केंद्र ने मणिपुर हिंसा शुरू होने के बाद राज्य सरकार से मिले इनपुट पर जानकारी देने से इनकार किया

केंद्रीय गृह मंत्रालय और राष्ट्रपति भवन ने मणिपुर में क़ानून और व्यवस्था की स्थिति पर नियमित रूप से प्राप्त रिपोर्ट पर आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(ए) और धारा 24 के तहत जानकारी देने से इनकार किया है.

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मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक)

केंद्रीय गृह मंत्रालय और राष्ट्रपति भवन ने मणिपुर में क़ानून और व्यवस्था की स्थिति पर नियमित रूप से प्राप्त रिपोर्ट पर आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(ए) और धारा 24 के तहत जानकारी देने से इनकार किया है.

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय और राष्ट्रपति भवन ने चार महीने पहले मणिपुर में जातीय हिंसा फैलने के बाद से राज्य सरकार से प्राप्त इनपुट के संबंध में जानकारी देने से इनकार कर दिया है.

मणिपुर बीते 3 मई से जातीय हिंसा की चपेट में है. इस दौरान 160 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों की संख्या में लोग विस्थापित हुए हैं.

सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता वेंकटेश नायक द्वारा आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 7(1) के तत्काल खंड के तहत मणिपुर सरकार की ओर से केंद्र को दिए गए इनपुट की जानकारी मांगी गई थी. इस खंड में कहा गया है कि जब किसी व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता की चिंताओं को लेकर जानकारी मांगी जाती है, तो उसे आवेदन प्राप्त होने के 48 घंटों के भीतर प्रस्तुत किया जाना चाहिए.

ट्रांसजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स, 1961 के तहत नियम 10 के संबंध में भी जानकारी मांगी गई थी, जिसमें कहा गया है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की आंतरिक राजनीतिक स्थिति के बारे में खुफिया ब्यूरो के निदेशक के साप्ताहिक खुफिया विवरण (Summary) के साथ राष्ट्रपति को पाक्षिक रिपोर्ट सौंपी जानी चाहिए.

द वायर से बात करते हुए नायक ने कहा कि चूंकि उन्होंने 2011 में आरटीआई के माध्यम से ट्रांसजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स को पब्लिक डोमेन में लाया था, वह ‘भारत में सर्वोच्च संवैधानिक कार्यालय के लिए सरकार की रिपोर्टिंग आवश्यकता से अवगत थे’.

उन्होंने कहा, ‘मैंने 2016 में जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक स्थिति के बारे में राज्यपाल की रिपोर्ट प्राप्त की थी, जो एनडीए सरकार ने ही दी थी, इसलिए मुझे उम्मीद थी कि सरकार मणिपुर में अपने आंतरिक विचार-विमर्श के बारे में पारदर्शी हो सकती है.’

नायक ने कहा कि पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग के लिए इस जानकारी का उपयोग करके आरटीआई दाखिल करना महत्वपूर्ण है.

उन्होंने आगे कहा, ‘चूंकि मणिपुर में तबाही बड़े पैमाने पर हुई है और तथ्य यह है कि इसे नियंत्रित नहीं किया गया है. यह निश्चित रूप से प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह केंद्र और राज्य स्तर पर जवाबदेही की दिशा में एक कदम के रूप में पारदर्शिता की मांग करे. चूंकि मुझे इस संबंध में नागरिकों द्वारा किए गए प्रयासों की कोई रिपोर्ट नहीं मिली कि केंद्र सरकार के उच्चतम स्तर पर क्या हुआ, इसलिए मैंने इस संबंध में दो आरटीआई दायर करने का फैसला किया.’

गृह मंत्रालय ने जानकारी देने से इनकार किया

बीते 20 जुलाई को दायर नायक की आरटीआई के जवाब में गृह मंत्रालय ने आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (ए) का हवाला देते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया. उन्होंने मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके से प्राप्त रिपोर्टों की कुल संख्या, इन रिपोर्टों की सटीक तारीख और इन रिपोर्टों की एक सुपाठ्य प्रति मांगी थी.

आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (ए) में कहा गया है कि किसी भी नागरिक को ऐसी जानकारी देने की कोई बाध्यता नहीं होगी, जिसके प्रकटीकरण से भारत की संप्रभुता और देश की अखंडता, सुरक्षा, रणनीतिक, वैज्ञानिक या आर्थिक हित, अन्य देशों के साथ संबंध पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

इसमें 1 अप्रैल से राज्य में कानून और व्यवस्था में सुधार के संबंध में गृह मंत्रालय के तहत प्रत्येक प्राधिकरण द्वारा मणिपुर सरकार को जारी किए गए लिखित संचार की कुल संख्या, इनकी तारीख की जानकारी का खुलासा नहीं करने के लिए भी इसी खंड का हवाला दिया गया है. इन संचारों की एक सुपाठ्य प्रति भी मांगी गई थी, जिससे इनकार कर दिया गया.

इसी धारा का उपयोग उन सटीक तारीखों की जानकारी देने से इनकार करने के लिए किया गया, जिन पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की आंतरिक राजनीतिक स्थिति के बारे में पाक्षिक रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी गई थी और इन पाक्षिक रिपोर्टों में से प्रत्येक का एक सुपाठ्य उद्धरण (Extract) था.

बीते 1 अप्रैल से मणिपुर में कानून और व्यवस्था की स्थिति के संबंध में केंद्रीय और राज्य खुफिया वि​भाग से प्राप्त रिपोर्टों की कुल संख्या, इन खुफिया एजेंसियों से ये रिपोर्ट प्राप्त होने की सटीक तारीख और इनमें से प्रत्येक रिपोर्ट की एक सुपाठ्य प्रति से संबंधित जानकारी भी धारा 24 के तहत देने से इनकार कर दिया गया.

इस खंड में कहा गया है कि हालांकि आरटीआई आवेदन खुफिया और सुरक्षा संगठनों से संबंधित जानकारी प्रदान नहीं करेंगे, लेकिन भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों से संबंधित जानकारी के मामलों में अपवाद बनाए गए हैं.

आईबी के निदेशक से प्राप्त साप्ताहिक खुफिया विवरण जिन तारीखों पर राष्ट्रपति को सौंपे गए थे, इन विवरणों की एक सुपाठ्य प्रति और वे तारीखें जब राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की आंतरिक राजनीतिक स्थिति के बारे में पाक्षिक रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी गई थी, की भी जानकारी मांगी गई थी, जिसे धारा 24 के तहत देने से इनकार कर दिया गया.

जहां आरटीआई का जवाब 48 घंटों के भीतर दिया जाना था, नायक को केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी ने सूचित किया कि उनका आरटीआई आवेदन उनके पास डिलीवरी के 17 दिन बाद 7 अगस्त को पहुंचा था.

राष्ट्रपति भवन ने भी जानकारी नहीं दी

आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक ने गृह मंत्रालय में दायर आरटीआई के चार दिन बाद राष्ट्रपति भवन में एक अलग आरटीआई दायर की थी.

हालांकि बीते 7 अगस्त को राष्ट्रपति भवन की ओर से आए जवाब में भी कोई जानकारी नहीं दी गई. इस मामले में भी उन्हें 48 घंटे के अंदर जवाब की बजाय दो हफ्ते बाद जवाब मिला.

राष्ट्रपति भवन ने बीते 1 अप्रैल से अब तक मणिपुर के राज्यपाल से प्राप्त कुल रिपोर्टों की संख्या पर धारा 8 (1) (ए) का हवाला देते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया.

इन रिपोर्टों की सटीक तारीख और इनमें से प्रत्येक रिपोर्ट की एक सुपाठ्य प्रति के बारे में पूछे जाने पर राष्ट्रपति भवन की ओर से कहा गया, ‘सवाल ही नहीं उठता.’

जहां गृह मंत्रालय ने अपने जवाब में धारा 24 का हवाला देते हुए कुछ प्रश्नों पर जानकारी देने से इनकार कर दिया था, वहीं राष्ट्रपति भवन ने कहा कि कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. राष्ट्रपति भवन के जवाब में कहा गया कि निम्नलिखित प्रश्नों के संबंध में ‘कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है’.

राष्ट्रपति भवन से आरटीआई के जरिये सटीक तारीखें जिन पर आईबी के निदेशक से साप्ताहिक खुफिया विवरण प्राप्त हुए थे, सटीक तारीखें जिन पर मणिपुर के राज्यपाल की रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी गई थी, मणिपुर की स्थिति पर साप्ताहिक खुफिया रिपोर्ट की एक सुपाठ्य प्रति, सटीक तारीखें जिन पर राज्यों से आंतरिक राजनीतिक स्थिति पर पाक्षिक रिपोर्टें प्राप्त हुईं, सटीक तारीखें जब ये पाक्षिक रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी गईं, और इन पाक्षिक रिपोर्टों का ब्योरा मांगा गया था.

जवाब में यह भी कहा गया कि मणिपुर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बीते 1 मई के बाद से हुई हर बैठक की सटीक तारीखों से संबंधित प्रश्नों, मणिपुर में स्थिति सुधारने पर मुर्मू द्वारा मोदी को दी गई सलाह (यदि कोई हो) की एक सुपाठ्य प्रति, बैठकों की सही तारीखें जब गृह मंत्री अमित शाह ने मुर्मू को 1 मई से मणिपुर के बारे में जानकारी दी, मणिपुर में स्थिति में सुधार के लिए राष्ट्रपति द्वारा दी गई किसी भी सलाह की एक प्रति, के संबंध में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.

बीते 29 अगस्त को नायक को राष्ट्रपति भवन से एक जवाब मिला, जिसमें बताया गया था कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने मई और जुलाई के बीच दो-दो बार राष्ट्रपति से मुलाकात की थी.

नायक ने द वायर से कहा कि गृह मंत्रालय और राष्ट्रपति भवन के जवाबों में अंतर और उनके बाद के संशोधित जवाब काफी ‘हैरान करने वाले’ हैं.

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