प्राइड ईस्ट एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी का स्वामित्व असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के परिवार के पास है. 10 नवंबर 2022 को इसकी एक खाद्य प्रसंस्करण परियोजना के लिए केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी प्रदान की गई थी. मुख्यमंत्री ने इससे इनकार किया है, लेकिन मामले ने तब तूल पकड़ लिया, जब कांग्रेस ने आधिकारिक दस्तावेज़ पेश कर दिए.
नई दिल्ली: असम के भाजपा मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के परिवार के स्वामित्व वाली एक मीडिया कंपनी को केंद्र सरकार द्वारा दी गई 10 करोड़ रुपये की सब्सिडी ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने भाजपा पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है.
मामला तब और तूल पकड़ गया जब कांग्रेस ने अपने आरोपों के समर्थन में आधिकारिक दस्तावेज पेश किए. इससे पहले मुख्यमंत्री ने इस बात से इनकार किया था कि उनके परिवार को केंद्र सरकार से सब्सिडी मिली है.
पिछले हफ्ते एक असमिया समाचार वेबसाइट क्रॉस करेंट ने बताया था कि मीडिया कंपनी ‘प्राइड ईस्ट एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड’, जिसका स्वामित्व मुख्य रूप से मुख्यमंत्री के परिवार के पास है, जिसमें उनकी पत्नी रिनिकी भुइयां शर्मा, उनकी मां मृणालिनी देवी, उनके बेटे नंदिल बिस्वा शर्मा और उनकी बेटी सुकन्या शर्मा शामिल हैं, को इसकी 25.88 करोड़ रुपये की खाद्य प्रसंस्करण परियोजना के लिए 10 नवंबर 2022 को सब्सिडी प्रदान की गई थी.
प्राइड ईस्ट एंटरटेनमेंट पूर्वोत्तर के शीर्ष मीडिया घरानों में से एक है, जिसके पास दो टेलीविजन समाचार चैनल, एक समाचार पत्र, एक वेबसाइट और तीन मनोरंजन चैनल हैं. कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के साथ कंपनी की फाइलिंग में इसके व्यवसायों की सूची है, जिनमें मीडिया उद्यमों के अलावा रेशम (सिल्क) उत्पादन और खाद्य प्रसंस्करण शामिल हैं.
क्रॉस करेंट ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि प्राइड ईस्ट एंटरटेनमेंट ने 4 फरवरी 2022 को एक प्रस्तावित खाद्य प्रसंस्करण इकाई के लिए नगांव जिले के दारी गोजी गांव में पांच लोगों हेमचंद्र बीरा, जतिन चंद्र बोरा, देबेन चंद्र बोरा, तारिणी बोरा और अनिल विश्वास से लगभग 50 बीघे जमीन का अधिग्रहण किया था. विश्वास के स्वामित्व वाली 2 कट्ठा जमीन को छोड़कर शेष भूमि केवल कृषि उपयोग के लिए थी.
रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि असम के राजस्व रिकॉर्ड बताते हैं कि खरीदे जाने के तुरंत बाद 19 अप्रैल 2022 को भूखंडों की श्रेणी कृषि से औद्योगिक में तब्दील कर दी गई थी. भूमि के नए वर्गीकरण ने प्राइड ईस्ट एंटरटेनमेंट को असम के नगांव में उसी स्थान पर एक खाद्य प्रसंस्करण संयंत्र प्रस्तावित करने की सुविधा दी, जिसके लिए 10 करोड़ रुपये की सब्सिडी मांगी गई थी.
असम के विधायक अखिल गोगोई ने वर्तमान में जारी विधानसभा सत्र में इस मामले को उठाया, जिसके बाद कांग्रेस नेताओं ने भी मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा पर भाई-भतीजेवाद का आरोप लगाते हुए उनसे जवाब मांगा.
बुधवार (13 सितंबर) को आखिरकार मुख्यमंत्री ने इस पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने सोशल साइट एक्स पर कहा, ‘मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ फिर से दोहराना चाहूंगा कि मेरी पत्नी और जिस कंपनी से वह जुड़ी हैं, उन्होंने भारत सरकार से न कोई सब्सिडी ली है या न ही प्राप्त की है.’
हालांकि, कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय द्वारा जारी एक दस्तावेज पेश किया, जिसमें स्पष्ट रूप से मुख्यमंत्री की पत्नी रिनिकी भुइयां शर्मा को पीएम किसान संपदा योजना के तहत केंद्र सरकार की कृषि प्रसंस्करण क्लस्टर योजना के तहत 10 करोड़ रुपये की सब्सिडी के लाभार्थी के रूप में नामित किया गया है.
For the convenience of the Hon’ble Chief Minister I am attaching the link to the website of the Ministry of Food Processing. It shows the list of companies and promoters who have received the Rs 10 crore government subsidy. Please see serial 10.https://t.co/rR2m9PH8DX https://t.co/O9krRaDSRW
— Gaurav Gogoi (@GauravGogoiAsm) September 13, 2023
हालांकि, दस्तावेजी सबूतों के बावजूद भी मुख्यमंत्री आरोपों से इनकार करते रहे हैं.
I completely deny and reiterate that my wife and the company she is associated with, Pride East Entertainment Pvt Limited, have not received any subsidies from the Government of India. https://t.co/VBDGOuX29q
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) September 13, 2023
भाजपा और असम के मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता गौरव वल्लभ ने कहा, ‘क्या शानदार तरकीब है. कृषि भूमि खरीदो. इसे औद्योगिक भूमि में परिवर्तित कर दो. भारत सरकार से 10 करोड़ रुपये की सब्सिडी लो.’
वल्लभ ने कहा कि असम में इस तरह के भ्रष्टाचार का उदाहरण इस बात पर प्रकाश डालता है कि किसानों की आय दोगुनी करने का प्रधानमंत्री का वादा खोखला है, क्योंकि केवल भाजपा के करीबी लोग ही सरकार की योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं.
उन्होंने पूछा, ‘क्या ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’ मॉडल यही है.’
यह पहली बार नहीं है जब असम के मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के आरोप लगे हैं. द वायर ने जून 2022 में अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि कैसे महामारी के दौरान असम सरकार के सैनिटाइजर और पीपीई किट के ऑर्डर का एक बड़ा हिस्सा मुख्यमंत्री के परिवार के साथ घनिष्ठ संबंध रखने वाली कंपनी को बाजार मूल्य से बहुत अधिक दर पर दिया गया था.
आरटीआई के जवाबों से पता चला था कि असम सरकार ने 2020 में मुख्यमंत्री की पत्नी और उनके परिवार के करीबी व्यापारिक सहयोगी के स्वामित्व वाली तीन फर्मों को चिकित्सा सामग्री की आपातकालीन आपूर्ति के ऑर्डर दिए थे. तब भी, मुख्यमंत्री ने आरोपों को खारिज किया था लेकिन अपने दावे के समर्थन में कोई साक्ष्य नहीं दे सके थे.
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