द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
नगालैंड विधानसभा में सर्वसम्मति से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है. रिपोर्ट के अनुसार, इसमें ऐसी कोई संहिता लाए जाने पर राज्य को इससे छूट देने की मांग की गई है. नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के अगुवाई वाली राज्य सरकार में भाजपा भी एक सहयोगी है. प्रस्ताव में कहा गया है कि यूसीसी का स्पष्ट उद्देश्य ‘विवाह और तलाक, कस्टडी और संरक्षण, गोद लेने और रखरखाव, उत्तराधिकार और विरासत जैसे व्यक्तिगत मामलों पर एक ही कानून बनाना है, जिससे यूसीसी लागू होने की स्थिति में नगा प्रथागत कानूनों और सामाजिक और धार्मिक रिवाजों के लिए खतरा पैदा हो जाएगा.’ इससे पहले मिजोरम और केरल भी यूसीसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर चुके हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मीडिया ब्रीफिंग पर पुलिस अधिकारियों के लिए मैनुअल तैयार करने को कहा है. द हिंदू के अनुसार, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि पुलिस ब्रीफिंग हर मामले की जरूरत के हिसाब से होनी चाहिए. साथ ही यह खयाल रखा जाना चाहिए कि इससे कहीं मीडिया ट्रायल की स्थिति न पैदा हो, जो किसी आरोपी के अपराध साबित होने से पहले ही उसे दोषी साबित कर देता है. कोई भी व्यक्ति तब तक निर्दोष होता है जब तक कानूनन उसे दोषी साबित न किया जाए. उन्होंने यह भी जोड़ा कि पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग से आरोपी और पीड़ित दोनों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचता है, जांच भी पटरी से उतर सकती है. साथ ही, निजता के साथ भी समझौता होता है.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के एक प्रोफेसर ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखते हुए विश्वविद्यालय पर 42 महीने से उत्पीड़न किए जाने का आरोप लगाया है. द टेलीग्राफ के अनुसार, स्कूल ऑफ कंप्यूटर एंड सिस्टम साइंसेज में कार्यरत प्रोफेसर राजीव कुमार का आरोप है कि फरवरी 2020 में पूर्व वीसी एम. जगदीश कुमार (यूजीसी के वर्तमान अध्यक्ष) के कार्यकाल में उनके ख़िलाफ़ शुरू की गई जांच उनके (प्रो. राजीव) द्वारा साल 2006 में आईआईटी-जेईई परीक्षा के संचालन में उजागर की गई गड़बड़ियों का प्रतिशोध थी. जगदीश कुमार 2006-2008 के बीच आईआईटी के एडमिशन बोर्ड के सदस्य थे. प्रोफेसर राजीव को डर है कि उनके खिलाफ लंबित जांच का हवाला देकर उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले लाभ रोका जा सकता है. उनका रिटायरमेंट मार्च 2024 में होना है.
राजस्थान के कोटा में नीट की परीक्षा की तैयारी कर रही एक अभ्यर्थी की आत्महत्या से मौत का मामला सामने आया है. इंडिया टुडे के अनुसार, यह इस साल बीते आठ महीनों में किसी छात्र/छात्रा द्वारा आत्महत्या का 24वां मामला है, जो अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा है. राजस्थान पुलिस के अनुसार, यह आंकड़ा 2022 में 15, 2019 में 18, 2018 में 20, 2017 में 7, 2016 में 17 और 2015 में 18 था. 2020 और 2021 में कोविड-19 महामारी के कारण कोचिंग संस्थानों के बंद होने के कारण आत्महत्या की कोई सूचना नहीं मिली थी.
मणिपुर में चार महीने से जारी हिंसा के बीच हाल में हुई एक फायरिंग की घटना को लेकर सुरक्षा बलों के ख़िलाफ़ मणिपुर सरकार का बयान उसकी पुलिस के बयान का विरोधाभासी पाया गया है. द टेलीग्राफ के अनुसार, 8 सितंबर को हुई एक सशस्त्र समूह और सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी की घटना हुई थी, जिसमें टीम लोगों की मौत हो गई थी. घटना के अगले दिन एन. बीरेन सिंह कैबिनेट ने ‘केंद्रीय सुरक्षा बलों की अवांछित कार्रवाई’ की निंदा की थी, वहीं पुलिस द्वारा प्रेस को दिए बयान में इस कार्रवाई को ‘संयुक्त अभियान’ बताया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार द्वारा पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. द हिंदू के मुताबिक, भाजपा के लोकसभा सांसद मनोज तिवारी की ओर से पेश वकील ने जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ के समक्ष कहा कि अदालत द्वारा हरित पटाखे फोड़ने की अनुमति के बावजूद पटाखों पर बैन लगाया गया है. इस पर पीठ ने उनसे कहा कि वे इसमें दखल नहीं देंगे. लोगों का स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है. अगर आप पटाखे फोड़ना चाहते हैं, तो उन राज्यों में जाएं जहां ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है. ज्ञात हो कि 11 सितंबर को सर्दियों के महीनों में उच्च प्रदूषण स्तर से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और फोड़ने पर व्यापक प्रतिबंध की घोषणा की. है. राष्ट्रीय राजधानी में पिछले दो सालों से ऐसी पाबंदी लगाई जा रही है.
पश्चिम बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा एक केंद्रीय मंत्री को ‘तानाशाह’ बताते हुए पार्टी कार्यालय में बंद करने की घटना सामने आई है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष सरकार एक बैठक के लिए पश्चिम बंगाल में उनके निर्वाचन क्षेत्र बांकुरा पहुंचे थे, जहां भाजपा के दो गुटों के बीच झगड़ा हो गया. विरोध करने वाले एक कार्यकर्ता ने कहा कि वह ‘पार्टी को बचाने के लिए प्रदर्शन’ कर रहे थे. ‘इस बार भाजपा को उनकी (सुभाष सरकार की) अक्षमता के कारण बांकुरा नगर पालिका में कोई सीट नहीं मिली. यह शर्म की बात है.’ झगड़े के दौरान मंत्री क़रीब दो घंटों तक पार्टी के दफ़्तर में बंद रहे, बाद में पुलिस ने आकर उन्हें बाहर निकाला.