नेपाल ने चीन से ‘2020 के नक़्शे’ का सम्मान करने को कहा, काठमांडू मेयर ने चीन दौरा रद्द किया

नेपाली प्रधानमंत्री पुष्प कुमार दहल, जो इस महीने के अंत में चीन के दौरे पर जाने वाले हैं, ने अब तक चीन द्वारा जारी नए मानचित्र पर कोई टिप्पणी नहीं की है. नेपाल से पहले भारत ने भी चीन के नए नक़्शे पर विरोध दर्ज करवाया था.

चीन और नेपाल के बीच हुई एक द्विपक्षीय वार्ता. (फाइल फोटो साभार: parliament.gov.np)

नेपाली प्रधानमंत्री पुष्प कुमार दहल, जो इस महीने के अंत में चीन के दौरे पर जाने वाले हैं, ने अब तक चीन द्वारा जारी नए मानचित्र पर कोई टिप्पणी नहीं की है. नेपाल से पहले भारत ने भी चीन के नए नक़्शे पर विरोध दर्ज करवाया था.

चीन और नेपाल के बीच हुई एक द्विपक्षीय वार्ता. (फाइल फोटो साभार: parliament.gov.np)

नई दिल्ली: चीन द्वारा जारी इसके नए मानचित्र पर भारत की आपत्ति के बाद नेपाल थोड़ा ने भी इस मामले में सावधानी से अपनी नाराजगी जाहिर की है.

रिपोर्ट के अनुसार, नक़्शे में भारतीय सीमा के उन क्षेत्रों को नहीं दिखाया गया है जिन पर काठमांडू ने अपने नक्शों में दावा किया था.

गीता हो कि चीन ने 28 अगस्त को इसके नक़्शे का 2023 संस्करण जारी किया था, जिसमें अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपनी सीमा के भीतर दिखाया गया था. विपक्ष के नेताओं द्वारा इस मुद्दे को उठाने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि उसने चीन के समक्ष ‘कड़ा विरोध‘ दर्ज कराया है.

चीन के नए मानचित्र ने काठमांडू का भी ध्यान खींचा है क्योंकि इसमें लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा के क्षेत्र शामिल नहीं हैं, जिन्हें मई 2020 में नेपाल ने अपने आधिकारिक नक़्शे में शामिल दिखाया था.

नेपाल द्वारा उक्त नक्शा जारी करने के बाद भारत ने इसे ‘अनुचित‘ करार दिया था. हालांकि, आज तक इस बारे में द्विपक्षीय रूप से चर्चा नहीं की गई है.

अब चीन के हालिया मानचित्र पर नेपाल में कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिली है और काठमांडू के मेयर बालेन शाह ने उनकी चीन यात्रा रद्द कर दी है.

नेपाली विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सेवा लमसल ने सावधानीपूर्वक शब्दों में एक बयान जारी किया, जिसमें सीधे तौर पर बीजिंग की निंदा नहीं की गई.

प्रवक्ता ने शुक्रवार (1 सितंबर) को कहा, ‘नेपाल साल 2020 में नेपाल की संसद द्वारा सर्वसम्मति से अनुमोदित अपने राजनीतिक और प्रशासनिक मानचित्र पर दृढ़ और स्पष्ट है. नेपाल सरकार का स्पष्ट रूप से मानना है कि इस नक़्शे का हमारे पड़ोसियों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा भी सम्मान किया जाना चाहिए. नेपाल सीमा संबंधी मामलों को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से हल करने के लिए प्रतिबद्ध है.’

यह आश्चर्य की बात नहीं है कि बीजिंग उन क्षेत्रों को नेपाली क्षेत्र के रूप में मान्यता नहीं देता है, क्योंकि लिपुलेख लंबे समय से भारत और चीन के बीच आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त व्यापारिक केंद्र रहा है.

अब तक, नेपाली प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल की ओर से कोई व्यक्तिगत बयान नहीं आया है, जो एशियाई खेलों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए इस महीने चीन जाने वाले हैं.

भारत के अलावा वियतनाम, मलेशिया और फिलीपींस ने भी दक्षिण चीन सागर पर अपने दावों के आधार पर नए चीनी मानचित्र पर आपत्ति जताई है.