कौशल विकास घोटाला मामले में आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू गिरफ़्तार

आंध्र प्रदेश सीआईडी ने शनिवार सुबह पूर्व मुख्यमंत्री और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू को 550 करोड़ रुपये के कथित घोटाले के संबंध में गिरफ़्तार किया है. यह केस मुख्यमंत्री के रूप में नायडू के कार्यकाल के दौरान 2015 और 2019 के बीच उत्कृष्टता केंद्र और पांच तकनीकी कौशल विकास केंद्रों की स्थापना करते समय धन के कथित दुरुपयोग से जुड़ा हुआ है.

चंद्रबाबू नायडू. (फाइल फोटो: पीटीआई)

आंध्र प्रदेश सीआईडी ने शनिवार सुबह पूर्व मुख्यमंत्री और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू को 550 करोड़ रुपये के कथित घोटाले के संबंध में गिरफ़्तार किया है. यह केस मुख्यमंत्री के रूप में नायडू के कार्यकाल के दौरान 2015 और 2019 के बीच उत्कृष्टता केंद्र और पांच तकनीकी कौशल विकास केंद्रों की स्थापना करते समय धन के कथित दुरुपयोग से जुड़ा हुआ है.

चंद्रबाबू नायडू. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू को 550 करोड़ रुपये के कथित कौशल विकास घोटाले के सिलसिले में राज्य के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने शनिवार सुबह नंद्याल से गिरफ्तार किया गया.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 के विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी टीडीपी के सत्ता खोने के बाद पिछले दो साल से नायडू पर करोड़ों रुपये के कौशल विकास केंद्रों की जांच की तलवार लटकी हुई थी.

यह मामला मुख्यमंत्री के रूप में नायडू के कार्यकाल के दौरान 2015 और 2019 के बीच उत्कृष्टता केंद्र (Centers of Excellence) और पांच तकनीकी कौशल विकास केंद्रों की स्थापना करते समय धन के कथित दुरुपयोग से जुड़ा हुआ है.

नायडू के अधिवक्ताओं ने प्रथमदृष्टया सबूतों की मांग करते हुए कहा कि एफआईआर रिपोर्ट में उनके नाम का उल्लेख नहीं किया गया है. चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने उन्हें बिना किसी उचित जानकारी के गिरफ्तार कर लिया और उन्होंने उन्हें सबूत दिखाने से भी इनकार कर दिया.

समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, नंद्याल जिले में हिरासत में लिए जाने से पहले नायडू ने कहा, ‘मैंने कोई भ्रष्टाचार नहीं किया है. सीआईडी ने मुझे बिना किसी उचित जानकारी के गिरफ्तार कर लिया. मैंने उनसे सबूत दिखाने को कहा, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया और मेरी भूमिका के बिना मेरा नाम एफआईआर में जोड़ दिया.’

9 सितंबर की सुबह किए गए एक ट्वीट में नायडू ने कहा, ‘पिछले 45 वर्षों से मैंने निस्वार्थ भाव से तेलुगू लोगों की सेवा की है. मैं तेलुगू लोगों के हितों की रक्षा के लिए अपना जीवन बलिदान करने के लिए तैयार हूं. दुनिया की कोई भी ताकत मुझे तेलुगू लोगों, मेरे आंध्र प्रदेश और मेरी मातृभूमि की सेवा करने से नहीं रोक सकती.’

एएनआई ने बताया कि इससे पहले उन्हें कथित भ्रष्टाचार के आरोपों के सिलसिले में सीआईडी द्वारा गिरफ्तारी वारंट दिया गया था.

शनिवार तड़के पुलिस अधिकारियों की एक टीम नायडू को हिरासत में लेने के लिए इलाके में पहुंची. हालांकि, वे आगे नहीं बढ़ सके, क्योंकि देर रात की गई कार्रवाई को लेकर टीडीपी कार्यकर्ताओं के एक समूह की पुलिसकर्मियों के साथ बहस हो गई थी.

पार्टी नेताओं ने चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ देर रात हुई पुलिस कार्रवाई की निंदा की. पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में भी लिया है.

एएनआई ने नायडू के वकील के हवाले से कहा, ‘वे नायडू की जमानत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाएंगे. हाई ब्लडप्रेशर और डायबिटीज का पता चलने के बाद सीआईडी चंद्रबाबू नायडू को मेडिकल जांच के लिए ले गई है. हम जमानत के लिए हाईकोर्ट जा रहे हैं.’

नायडू को दिए गए नोटिस के अनुसार, उन्हें आईपीसी की प्रासंगिक धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है, जिसमें धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति हड़पने के लिए प्रेरित करना) और 465 (जालसाजी) शामिल हैं. आंध्र प्रदेश सीआईडी ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम भी लगाया है.

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, इस बीच आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस ने इस बात से इनकार किया है कि चंद्रबाबू नायडू को राजनीतिक प्रतिशोध के तहत गिरफ्तार किया गया है. पार्टी ने नायडू की इस टिप्पणी का भी खंडन किया कि एफआईआर में उनके नाम का कोई जिक्र नहीं था और न ही उन्हें नोटिस दिया गया था.

पार्टी के महासचिव सज्जला रामकृष्ण रेड्डी ने कहा, ‘आज सुबह एन. चंद्रबाबू नायडू को कौशल विकास घोटाले में आंध्र प्रदेश सीआईडी की आर्थिक अपराध शाखा ने गिरफ्तार किया है. इस घोटाले में 371 करोड़ रुपये के सार्वजनिक धन का गबन किया गया था.’

उन्होंने कहा, ‘यह वर्षों पहले ही केंद्रीय एजेंसियों द्वारा साबित किया गया था. जांच के दौरान उन्होंने पाया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू सीधे तौर पर इस घोटाले में शामिल थे. यह मामला आंध्र प्रदेश में उत्कृष्टता केंद्रों के समूह की स्थापना के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसकी कुल अनुमानित परियोजना लागत 3,300 करोड़ रुपये है.’

सीआईडी के एडिशनल डीजीपी एन. संजय ने कहा, ‘यह मामला आंध्र प्रदेश राज्य में उत्कृष्टता केंद्रों (सीओई) के समूहों की स्थापना के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसका कुल अनुमानित परियोजना मूल्य 3,300 करोड़ रुपये है.’

उन्होंने कहा, ‘कथित धोखाधड़ी से आंध्र प्रदेश सरकार को 300 करोड़ रुपये से अधिक का भारी नुकसान हुआ है. नायडू को इस योजना के पीछे प्रमुख साजिशकर्ता माना जाता है, जिसके तहत शेल कंपनियों के माध्यम से सार्वजनिक धन को निजी संस्थाओं को ट्रांसफर किया गया था.’

उन्होंने कहा, ‘घोटाले की समग्र जानकारी की जांच के लिए उनकी गिरफ्तारी जरूरी थी. यह घोटाला 90 फीसदी निवेश निजी कंपनियों और 10 फीसदी सरकारी निवेश का है.’

उन्होंने कहा, ‘उनके पास सरकारी आदेशों और समझौता ज्ञापनों को जारी करने वाले लेन-देन का विशेष जानकारी है, जो उन्हें जांच में प्रमुख व्यक्ति बनाता है. जांच गबन किए गए धन का पता लगाने और चंद्रबाबू नायडू से हिरासत में पूछताछ करने पर केंद्रित है.’

उन्होंने कहा, ‘सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए गए सार्वजनिक अधिकारियों के बयानों सहित सामग्री स्पष्ट रूप से अग्रिम धन जारी करने के प्रमुख निर्णयकर्ता के रूप में चंद्रबाबू नायडू की भागीदारी की ओर इशारा करती है.’