केंद्र और राज्य सरकार इस बात पर असमंजस में हैं कि किस संगठन से बात करें: मणिपुर मुख्यमंत्री

मणिपुर में पिछले चार महीने से जातीय हिंसा लगातार जारी है. मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा कि राज्य में बहुत सारे नागरिक समाज संगठन हैं, जो अलग-अलग तरह की बात करते हैं. उन्होंने हिंसा ख़त्म करने के लिए संगठनों से एक ठोस प्रस्ताव लाने और एक स्वर में बोलने की अपील की, ताकि इसे दिल्ली में केंद्र सरकार तक पहुंचाया जा सके.

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एन. बीरेन सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक)

मणिपुर में पिछले चार महीने से जातीय हिंसा लगातार जारी है. मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा कि राज्य में बहुत सारे नागरिक समाज संगठन हैं, जो अलग-अलग तरह की बात करते हैं. उन्होंने हिंसा ख़त्म करने के लिए संगठनों से एक ठोस प्रस्ताव लाने और एक स्वर में बोलने की अपील की, ताकि इसे दिल्ली में केंद्र सरकार तक पहुंचाया जा सके.

एन. बीरेन सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: पिछले चार महीने से मणिपुर लगातार हिंसा की चपेट में है. राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने बीते गुरुवार (31 अगस्त) को कहा कि राज्य में बहुत सारे नागरिक समाज संगठन हैं, जो अलग-अलग तरह की बात करते हैं, जिससे राज्य को हिला देने वाले जातीय संघर्ष के समाधान के लिए किसी नतीजे पर पहुंचना मुश्किल हो जाता है.

समाचार एजेंसी पीटीआई ने सिंह के हवाले से कहा, ‘यहां बहुत सारे संगठन हैं. हम अभी बहुत ही महत्वपूर्ण चरण में हैं. केंद्र और राज्य सरकार दोनों असमंजस में हैं कि किससे बात की जाए. हम जनता (की राय) के साथ चलेंगे और लोगों के हितों के खिलाफ कभी काम नहीं करेंगे.’

उन्होंने नागरिक समाज संगठनों से एक ठोस प्रस्ताव लाने और एक स्वर में बोलने की अपील की, ताकि इसे दिल्ली में केंद्र सरकार तक पहुंचाया जा सके.

कई महीनों से जारी हिंसा के चलते नागरिक समाज संगठन भी सामुदायिक आधार पर बंटे हुए हैं. मेईतेई और कुकी दोनों समुदायों के युद्धरत गुटों के पास अपने स्वयं के सामुदायिक संगठन हैं.

जहां कुकियों का प्रतिनिधित्व इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ), कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी (सीओटीयू), कुकी इनपी और ज़ोमी काउंसिल जैसे संगठनों द्वारा किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर मेईतेई के अपने स्वयं के संगठन जैसे मणिपुर इंटीग्रिटी समन्वय समिति (सीओसीओएमआई), यूनाइटेड कमेटी मणिपुर (UCM) और ऑल मणिपुर यूनाइटेड क्लब ऑर्गनाइजेशन (AMUCO) हैं.

मुख्यमंत्री ने गुरुवार को ‘मेरी माटी मेरा देश’ कार्यक्रम के राज्य स्तरीय समारोह में यह टिप्पणी की. इसका उद्देश्य देश की स्वतंत्रता और प्रगति की यात्रा की याद में भारत की मिट्टी और वीरता का उत्सव मनाना है.

सिंह ने कार्यक्रम में कहा, ‘लोगों और नागरिक समाज संगठनों को एक साथ आना चाहिए और अपना पक्ष रखते हुए एक ठोस प्रस्ताव देना चाहिए, ताकि सरकार इसे केंद्र तक पहुंचा सके. हमें अपनी राजनीतिक और सामुदायिक संबद्धता के बावजूद एक साथ आना चाहिए और वर्तमान तथा भावी पीढ़ी को सम्मान के साथ जीने में सक्षम बनाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए.’

उन्होंने मंगलवार (29 अगस्त) को बिष्णुपुर जिले के नारानसेना में अपने खेतों की देखभाल कर रहे किसानों पर हुए बंदूक हमलों की भी निंदा की. उन्होंने कहा, ‘सुरक्षा बलों ने इस सिलसिले में एक व्यक्ति को 303 राइफल के साथ गिरफ्तार किया है.’

हालांकि सिंह भले ही शांति की अपील कर रहे हों, लेकिन उन पर आरोप लगे हैं कि वह मौजूदा संघर्ष में मेईतेई लोगों का पक्ष ले रहे हैं, क्योंकि वह खुद मेईतेई हैं. कुकी-ज़ो समुदाय से संबंधित उनकी अपनी पार्टी भाजपा के विधायकों ने संघर्ष का समाधान खोजने के लिए केंद्र सरकार से उन्हें हटाने का आग्रह किया है.

उल्लेखनीय है कि मणिपुर में बीते 3 मई को जातीय हिंसा बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के कारण भड़की थी, जिसे पहाड़ी जनजातियां अपने अधिकारों पर अतिक्रमण के रूप में देखती हैं.

अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स द्वारा बीते जुलाई महीने में जारी आंकड़ों के अनुसार, तीन मई को राज्य में पहली बार कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा के बाद से 181 लोग मारे गए हैं, जिनमें कुकी लोगों की संख्या 113 है, जबकि मेईतेई समुदाय के मृतकों की संख्या 62 है. बताया गया है कि अब तक राज्य से 50,000 के करीब लोग विस्थापित हुए हैं.

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