असम सरकार ने पूरे राज्य से विवादास्पद क़ानून आफस्पा वापस लेने की केंद्र से सिफ़ारिश की

असम मंत्रिमंडल ने केंद्र सरकार से सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफस्पा) और अशांत क्षेत्र अधिनियम को पूरे राज्य से वापस लेने की सिफ़ारिश की है. पिछले महीने एक स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा था कि उनकी सरकार इस साल के अंत तक पूरे राज्य से आफस्पा हटाने का प्रयास करेगी.

हिमंता बिस्वा शर्मा. (फोटो साभार: फेसबुक)

असम मंत्रिमंडल ने केंद्र सरकार से सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफस्पा) और अशांत क्षेत्र अधिनियम को पूरे राज्य से वापस लेने की सिफ़ारिश की है. पिछले महीने एक स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा था कि उनकी सरकार इस साल के अंत तक पूरे राज्य से आफस्पा हटाने का प्रयास करेगी.

हिमंता बिस्वा शर्मा. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात और इस मुद्दे पर चर्चा के चार दिन बाद असम कैबिनेट ने केंद्र से सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम (आफस्पा) और अशांत क्षेत्र अधिनियम को पूरे राज्य से वापस लेने की सिफारिश की है.

यह घोषणा मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा सोशल साइट एक्स (पूर्व नाम ट्विटर) पर किए गए एक पोस्ट में की गई है.

शर्मा ने सोमवार 4 सितंबर को नई दिल्ली में गृह मंत्री शाह से मुलाकात की थी और राज्य से आफस्पा को पूरी तरह से हटाने के रोडमैप पर चर्चा की थी. बैठक के बाद उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार शाह के सुझावों के आधार पर आगे कदम उठाएगी.

विवादास्पद सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम (आफस्पा), 1958 अशांत क्षेत्रों में काम करने वाले सशस्त्र बलों के कर्मचारियों को अभियान चलाने और बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने की व्यापक शक्तियां देता है. यह सुरक्षा बलों को गिरफ्तारी और अभियोजन से छूट भी देता है, भले ही वे किसी की गोली मारकर हत्या कर दें, जब तक कि कार्रवाई ‘सार्वजनिक व्यवस्था के रखरखाव’ के लिए आवश्यक समझी जाती है.

सशस्त्र बलों के संचालन को सुविधाजनक बनाने के लिए किसी क्षेत्र या जिले को आफस्पा के तहत अशांत क्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया जाता है.

एनडीटीवी में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, अशांत क्षेत्र अधिसूचना, 1990 में असम में लागू की गई थी और फिर स्थिति के आधार पर समय-समय पर बढ़ाई गई. इसे पिछले साल राज्य के 10 जिलों को छोड़कर बाकी सभी जिलों से इसे हटा दिया गया था और अब इसे आठ तक सीमित कर दिया गया है.

जिन जिलों में अधिसूचना अभी भी प्रभावी है, उनमें डिब्रूगढ़, तिनसुकिया, चराइदेव, शिवसागर, गोलाघाट, जोरहाट, कार्बी आंगलोंग और दिमा हसाओ शामिल हैं.

पिछले महीने एक स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा था कि उनकी सरकार इस साल के अंत तक पूरे राज्य से आफस्पा हटाने का प्रयास करेगी.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार उन्होंने कहा था, ‘मैं असम के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इस साल के अंत तक हम असम के हर जिले से आफस्पा को हटाने के लिए सार्थक कदम उठाएंगे. यह असम के इतिहास के लिए एक ‘अमृतमय’ समय होगा और हम इसका बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.’

यह देखते हुए कि पहली बार लागू होने के बाद से 62 बार आफस्पा के विस्तार की सिफारिश की गई थी, मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘पूर्वोत्तर क्षेत्र अब आतंकवाद से मुक्त है. पिछले तीन वर्षों में असम के विद्रोहियों के साथ चार शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं. लगभग 8,000 विद्रोही मुख्यधारा में लौट आए हैं.’