उत्तराखंड के मदरसों में संस्कृत पढ़ाई जाएगी: वक़्फ़ बोर्ड अध्यक्ष

उत्तराखंड वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने मदरसों के बुनियादी ढांचे को उन्नत करने के अलावा मदरसों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू करने का भी वादा करते हुए कहा कि पाठ्यक्रम वैज्ञानिक शिक्षा और इस्लामी अध्ययन का एक मिश्रण होगा और छात्र अंग्रेज़ी के साथ संस्कृत और अरबी दोनों सीख सकेंगे.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

उत्तराखंड वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने मदरसों के बुनियादी ढांचे को उन्नत करने के अलावा मदरसों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू करने का भी वादा करते हुए कहा कि पाठ्यक्रम वैज्ञानिक शिक्षा और इस्लामी अध्ययन का एक मिश्रण होगा और छात्र अंग्रेज़ी के साथ संस्कृत और अरबी दोनों सीख सकेंगे.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उत्तराखंड के उन मदरसों, जो राज्य वक्फ बोर्ड के साथ पंजीकृत हैं, में संस्कृत पढ़ाई जाएगी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने बुधवार को मदरसों के बुनियादी ढांचे को उन्नत करने के अलावा मदरसों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू करने का भी वादा किया.

शम्स ने कहा कि पाठ्यक्रम वैज्ञानिक शिक्षा और इस्लामी अध्ययन का एक मिश्रण होगा और छात्र अंग्रेजी के साथ-साथ संस्कृत और अरबी दोनों सीख सकेंगे.

इससे पहले पिछले साल नवंबर में शम्स ने घोषणा की थी कि वक्फ बोर्ड के तहत सभी मदरसों में अन्य स्कूलों की तरह ही सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक कक्षाएं चलने के साथ एक समान ड्रेस कोड होगा. साथ ही, उत्तराखंड सरकार राज्य के सभी मदरसों के सर्वेक्षण के लिए एक समिति बनाएगी.

शम्स ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘देवभूमि के लोग दूसरों से अलग हैं. अगर हमारी भाषा, संस्कृति और परंपराएं दूसरों से अलग हैं तो हमारी शिक्षा का पैटर्न भी दूसरों से अलग होना चाहिए. हमारे बच्चों को हमारी भाषाएं सीखनी चाहिए और उसे प्राथमिकता देनी चाहिए. हम अपने मदरसों में संस्कृत आचार्य और अरबी शिक्षक नियुक्त करेंगे ताकि हम दोनों भाषाएं पढ़ा सकें. हमारे बच्चे संस्कृत, अरबी और अंग्रेजी भी बोलेंगे.’

उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अंतर्गत 117 मदरसे हैं. पहले चरण में बोर्ड इनमें से चार – देहरादून, हरिद्वार, उधम सिंह नगर और नैनीताल जिलों में एक-एक को मॉडल मदरसों के रूप में विकसित करेगा.

शम्स ने कहा, ‘मॉडल मदरसों में पांच वक्त की नमाज होगी. सुबह करीब 6.30 बजे नमाज के बाद एक घंटा कुरान की पढ़ाई के लिए निर्धारित किया जाएगा. सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक मदरसा बाकायदा स्कूल की तरह चलेगा. उस दौरान, किसी भी अंग्रेजी माध्यम के स्कूल की तरह स्कूल की यूनिफॉर्म अनिवार्य होगी.’

शम्स ने कहा कि आध्यात्मिक नेता मदरसों में संस्कृत को लागू करने के पक्ष में हैं और उनसे कम फंड वाले मदरसों को अपनाने की अपील की.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड के निदेशक राजेंद्र कुमार ने कहा कि उन्हें इस पहल के बारे में कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा, ‘मैं इस समय इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा क्योंकि मुझे फिलहाल इसकी कोई जानकारी नहीं है.’

कुमार ने कहा कि बोर्ड से 419 से अधिक मदरसे संबद्ध हैं. उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड के कुछ पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, राज्य में लगभग 800 से 1,000 मदरसे हैं, जिनमें से 400 से अधिक मदरसा शिक्षा बोर्ड से संबद्ध हैं.

2011 की जनगणना के अनुसार उत्तराखंड में 13.9 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है, जो ज्यादातर तराई क्षेत्र में है. हरिद्वार और उधम सिंह नगर जिलों में क्रमशः 34 प्रतिशत और 22 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी है.

पिछले साल सितंबर में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि राज्य सरकार राज्य के मदरसों का सर्वेक्षण कराएगी.