मणिपुर हिंसा: राज्य सरकार ने केंद्रीय सुरक्षा बलों की ‘अवांछित कार्रवाई’ की निंदा की

बीते 8 सितंबर को मणिपुर के टेंगनौपाल ज़िले के पलेल में हुई गोलीबारी की घटना में तीन लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक घायल हो गए थे. इस दौरान पलेल के पास मोलनोई गांव में सुरक्षा बलों और हथियारबंद लोगों के बीच गोलीबारी हो गई थी. राज्य मंत्रिमंडल ने केंद्र सरकार को घटना से अवगत कराने की बात कही है.

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक)

बीते 8 सितंबर को मणिपुर के टेंगनौपाल ज़िले के पलेल में हुई गोलीबारी की घटना में तीन लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक घायल हो गए थे. इस दौरान पलेल के पास मोलनोई गांव में सुरक्षा बलों और हथियारबंद लोगों के बीच गोलीबारी हो गई थी. राज्य मंत्रिमंडल ने केंद्र सरकार को घटना से अवगत कराने की बात कही है.

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: मणिपुर राज्य मंत्रिमंडल ने बीते शनिवार (9 सितंबर) शाम को मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में शुक्रवार की गोलीबारी के दौरान नागरिकों पर केंद्रीय सुरक्षा बलों की ‘अवांछित कार्रवाई’ की निंदा की.

टेंगनौपाल जिले के पलेल में हुई गोलीबारी की इस घटना में तीन लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक घायल हो गए थे. बैठक में केंद्र को घटना से अवगत कराने का भी संकल्प लिया गया.

एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे पहले मेईतेई समुदाय के सैकड़ों लोगों ने कुकी गांवों पर हमला करने का प्रयास किया था, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और 50 घायल हो गए थे.

स्थिति तब और खराब हो गई थी, जब पलेल के पास मोलनोई गांव में सुरक्षा बलों और हथियारबंद लोगों के बीच गोलीबारी हो गई. जैसे ही गोलीबारी की खबर फैली मेईतेई समुदाय के सदस्यों का बड़ा समूह पलेल की ओर मार्च करने के लिए एकत्र हो गया.

समूह में कमांडो की वर्दी पहने मेईतेई महिलाओं के संगठन ‘मीरा पैबिस’ और ‘अरामबाई तेंगगोल’ (एक अन्य मेईतेई संगठन) के हथियारबंद सदस्य शामिल थे. वे कथित तौर पर गोलीबारी वाले स्थानों के पास एकत्र हुए और सुरक्षा चौकियों को तोड़ने का प्रयास किया.

समाचार वेबसाइट एनडीटीवी में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को हुई मणिपुर मंत्रिमंडल की बैठक में हिंसाग्रस्त राज्य में समग्र स्थिति की समीक्षा की गई.

इस दौरान लिए गए प्रमुख फैसलों में विवादास्पद सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफ्सपा) के तहत ‘अशांत क्षेत्र’ के विस्तार को मंजूरी देना शामिल है, जो भारतीय सशस्त्र बलों और राज्य तथा अर्धसैनिक बलों को ‘अशांत क्षेत्रों’ के रूप में वर्गीकृत क्षेत्रों में अगले छह महीने के लिए विशेष शक्तियां प्रदान करता है.

मंत्रिमंडल ने जातीय हिंसा के दौरान विस्थापित हुए लोगों के लिए एक स्थायी आवास योजना को भी मंजूरी दी. राज्य वहां घर बनाएगा, जहां माहौल हिंसा प्रभावित लोगों के लिए उनके मूल निवास क्षेत्रों में लौटने के लिए अनुकूल होगा.

पहले चरण में लगभग 75 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से लगभग 1,000 स्थायी घरों का निर्माण किया जाएगा. स्थायी मकानों पर 10 लाख रुपये, अर्ध-स्थायी मकानों पर 7 लाख रुपये और अस्थायी मकानों पर 5 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे.

फंड दो समान किस्तों में जारी किया जाएगा – 50 प्रतिशत निर्माण शुरू होने से पहले, और बाकी बाद की तारीख में.

राज्य में पिछले चार महीने से जारी हिंसा के दौरान लगभग 4,800 घर जला दिए गए या क्षतिग्रस्त हो गए. मणिपुर सरकार ने कहा कि इस दौरान 170 से अधिक लोग मारे गए हैं, 700 से अधिक घायल हुए हैं और विभिन्न समुदायों के 70,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.

मंत्रिमंडल ने फैसला किया कि जातीय हिंसा के दौरान यौन उत्पीड़न और अन्य अपराधों को झेलने वाली महिलाओं और बचे लोगों के लिए एक मुआवजा योजना भी होगी.

मणिपुर हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद बीते 3 मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़क उठी थी. इस आदेश में राज्य सरकार को बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय के लिए अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की सिफारिश करने को कहा गया था.

एसटी का दर्जा देने की मेईतेई समुदाय की मांग के विरोध में बीते 3 मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं, जो हिंसा में बदल गई और अब भी जारी हैं.

मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेईतेई समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासियों – नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं.