झारखंड: बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र के अधिकांश लोग स्वच्छ पेयजल और शौचालय जैसी सुविधाओं से वंचित

लगभग 20,000 की आबादी और 60 किलोमीटर के दायरे में फैले झारखंड के बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र को पिछले साल ही माओवादियों के चंगुल से मुक्त कराया गया था. गांव, परिवार और व्यक्तिगत स्तर पर किए गए सर्वेक्षणों के आधार पर तैयार की गई एक सरकारी रिपोर्ट में क्षेत्र के निवासियों की दुर्दशा सामने आई है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)

लगभग 20,000 की आबादी और 60 किलोमीटर के दायरे में फैले झारखंड के बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र को पिछले साल ही माओवादियों के चंगुल से मुक्त कराया गया था. गांव, परिवार और व्यक्तिगत स्तर पर किए गए सर्वेक्षणों के आधार पर तैयार की गई एक सरकारी रिपोर्ट में क्षेत्र के निवासियों की दुर्दशा सामने आई है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)

नई दिल्ली: झारखंड के बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र के 27 गांवों में 55 प्रतिशत से अधिक लोगों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध नहीं है, आधे से अधिक बिना बिजली के हैं और 60 फीसदी शौचालय से वंचित हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह निष्कर्ष एक समय माओवादियों का गढ़ रहे इस क्षेत्र का सर्वेक्षण करने के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित एक समिति का है.

लगभग 20,000 की आबादी और गढ़वा एवं लातेहार जिलों के 60 किमी के दायरे में फैले बूढ़ा पहाड़ को पिछले साल ही माओवादियों के चंगुल से मुक्त कराया गया था. क्षेत्र में विकास लाने के विचार के साथ सरकार ने बूढ़ा पहाड़ विकास योजना (बीपीडीपी) की शुरुआत की. यह रिपोर्ट गांव, परिवार और व्यक्तिगत स्तर पर किए गए सर्वेक्षणों के आधार पर तैयार की गई थी.

बीपीडीपी रिपोर्ट 1,000 से अधिक पृष्ठों की है और इसमें क्षेत्र की तीन पंचायतों – लातेहार में अक्सी एवं ओरसा और गढ़वा में टेहरी- के सभी 19,896 निवासियों के नाम शामिल हैं.

योजना पर 250 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है. ब्लूप्रिंट में सामाजिक आर्थिक विकास के लिए कदम उठाए गए हैं, जिसमें गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों से जोड़ना, भूमिहीनों को भूमि का पट्टा देना, व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण करना और 200 किमी से अधिक कंक्रीट सड़कों और पुलों का निर्माण जैसे अन्य बुनियादी विकास कार्य शामिल हैं.

सर्वेक्षण के अनुसार, 27 गांवों में से 14 में बिजली नहीं थी; 3,908 परिवारों में से 3,000 परिवार ईंधन के रूप में लकड़ी का उपयोग करके खाना पकाते हैं; 2,186 परिवारों के पास स्वच्छ पेयजल स्रोत तक पहुंच नहीं थी; 2,595 परिवार कच्चे घरों में रहते हैं और 2019 में झारखंड को 100 प्रतिशत खुले में शौच मुक्त राज्य घोषित किए जाने के बावजूद 2,486 परिवारों की शौचालय तक पहुंच नहीं है.

बीपीडीपी रिपोर्ट में कहा गया है कि क्षेत्र में विकास की स्थिति का आकलन करने के बाद पिछले साल अक्टूबर में गढ़वा जिले के बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र में ​‘आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार​’ कार्यक्रम शुरू किया गया था.

27 जनवरी, 2023 को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बूढ़ा पहाड़ विकास परियोजना की नींव रखी थी और तत्कालीन योजना एवं विकास सचिव अमिताभ कौशल के अधीन एक समिति का गठन किया गया.

एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ​‘बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र के अंतर्गत रहने वाले 3,809 परिवारों का एक व्यक्तिगत सर्वेक्षण किया गया – इनमें तीन-चौथाई से अधिक अनुसूचित जनजाति के हैं – और सामाजिक, आर्थिक एवं बुनियादी ढांचे की जरूरतों का आकलन किया गया. सभी विभागों में प्रस्तुतियां दी गई हैं और संपूर्ण सर्वेक्षण निष्कर्षों को रिकॉर्ड में रखा गया है ताकि बाद के चरण में संख्याओं में हेराफेरी न हो. इस पर काम जल्द ही शुरू होगा.​’