नगालैंड विधानसभा में प्रस्तावित समान नागरिक संहिता, वन संरक्षण संशोधन क़ानून का विरोध

नगालैंड विधानसभा में मानसून सत्र के पहले दिन एनपीएफ विधायक कुझोलुज़ो निएनु ने कहा कि नगाओं को अनुच्छेद 371ए के तहत विशेष सुरक्षा प्राप्त है और इसलिए समान नागरिक संहिता और वन संरक्षण संशोधन अधिनियम पर चर्चा की ज़रूरत है.

नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो. (फोटो: पीटीआई)

नगालैंड विधानसभा में मानसून सत्र के पहले दिन एनपीएफ विधायक कुझोलुज़ो निएनु ने कहा कि नगाओं को अनुच्छेद 371ए के तहत विशेष सुरक्षा प्राप्त है और इसलिए समान नागरिक संहिता और वन संरक्षण संशोधन अधिनियम पर चर्चा की ज़रूरत है.

नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: नगालैंड विधानसभा ने सोमवार को देश में प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) और वन संरक्षण (संशोधन) अधिनियम के कार्यान्वयन का विरोध किया और 16 सूत्रीय समझौते और अनुच्छेद 371ए के तहत सुरक्षा की मांग की.

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, मानसून सत्र के पहले दिन नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी), भाजपा, एनसीपी, एनपीपी, एलजेपी (रामविलास), नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ), आरपीआई (अठावले), जेडी (यू) और निर्दलीय सहित सभी दलों ने इन मुद्दों पर चर्चा की.

इस दौरान एनपीएफ विधायक कुझोलुज़ो निएनु ने कहा कि नगाओं को अनुच्छेद 371ए के तहत विशेष सुरक्षा प्राप्त है और इसलिए यूसीसी और वन संरक्षण संशोधन अधिनियम पर चर्चा की जरूरत है.

उन्होंने यह प्रस्ताव रखते हुए कि सदन यूसीसी और वन अधिनियम को खारिज करने के लिए एक प्रस्ताव पारित करे, कहा, ‘अनुच्छेद 371ए में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि संसद का कोई भी अधिनियम, जो नगाओं की धार्मिक या सामाजिक प्रथाओं, इसके प्रथागत कानूनों और प्रक्रिया, नागरिक और आपराधिक न्याय प्रशासन से जुड़ा है, जहां नगा प्रथागत कानूनों के तहत निर्णय लिया जाता हो और जो भूमि और उसके संसाधनों के स्वामित्व और हस्तांतरण से संबंधित हो, में तब तक लागू नहीं होगा, जब तक कि राज्य विधानसभा ऐसा निर्णय न ले.’

नगालैंड भाजपा अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री तेमजेन इम्ना अलोंग ने आश्वासन दिया कि वे दोनों मुद्दों पर विधानसभा द्वारा अपनाए गए प्रस्ताव के साथ खड़े रहेंगे.

एनसीपी विधायक दल के उपनेता पी. लॉन्गोन और एनपीपी विधायक दल के नेता नुक्लुतोशी लॉन्गकुमेर ने भी कहा कि दोनों कानून नगालैंड में लागू नहीं हो सकते.

दोनों चर्चाओं पर समापन टिप्पणी करते हुए मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने कहा कि नगालैंड एकमात्र राज्य है जो एक राजनीतिक समझौते- 16 सूत्री समझौते पर हस्ताक्षर और भारत के संविधान में अनुच्छेद 371 ए को शामिल करने के साथ भारतीय संघ में शामिल हुआ था. उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र अपने समझौते का अनादर नहीं करेगा और न ही नगाओं को दिए गए संवैधानिक प्रावधानों की अनदेखी करेगा.

रियो ने सदन को बताया कि राज्य कैबिनेट ने पहले ही राज्य को यूसीसी से छूट देने के लिए 22वें विधि आयोग को एक दरख्वास्त दे चुकी है.

सीएम ने कहा कि कैबिनेट ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक की थी और उन्होंने इस पर विचार करने का आश्वासन दिया.

हालांकि, रियो ने कहा कि राज्य सरकार केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए की सहयोगी है, इसलिए वह केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई नीतियों और निर्णयों के खिलाफ नहीं जा सकती.

सीएम ने सुझाव दिया कि सदन एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से नगालैंड को यूसीसी और वन संरक्षण संशोधन अधिनियम के दायरे से ‘पूरी तरह छूट’ देने की अपील कर सकता है.

इसके बाद स्पीकर शेरिंगैन लॉन्गकुमेर ने बताया कि दोनों मुद्दों पर अलग-अलग प्रस्ताव मंगलवार को विचार के लिए लाए जाएंगे.

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