मणिपुर: कुकी प्रोफेसर की पैरवी करने वाले दो मेईतेई वकीलों के घरों, चेंबर में तोड़फोड़

बीते हफ्ते इंफाल में दो मेईतेई वकीलों के घर पर सैकड़ों लोगों की एक भीड़ ने हमला किया. ये दोनों वकील कुकी समुदाय से आने वाले हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ख़ाम ख़ान सुआन हाउजिंग के ख़िलाफ़ द वायर को दिए एक इंटरव्यू के संबंध में दर्ज मामले को देख रहे थे. अब उन्होंने इस केस से नाम वापस ले लिया है.

प्रोफेसर खाम खान सुआन हाउजिंग. (फोटो: द वायर)

बीते हफ्ते इंफाल में दो मेईतेई वकीलों के घर पर सैकड़ों लोगों की एक भीड़ ने हमला किया. ये दोनों वकील कुकी समुदाय से आने वाले हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ख़ाम ख़ान सुआन हाउजिंग के ख़िलाफ़ द वायर को दिए एक इंटरव्यू के संबंध में दर्ज मामले को देख रहे थे. अब उन्होंने इस केस से नाम वापस ले लिया है.

प्रोफेसर खाम खान सुआन हाउजिंग. (फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: अदालत में हैदराबाद के एक कुकी प्रोफेसर की पैरवी करने को लेकर एक अज्ञात भीड़ द्वारा शुक्रवार (1 सितंबर) को इंफाल में दो मेईतेई वकीलों के घरों और चेंबर में तोड़फोड़ की गई.

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, दो वकील- सोरैशम चित्तरंजन और विक्टर चोंगथम और दो अन्य लोग ‘निजी समस्यायों’ का हवाला देते हुए गुरुवार (31 अगस्त) को मुकदमे से हट गए थे.

वे हैदराबाद विश्वविद्यालय का प्रोफेसर खाम खान सुआन हाउजिंग का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.

चितरंजन ने अखबार को बताया, ‘शुक्रवार दोपहर करीब 2.15 बजे एक बड़ी भीड़ इंफाल पश्चिम जिले के सिंगजामेई चिंगमाखा माईबम लेइराक इलाके में मेरे घर पहुंची और घर और मेरे चेंबर में तोड़फोड़ की. पूरे घर और सामान को क्षतिग्रस्त किया गया है.’

हमलावरों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है और जांच जारी है.

एफआईआर में कहा गया है कि ‘जैसे ही यह खबर फैली कि वह (चितरंजन) मेईतेई और कुकी समुदाय के बीच चल रही सांप्रदायिक संघर्ष के संबंध में मणिपुर हाईकोर्ट में कुकी समुदाय के मामले के वकील हैं, लगभग 300 लोगों ने वकील के घर पर धावा बोल दिया.’

आगे कहा गया, ‘… भीड़ हिंसक हो गई और वो घर, जिसमें उनके भाई- एस जितेश्वर और एस मनोरंजन भी रहते हैं, उसे तबाह कर दिया, घर और घरेलू सामान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए हैं, लेकिन किस्मत से (वहां) कोई हताहत नहीं हुआ.’

पुलिस ने अख़बार को बताया कि दंगा, गैरकानूनी सभा, घर में अतिक्रमण और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.

गौरतलब है कि यह हमला तब हुआ है जब पिछले सौ दिनों से अधिक मणिपुर जारी जातीय संघर्ष जारी है, जिसमें 163 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और लगभग 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं. हाल में 29 अगस्त को भड़की  और तीन दिनों तक जारी रही ताजा हिंसा के कारण आठ लोगों की जान चली गई और लगभग 20 लोग घायल हुए हैं.

ज्ञात हो कि हाउजिंग के खिलाफ मुकदमा इंफाल पूर्व के निवासी मोइरांगथेम मनिहार सिंह की शिकायत पर जुलाई महीने में दर्ज हुआ था, जब उन्होंने द वायर के लिए पत्रकार करण थापर को दिए एक साक्षात्कार में मणिपुर की मौजूदा स्थिति के बारे में बात की थी.

17 जून को अपने साक्षात्कार में प्रोफेसर हाउजिंग ने करण थापर से कहा था कि राज्य में जारी हिंसा के पीछे गहरे तक जड़ बना चुकीं समस्याओं को हल करने के लिए मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को पद से इस्तीफा देना चाहिए और अल्पसंख्यक कुकी समुदाय के लिए एक अलग प्रशासन बनाना चाहिए.

मेईतेई ट्राइब्स यूनियन (एमटीयू) के सदस्य मनिहार मोइरंगथेम सिंह ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि प्रोफेसर हाउजिंग ने ‘मेईतेई समुदाय के साथ ऐतिहासिक जुड़ाव रखने वाले पवित्र धार्मिक स्थलों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की, राज्य में जारी जातीय संघर्ष के बीच सांप्रदायिक दुश्मनी बढ़ाने और मेईतेई लोगों को बदनाम करने की कोशिश की.’

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार,6 जुलाई को जारी एक आदेश में कहा गया है कि हाउजिंग के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं- विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना (153ए), किसी बात को झूठा जानते हुए भी सच के रूप में इस्तेमाल करना (200) , धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए जानबूझकर किया गया कृत्य (295ए) और आपराधिक साजिश (120बी) के तहत अपराध के लिए प्रथमदृष्टया सामग्री थी. इसमें उन्हें 28 जुलाई को अदालत में पेश होने को कहा गया था.

हाउजिंग इंफाल पश्चिम में एक और मामले का सामना कर रहे हैं, जहां एक शिकायतकर्ता ने उन पर भारतीय नागरिक न होने का आरोप लगाया है और दावा किया है कि उन्होंने पहचान पत्र हासिल करने के लिए अपने दस्तावेजों में जालसाजी की है. कोर्ट ने पुलिस से आरोप साबित करने को कहा है.

हाउसिंग ने दोनों मामलों में राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दो सप्ताह के लिए किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान दी थी. शीर्ष अदालत ने उन्हें राहत के लिए मणिपुर हाईकोर्ट के लिए भी कहा था.

इसके बाद हाउसिंग ने मणिपुर उच्च न्यायालय में अपनी याचिका दायर की. उन्होंने अख़बार से कहा, ‘मेरी राष्ट्रीयता पर सवाल उठाने वाला आरोप अज्ञानता और द्वेष के चलते दायर कमज़ोर आरोप है. मैं जन्म से एक भारतीय नागरिक हूं और मेरे सभी दस्तावेज़ इस बात को साबित करते हैं. दूसरे मामले के संबंध में हम सुप्रीम कोर्ट जाने और केस को मणिपुर से बाहर ले जाने के बारे में सोच रहे हैं.’

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