्ती जनसंघ पहले से ही पाठ्यक्रम का हिस्सा था, इसलिए बाद वाले को शामिल करना उचित लगा.
कोरेटी ने कहा, ‘हमने भाकपा को हटा दिया क्योंकि यह अब एक राष्ट्रीय पार्टी नहीं है और भाजपा को जोड़ा, जो राष्ट्रीय स्तर पर पकड़ होने के बावजूद पुराने पाठ्यक्रम में नहीं थी. हमने भाजपा के इतिहास को केवल 2010 तक शामिल किया है. हम छात्रों को गलत चीजें नहीं सिखा सकते.’
कोरेटी ने इस वर्ष एनयू विभागों में लागू की गई नई शिक्षा नीति के पालन पर जोर दिया. उन्होंने नए पाठ्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी पर विषयों को शामिल करने का उल्लेख किया.
विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने इस कदम की आलोचना करते हुए इसे देश की स्थिति का प्रतिबिंब बताया. उन्होंने कहा, ‘वे (भाजपा) नागरिकों पर जातिवाद, धर्म और नफरत की अपनी विचारधारा थोप रहे हैं. भाजपा की स्थापना करने वाले आरएसएस ने कभी महिलाओं का सम्मान नहीं किया. भाजपा के बारे में सिखाने के लिए इसमें क्या है?’
वडेट्टीवार ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम और विकास में भाजपा के योगदान पर सवाल उठाया और पार्टी के विभाजनकारी दृष्टिकोण की निंदा की.