द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
मणिपुर में चार महीने पहले जातीय हिंसा फैलने के बाद से राज्य सरकार से मिले इनपुट के बारे में केंद्रीय गृह मंत्रालय और राष्ट्रपति भवन ने जानकारी देने से इनकार कर दिया है. रिपोर्ट के अनुसार, आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक द्वारा आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 7(1) के तत्काल खंड के तहत यह जानकारी मांगी गई थी. इस खंड में कहा गया है कि जब किसी व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता की चिंताओं को लेकर जानकारी मांगी जाती है, तो उसे आवेदन प्राप्त होने के 48 घंटों के भीतर प्रस्तुत किया जाना चाहिए. हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्रालय और राष्ट्रपति भवन नेआरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (ए) और धारा 24 के तहत जानकारी देने से मना कर दिया. मणिपुर बीते 3 मई से जातीय हिंसा की चपेट में है. इस दौरान 160 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और 50 हज़ार से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.
बसपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने देश के नाम का ‘राजनीतिक दुरुपयोग’ रोकने का आग्रह किया है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, उनका बयान जी-20 रात्रिभोज के निमंत्रण पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा ‘प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया’ (President of India) के बजाय ‘प्रेसीडेंट ऑफ भारत’ (President of Bharat) के तौर पर भेजने के बाद ‘भारत-इंडिया’ विवाद के बाद आया है. मायावती ने कहा कि विपक्ष ने एक सोची-समझी रणनीति और साज़िश के तहत अपने गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रखकर एनडीए सरकार को देश के नाम पर संविधान के साथ छेड़छाड़ करने का मौका दिया है. सुप्रीम कोर्ट को इसका संज्ञान लेकर देश के नाम पर बने सभी दलों, संगठनों और गठबंधनों पर रोक लगानी चाहिए.
केरल बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बताया है कि पिछले साल 1,000 से अधिक बच्चों के साथ उनके ही घरों में छेड़छाड़ की गई. एनडीटीवी के अनुसार, आयोग की 2022-23 की सालाना रिपोर्ट बताती है कि साल 2022 के दौरान यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) के तहत राज्य में दर्ज किए गए कुल 4,582 मामलों में से अपराध की 1,004 घटनाएं सर्वाइवर के घरों पर हुई थीं. 722 मामलों में अपराध अभियुक्त के घर पर हुआ, जबकि 648 मामलों में यह विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर. रिपोर्ट के मुताबिक, इसके साथ बच्चे स्कूलों में (133 केस), वाहनों में (102 केस), होटल/लॉज (99 केस), धार्मिक संस्थानों (60 मामले), अस्पतालों (29 मामले) में भी छेड़छाड़ का शिकार हुए.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पौत्र चंद्र कुमार बोस ने बुधवार को भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते पार्टी छोड़ दी. डेक्कन हेराल्ड के अनुसार, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भेजे पत्र में बोस ने कहा कि वह 2016 में भाजपा में शामिल हुए थे, क्योंकि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘नेतृत्व और व्यापक विकास कार्यक्रम’ से प्रेरित थे. उन्होंने कहा, ‘तब मेरी चर्चा बोस बंधुओं की समावेशी विचारधारा पर केंद्रित थी. तब और बाद में मेरी समझ यही रही है कि मैं भाजपा के मंच से पूरे देश में इस विचारधारा का प्रचार करूं. लेकिन मेरे इन उद्देश्यों को पाने के प्रयासों को न तो पश्चिम बंगाल में, न ही केंद्र के स्तर पर भाजपा से कोई समर्थन मिला.’
सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों के राजनीतिक नियुक्तियों को स्वीकार करने से पहले ‘कूलिंग-ऑफ’ अवधि की मांग करने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी. द न्यूज़ मिनट के अनुसार, बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका में सेवानिवृत्ति के बाद किसी भी राजनीतिक नियुक्ति को स्वीकार करने के लिए शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के लिए दो साल की ‘कूलिंग-ऑफ’ अवधि की मांग करते हुए कहा गया था कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता, कानून के शासन के साथ लोकतांत्रिक सिद्धांतों और संविधान के मूल उद्देश्यों को बचाने के लिए इस अवधि की जरूरत है. हालांकि, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका को ‘निर्रथक’ बताते हुए कहा कि जब तक इस संबंध में संसद द्वारा कानून नहीं बनाया जाता, तब तक इस मुद्दे को संबंधित जजों की समझदारी पर छोड़ दिया जाना चाहिए.
झारखंड सरकार ने ट्रांसजेंडर समुदाय को पिछड़ा वर्ग श्रेणी में शामिल करते हुए उन्हें एक हजार रुपये की मासिक पेंशन को मंजूरी दी है. टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, कैबिनेट सचिव वंदना डाडेल ने बताया कि बुधवार को लिए गए निर्णय के अनुसार केवल अनारक्षित श्रेणियों के ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को ओबीसी श्रेणी के तहत शामिल किया जाएगा. यह ट्रांसजेंडर समुदाय के उन सदस्यों के लिए नहीं है जो पहले से ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी और अत्यंत पिछड़े समुदायों से आते हैं. 2014 में एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को तीसरे लिंग का दर्जा देते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को इस समुदाय को आरक्षण देने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया था. झारखंड के महिला, बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि 2011 में झारखंड में लगभग 11,900 ट्रांसजेंडर व्यक्ति थे. वर्तमान में उनकी आबादी लगभग 14,000 होने का अनुमान है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट में कहा है कि बाइबिल बांटने को धर्म परिवर्तन का प्रलोभन नहीं कहा जा सकता. एनडीटीवी के मुताबिक, उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने एक भाजपा नेता द्वारा धर्मांतरण रोधी क़ानून के तहत दर्ज कराए गए केस को रद्द करते हुए कहा कि बाइबिल बांटने और अच्छी शिक्षा देने को उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम के तहत ‘धर्म परिवर्तन का प्रलोभन’ नहीं कहा जा सकता. अदालत ने यह भी जोड़ा कि अधिनियम में प्रावधान है कि केवल पीड़ित व्यक्ति या उसका परिवार ही मामले में एफआईआर दर्ज कर सकता है.