बंगाल: भाजपा कार्यकर्ताओं ने केंद्रीय मंत्री को ‘तानाशाह’ बताते हुए पार्टी दफ़्तर में बंद किया

केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष सरकार अपने निर्वाचन क्षेत्र पश्चिम बंगाल के बांकुरा में एक बैठक के लिए गए थे, जहां उनकी पार्टी भाजपा के दो गुटों के बीच झगड़ा हो गया. जिसके बाद वह क़रीब दो घंटों तक पार्टी कार्यालय में बंद रहे. बाद पुलिस ने आकर उन्हें बाहर निकाला.

केंद्रीय मंत्री सुभाष सरकार. (फोटो साभार: फेसबुक)

केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष सरकार एक बैठक के लिए पश्चिम बंगाल में उनके निर्वाचन क्षेत्र बांकुरा पहुंचे थे, जहां भाजपा के दो गुटों के बीच झगड़ा हो गया. इस दौरान वे क़रीब दो घंटों तक पार्टी के दफ़्तर में बंद रहे, जहां से बाद में पुलिस ने आकर उन्हें बाहर निकाला.

केंद्रीय मंत्री सुभाष सरकार. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष सरकार मंगलवार (12 सितंबर) को पश्चिम बंगाल के बांकुरा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कार्यालय में पार्टी के भीतर दो गुटों के बीच लड़ाई के बाद लगभग दो घंटे तक बंद रखा गया.

बांकुरा के सांसद सरकार मंगलवार सुबह एक बैठक लेने के लिए जिले के दौरे पर थे.

हिंदुस्तान टाइम्स को एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘बांकुरा शहर में पार्टी कार्यालय के भीतर भाजपा के दो गुटों के बीच झगड़ा हो गया था. केंद्रीय मंत्री भी वहां मौजूद थे. उन्हें घंटे भर से अधिक समय के लिए बंद कर दिया गया था. हमें मदद के लिए फोन आया था और हम मौके पर पहुंचे. भीड़ को तितर-बितर किया गया और मंत्री को सुरक्षित बाहर निकाला गया.’

एनडीटीवी के अनुसार, पार्टी के कुछ सदस्यों ने सरकार पर जिला इकाई को चलाने में तानाशाही रवैया बरतने का आरोप लगाया था.

विरोध करने वाले एक कार्यकर्ता मोहित शर्मा ने कहा कि वह ‘पार्टी को बचाने के लिए प्रदर्शन’ कर रहे थे. शर्मा ने कहा, ‘इस बार, भाजपा को उनकी (सरकार की) अक्षमता के कारण बांकुरा नगर पालिका में कोई सीट नहीं मिली. पिछले चुनाव में भाजपा ने दो वार्ड जीते थे. वे पंचायत की कई सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतार सके. यह शर्म की बात है. ‘

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा कि घटना ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

तृणमूल कांग्रेस ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बंगाल भाजपा टूट रही है क्योंकि अंदरूनी कलह चरम पर पहुंच रही है.

द हिंदू के मुताबिक, इस बीच मालदा उत्तर के सांसद खगेन मुर्मू को भी मालदा जिले की रतुआ विधानसभा सीट के अंतर्गत महानंदटोला ग्राम पंचायत में विरोध का सामना करना पड़ा, हालांकि उनके खिलाफ विरोध करने वाले लोग भाजपा कार्यकर्ता नहीं थे.

क्षेत्र में गंगा के किनारे कटाव के कारण विस्थापित हुए ग्रामीण पुनर्वास की मांग कर रहे थे और केंद्र सरकार पर उनकी मदद के लिए कोई प्रयास न करने का आरोप लगाया.

रतुआ विधानसभा से तृणमूल कांग्रेस के विधायक समर मुखर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार ने अपने वादे पूरे नहीं किए हैं. मुखर्जी ने आरोप लगाया, ‘कटाव झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के बड़े हिस्से में होता है. जब फरक्का बैराज का निर्माण किया गया था, तो इसे अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम दोनों में नदी के कटाव को रोकने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन केंद्र सरकार की संस्था ने अपनी प्रतिबद्धता पूरी नहीं की.’