कर्नाटक के तुमकुरु ज़िले का मामला. अधिकारियों ने बताया कि तीन महिलाओं को ग्रामीणों द्वारा गांव के बाहर बने एक कमरे में रखा गया था, क्योंकि वे माहवारी से गुज़र रही थीं. तीनों महिलाएं गोल्ला समुदाय से हैं. समुदाय का मानना है कि माहवारी वाली और गर्भवती महिलाएं अशुभ होती हैं, इसलिए उन्हें गांव से दूर रखा जाता है.
नई दिल्ली: कर्नाटक के तुमकुरु जिले के एक गांव में माहवारी के कारण एक कमरे में कैद की गईं तीन महिलाओं को मुक्त करा लिया गया.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों के अनुसार, गुब्बी तालुक की तहसीलदार बी. आरती ने एक गुप्त सूचना के आधार पर चिकनेटागुंटे गांव में छापा मारा और गोल्ला समुदाय की तीन महिलाओं को रिहा कराया, जो माहवारी (Menstruation) से गुजर रही थीं.
मामले से वाकिफ अधिकारियों ने बताया कि जागरूकता कार्यक्रम और अभियान चलाए जाने के बावजूद तुमकुरु जिले में गोल्ला समुदाय अभी भी माहवारी के दौरान महिलाओं को अलग-थलग रखने के अंधविश्वास को मानता है.
तहसीलदार बी. आरती ने कहा, ‘जिला प्रशासन ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और सभी तहसीलदारों को कडु गोल्ला कॉलोनियों का दौरा करने का निर्देश दिया. इस प्रथा की जांच के लिए औचक दौरे किए जाएंगे.’
उन्होंने कहा कि ऐसी कई कॉलोनियों में जहां महिलाओं को शिक्षा प्राप्त है, यह प्रथा प्रचलित नहीं है. उन्होंने कहा, ‘हालांकि, कुछ कॉलोनियों में यह प्रथा अभी भी मौजूद है. हम इस तरह की प्रथा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे. हम इसे खत्म करने के लिए नियमित रूप से जागरूकता अभियान और बैठकें आयोजित कर रहे हैं.’
अधिकारियों ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुजाता, मिड-डे मील की रसोइया सवित्रमा और एक अन्य महिला को समुदाय द्वारा गांव के बाहर एक अलग कमरे में रखा गया था, क्योंकि वे माहवारी से गुजर रही थीं. यह उन कई गांवों में आम बात है जहां गोल्ला समुदाय बहुसंख्यक है. गोल्ला समुदाय राज्य का एक पिछड़ा समुदाय है, जो अनुसूचित जनजाति वर्ग में आता है.
रिपोर्ट के अनुसार, समुदाय का मानना है कि माहवारी वाली और गर्भवती महिलाएं अशुभ होती हैं, इसलिए उन्हें गांव से दूर रखा जाता है. शुद्धिकरण के एक महीने बाद ही गर्भवती महिलाओं को गांव में प्रवेश की अनुमति दी जाती है.
बीते 26 जुलाई को इसी तरह की प्रथा के तहत तुमकुरु के पास मल्लेनाहल्ली गोलारहट्टी गांव में समुदाय द्वारा मां को दूर रखने के बाद अत्यधिक ठंड के कारण उसके नवजात शिशु की मौत हो गई थी.
बीते 24 अगस्त को गुब्बी सिविल कोर्ट के न्यायाधीश उंडी मंजुला शिवप्पा ने गुब्बी तालुक के वरदेनहल्ली गोल्लारत्ती गांव का दौरा कर एक शिशु और मां को अलगाव से बचाया. जज ने परिवारवालों से दोनों को घर के अंदर आने की इजाजत देने का आग्रह किया था. उन्होंने समुदाय के बुजुर्गों को ऐसी हरकतें दोहराने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी थी.